थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ 13 Jul 2025, Sunday ]

कठरियाथारु पहिचानके घर हेरैटी

पहुरा | ६ माघ २०८०, शनिबार
कठरियाथारु पहिचानके घर हेरैटी

अविनाश चौधरी
धनगढी, ६ माघ ।
अढाई दशक आघेसम कैलालीके टमान गाउँमे जीवजन्तु, चिरैचुरुङ्गी, मेरमेराइक फूलाके चित्र बनाइल घर डेखा परे । कच्ची घरके भित्तामे बनाइल ओसिन आकर्षक चित्रसे सहजुले पत्ता हुए, यी कठरियमथारु घर हो कहिके । मने, उ समुदायके पहिचान झल्कैना ओसिन घर अचकल मुस्किलसे डेखे मिलठ ।

कौनो बेला गाउँघरके सुन्दरता दर्शैना कठरिया थारु पहिचानके घर अब हेरैटी गैल बा । आधुनिकता, मनैनके कार्यव्यस्तता, बडल्टी आर्थिक अवस्था लगायतके कारणसे यी समुदायके सुन्दर कलात्मक घर हेरैटी गैल हो । विगतमे माटीसे बनल कच्ची घरमे कला ओ सुन्दरता झल्के । मने, पछिल्का समय हटटी गैल खरहके छपरासंगे यी समुदायके घरके मौलिकपनफे हेरैटी गैल बा । अचकल कठरिया गाउँम्े भव्य महलसमेत बन्टी बा । मने विगततके जस्टे मौलिकपन ओ पहिचान भर आृेम्ने नइविल्गठ ।
कैलारी गाउँपालिका–८ के वडा अध्यक्ष तारामल कठरियाके बुझाइमे चित्र बनैना ढेर मिहिनेत लग्ना करल ओरसे कठरिया थारुके मौलिक पहिचान झल्कैना घर हेरैटी गैल हो । उहाँ कहलै, “घरके भित्तामे अब्बेक पुस्तासे रङ्गीबिरङ्गी चित्र बनाई नइसेक्की । न टे ओइनथे ओटरा समय बा ।” सीप ओ समयके अभावके कारण कठरिया थारु पहिचानके घर हेरैटी गैल कठरियाके कहाई बा ।

नेपालमे कठरिया थारु समुदायके बसोबास कैलाली, बर्दिया ओ नवलपरासीमे केल बा । सबसे ढेर कठरिया कैलालीमे रहल बटै । कैलालीके जोशीपुर गाउँपालिका, बर्दगोरिया गाउँपालिका, जानकी गाउँपालिकामे प्रायः सक्कु ओर कठरिया थारु बैठल बटै । ओस्टेक करके, घोडाघोडी नगरपालिकाके सिसैया, तप्पा, भजनी नगरपालिकाके चर्रा, कैलारी गाउँपालिकाके पवेरा, मनाउँ, मझरा, लौसामेफे कठरिया थारु बैठटी आइल बटै ।

जिल्लास्थित कठरिया थारु बसोबास रहल गाउँमध्ये पवेरा, तप्पा ओ सिसैया गाउँके कुछ घरमे केल अचकल कठरिया थारु पहिचानयुक्त घर बचल वडा अध्यक्ष कठरिया बटैलै । “बाँकी और गाउँमे टे कौन डंगौराथारु घर हो, वा कौन कठरियाथारुके घर कहिके छुट्टयइना नइसेक्जाई”, उहाँ कहलै ।

यी समुदायके मनै माटीक नयाँ घर बनाईबेर घरके भित्तामे मन्जोर, हरना, चिरै, मच्छरी, फूल लगायतके चित्र बनाके उहीहे रङ्गैना चलन रहे । अचकल माटीक नयाँ घर बन्लेसेफे ओसिन चित्र नइबनाजाइठ । अल्पमतमे रहल समुदायके संस्कृति प्रवद्र्धनमे कोई चासो नइहुइना ओ कठरियाथारु बुद्धिजिवीके कमिकमजोरीके कारणसे कठरियाथारु पहिचानके घर हेरैटी गैल युवा स्रष्टा सुवेश कठरियाके कहाई बा ।

उहाँ कठरिया थारु समुदायके संस्कृति, संस्कार संरक्षणके लाग सम्बन्धित निकायमे पहल करेबेर सुनुवाइ नइहुइना करल गुनासो करलै । थारु आयोग, थारु मञ्च जैसिन निकायसेफे कठरियाथारु समुदायके संस्कृति, पहिचान सम्वद्र्धनमे ध्यान नइडहल उहाँक जिकिर बा । “टबमारे हमार समुदायके बाट सुनुवाईके लाग कठरियाथारु फे अलगे आदिवासी जनजातिमे सूचीकृत हुइना जरुरी विल्गाइठ, कठरिया कहलै ।

कठरिया थारु समुदायके हेरैटी गैल संस्कृति, संस्कार, मौलिकपन जोगाइक लाग कठरिया समाज नेपालसृे उ समुदायमे सचेतना फैलाइक लाग पैरवीफे करटी रहल बा । समय अनुसार चले पर्ना हुइल ओरसे पहिलेक जस्टे माटी ओ काठके घर नइबनैलेसेफे पक्की घर बनाईबेरसमेट मौलिक पहिचान झल्कना करके कलात्मक चित्र बनाइकलाग समुदायमे छलफल चलाइल समाजके अध्यक्ष दुःखीराम कठरिया बटैलै ।

“कठरिया पहिचानके घर निर्माण फेर सुरुवात करेकलाग समाज लागल बा”, उहाँ कहलै,“काहेकी, उ हमार पहिचान हो । यकर साथे, भाषा, लिपी, शब्दकोष निर्माणके लाग हम्रे काम करटी रहल बटी ।” समाजके अनुसार नेपालमे कठरियाथारु समुदायके जनसङ्ख्या ४० हजारसे ५० हजारसम रहल अनुमान बा ।

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