थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ वि.सं १२ आश्विन २०८२, आईतवार ]
[ 28 Sep 2025, Sunday ]

कुवाँर १४ गते थारु समुदायके ढिकरहुवा

पहुरा | ११ आश्विन २०८२, शनिबार
कुवाँर १४ गते थारु समुदायके ढिकरहुवा

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ११ कुँवार ।
पश्चिमा आदिवासी थारू समुदायमेके कुवाँर १४ गते मंगरके रोज डसियाके ढिकरहुवा रहल बा । कुँवार ११ गते शनिच्चरके रोज दहिटनके सराढ रहल इ बरस कुँवार १३ गेत सोम्मारके रोज पैनस्टोपी धोइना अर्थात् ढिकरहुवाके लाग तयारी कर्ना दिन परल बा ।

थारु बृद्धिजीवीहुकनके अनुसार पैनस्टोपीके दिन ढिकरी बनाइक लाग चाहना लौव धानक् चाउरके पिठा पसैना, ढिकरी उसिनेक् लाग प्रयोग हुइना पैनलगायत सामग्री धोइना दिन डशियामे घोर्वा ओ डिया फेर्ना प्रचलन परल हो ।

तयारीपाछे कुँवार १४ गते मंगरके रोज डसियाके महत्वपूर्व दिनके रुपमे मानजिना ढिकरहुवा परल हो । थारू समुदायमे लौव धानेक् चाउरसे बनाइल ढिकरीहे प्रसादके रुपमे देउ दुर्गाहुकन चह्राके पूजापाठ कर्ना प्रचलन रहटी आइल बा । ढिकरी चह्राके पूजापाठ कर्ना दिनहे भव्यतापूर्वक ढिकरहुवाके रुपमे मनैना प्रचलन रहटी आइल हो ।

डसियाके एक प्रमुख दिनके रुपमे मानजिना ढिकरहुवाके दिन कौनो फेन घरके घरमुली तथा कुलदेउताहुकनके पूजा कर्ना मनै दिनभर निराहार व्रत बैठल रठै । साँझ्याके विधिपूर्वक पूजापाठ करलपाछे किल उहाँहुक्रे प्रसाद स्वरुप ढिकरी ओ अन्य परिकार खैठै ।

थारू बुद्धिजीवीहुकनके अनुसार यी दिन पूजापाठ कर्ना मनै तथा पुजेह्रुहुक्रे विहानके लहाखोरके लाठिक् बोझा, पौवा, गुलेरुवालगायत टमान आकार प्रकारके ढिकरी बनैठै । साठे लग्गेक् बनुवा मन्से बेलुक डाँढ, कुश, भेलाक् पटिया पूजाके लाग नन्ठै । ओकरपाछे बनुवा मन्से नानल बेलुक काँटामे ढिक्री झलरमलर गस्काके विधिपूर्वक घरेक कुल देवताहुकनके पूजापाठ कर्ना थारू समुदायके संस्कार रहल थारू बुद्धिजीवी दिलबहादुर चौधरी जानकारी डेलै ।

थारू समुदायमे ढिकरहुवाक् दिनहे उत्सवके रुपमे मनैना प्रचलन फेन चल्टी आइल बा । ढिकरहुवाक् पाछे अर्थात् कुँवार १५ गते पिट््रहुवा, पिट्टर अस्रैना दिन परल बा । कलेसे कुँवार १६ गते डसियाके टीका परल हो ।

यहेबीच हिन्दूधर्मालम्बीहुक्रे बिफेक रोज डसियाके फूलपातीके रुपमे मनागिल बा । धुमधामके साथ विधिपूर्वक घर–घरमे फूलपाती भित्र्याइना फेन करजाइठ् ।

घरघरमे गन्ना, अदुवा, केराक् बोट, धानेक् बाल, बेलुक पट्टा, दारिम, जयन्ती ओ अशोकके फूल तथा अन्य लौव फुंगीसमेत विधिपूर्वक फूलपाती भित्र्याइना प्रचलन रहल बा ।

फूलपातीके रूपमे साँझ्याके उ चीज घटस्थापनाके दिन स्थापना करल डसिया घरमे राखजाइठ् । आजके दिन डसिया घरमे पूजारीसहित फूलपाती लन्ना ओ भित्र्याइना फेन करजाइठ् ।

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