थारु बस्तमीमे माघक् उल्लास

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २९ पुस । पुस महिनाके अन्तिम दिनसे पश्चिम नेपालके थारु बस्तीमे माघक् उल्लास छाँइल बा । दाङसे कञ्चनपुरसमके थारु बस्तीमे विशेष रौनक छाइल हो ।
ओइसिक टे आमनेपालीहुक्रे माघ १ गते माघे तथा मकर संक्रान्तिके रुपमे आ–अप्ने रिती संस्कृति अन्सार मनैलेसे फेन थारु समुदायमे लौव अध्याय अर्थात लावा सालके सुरुवात हुइना टिहुवारके रुपमे हर्षोल्लासके साथ मनैटी आगिल बा ।
कामके शिलशिलामे घरसे दुर–दुर रहल डाडुभैया टिहुवार मनाइक लाग गाउँघरमे जम्मा हुइल बाटै । चेलीबेटीहुक्रे लैहर घर पुगल बाटै । गाउँक् नेतृत्वकर्ता अर्थात बरघर, भल्मन्सा, देशबन्धिया, गुरुवा, भर्रालगायत चयन माघ महिना मन्से चयन हुइना हुइलओरसे नेतृत्व चयनके बहस सुरु हुइटी रहल बा । अत्रहि किल नाई होके थारुवस्तीमे माघौटा नाच, सखिया नाच, झुमरा नाच, लाठी नाच, ढमारलगायत लोक गीत संगे डफ ओ मन्ड्राके आवाज फेन गाउँघर गुन्जे लागल बा ।
तीन दिनसम मनैना टिहुवारके सुरुवात पुसके अन्तिम दिन अर्थात आज (मंगर) के रोजसे सुरु हुइल बा । माघ १ गते लग्गेक् लडिया, टलुवा, पोखरीमे लहैना ओ आ–आपन नातपातहुकनहे भेटघाट कर्र्ना, आपन उमेरसे बरवार मनैनसे अर्शिवाद लेना ओ छोट मनैन्हे अर्शिवाद डेना प्रचलन रहल बा । यी दिन फेन आपन घरमे रहल ढिकरी लगायतके पाकवान खैना ओ खवाइना चलन रहल फेन थारु बुढापाकाहुकनके कहाई बा ।
मकर संक्रान्तिके दिन लहैलेसे बरसभरिक करल पाप वा नैमजा काम, कुकर्म, वैमनष्यता धो जिना ओ पूण्य प्राप्त हुइना धार्मिक जनविश्वास रहल बा । यी दिन पशुपक्षी बध नैकरेक पर्ना धार्मिक मान्यता बा । यी दिनहे थारु समुदायमे लावा बरसके रुपमे मानजाइठ् ।
माघे सङ्क्रान्तिके दिन विशेष कैके थारू समुदायमे सक्करही उठके लग्गेक लडिया अथवा टल्वामे जाके लहाखोरके घरमे अलग्गे छुट्याके राखल चाउर, नोन, तेल ओ बेसारलगायत खाद्यान्न छुना चलन रहल बा कलेसे छुट्याइल उ चिजमे थप परिकार थपके घरके छाइ बेटीयनहे डेना परम्परा रहटी आइल बा, जिहीहे ‘निसराउ’ कहिजाइठ् । ओकर पाछे आपनसे बरवारहुक्रनसे ढोगसलाम लग्टी आर्शीवाद लेना चलन रहल बा ।
माघ टिहुवारके टेसर दिन (माघ २ गते) हे खिच्रहवा कहिजाइठ । यी दिनसे माघी देवानी तथा खोजनी बोजनी सुरु हुइना थारु बुद्धिजीवीहुक्रे बटैठै ।
थारु नागरिक समाज कैलाली संयोजक दिलबहादुर चौधरीके अनुसार माघ टिहुवार पुस ओराइल दिनसे सुरु हुइना हुइलओरसे माघ २ गतेहे टिहुवारके टेसर दिन मानेक पर्ना बटैठै । जौन दिनसे थारु गाउँ–गाउँमे लावा नेतृत्वकर्ता एंव भल्मन्सा, बरघर, देशबन्धिया, अघरिया, भर्रालगायत चयन कर्ना या अनुमोदन करजाइठ । असिक नेतृत्व छान्न कामहे ‘माघी देवानी’ कहिजाइठ् । असिन प्रचलन दाङसे पश्चिउ कञ्चनपुरसम रहल बा ।
एकठो परिवारके सक्कु सदस्यहुक्रे एकजुट होके अइना दिन पारिवारिक गतिविधि कसिक आघे बह्रैनावारे फेन छलफल करजाइठ् । इहीहे ‘खोजनीबोजनी’ फेन कहिजाइठ् ।
‘खोजनीबोजनीमे आघेक बरस परिवारमे करल गतिविधि, आर्थिक हरहिसाबबारे फेन छलफल करजाइठ्’, संयोजक चौधरी कहलै–‘छलफलसे अगामी दिनके लाग परिवारके योजना तर्जुमा फेन करजाइठ् ।’
थारु अगुवा तथा अधिवक्ता जोहारीलाल चौधरी गाउँगाउँमे फरक फरक दिनमे लौवा नेतृत्व छनौट कैना करल मने आबसे पहिल अठुवार भिटरे छन्ना प्रणाली बनाई पर्ना ओ उहीहे भल्मन्सा छनौट सप्ताहके रुपमे लेना जरुरी रहल बटैलै ।
