थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत २८ भादौ २६४९, शनिच्चर ]
[ वि.सं २८ भाद्र २०८२, शनिबार ]
[ 13 Sep 2025, Saturday ]

विचार

थारु समुदायके अटवारीः कहिया ओ कैसिक

थारु समुदायके अटवारीः कहिया ओ कैसिक

अटवारी, थारू समुदायके महान् चाड माघ पाछेक दोसर भारी पर्वके रूपमे मानजाइठ । यी पर्वमे खास कैके पुरुषहुक्रे निराहार व्रत बैठके मनैठैं । यद्यपि स्वेच्छा कोइ महिलाहुक्रे फेन व्रत बैठल पाजाइठ । दीर्घायू, सुस्वास्थ्य एवम् सुखमय जीवनके
ज्योर्तिमय अस्टिम्की पर्व ओ थारु

ज्योर्तिमय अस्टिम्की पर्व ओ थारु

हरेक जातजातिके सभ्यताके विकास सँगसँग भाषा, कला, संस्कृति, मूल्यमान्यताके विकास हुइटि गैल ओ कालान्तरम मैगर संस्कृति बन पुगल । थारु जाति कला संस्कृतिम बहुट धनी ओ सम्पन्न जातिके रुपम चिहिन्जाइठ । थारु समुदायम मनाजिना विविध चाडपर्वमध्ये
दक्षिण एसियाके आर्थिक आउर राजनीतिक किनारामे थारु किसान आउर कमैया थारु

दक्षिण एसियाके आर्थिक आउर राजनीतिक किनारामे थारु किसान आउर कमैया थारु

थारु किसान दक्षिण एसिया आउर नेपाल के इतिहासमे किसान आन्दोलनके एकथो बहुत बरवार हिस्सा ओगथ्थै। थारु पहिचान आउर राजनीतिक, आर्थिक संघर्ष आठारौं शताब्दी से सुरु हुके आजतक फेन चल्ती रहल बा। नेपाल जब एकथो बरवार नेपालमे एक नइ हुइल रहे तब
अर्थतन्त्रके मेरुदण्डः उद्योगबिना सम्भव नैहो

अर्थतन्त्रके मेरुदण्डः उद्योगबिना सम्भव नैहो

आज नेपालसे भोग्टी रहल प्रमुख चुनौतीमध्ये रोजगारी अभाव सबसे गहिर समस्या बनसेकल बा । प्रत्येक वर्ष हजारौं युवाशक्ति विदेश जैना क्रम बह्रटी बा मने ओकर मूल कारणमे सरकारके योजनाविहीन नीति, उद्योगविहीन आर्थिक ढाँचा ओ स्थानीय रोजगारी
रोजगारीके अस्रामे मुक्त कमैया

रोजगारीके अस्रामे मुक्त कमैया

कमैया मुक्ति घोषणा हुइल २५ वर्ष पुगल बा । २०५७ सावन २ गते सरकारसे कमैया मुक्तिके घोषणा करले रहे । मुक्ति घोषणा हुइल वर्ष जन्मल मुक्त कमैयाके छावाछाइ लक्का जवान हुइल बटैं, जिहिनहे ओइनके अभिभावक कैसिक जमिन्दारके सास्ती खेपल पटा नैहो
कमैयामुक्तिः विगतके संघर्ष, वर्तमानके चुनौती ओ भविष्यके स्पष्ट योजना

कमैयामुक्तिः विगतके संघर्ष, वर्तमानके चुनौती ओ भविष्यके स्पष्ट योजना

कमैया प्रणाली नेपालके सुदूरपश्चिम ओ लुम्बिनी प्रदेश तराईके पाँच जिल्ला—दाङ, बाँके, बर्दिया, कैलाली ओ कञ्चनपुरमे थारुसमुदायसंग गहिर रूपमे गाँसल ऋणमे आधारित बन्धुवा श्रम प्रणाली हो । नेपालके इतिहासमे श्रमशोषणके सबसे अमानवीय रूप
खेटुवामे गुन्जे छोरल सजना

खेटुवामे गुन्जे छोरल सजना

थारू कृषि लोकगीतमे द्वापर युगके श्रीकृष्ण ओ महाभारतकालीन गाथा समाहित हुइनाले थारू समुदायमे प्राचीन कृषि प्रणालीके झझल्को विल्गाइठ । रोपाइँके बेला घामपानीसे जोग्न छटरी (डन्डी नैरहल परम्परागत छटरी) टरे बैके धानके बेर्ना उखर्ना
सुकौराकोट दरवार

सुकौराकोट दरवार

परिचय सुकौराकोट दरवार साविक उरहरी गाँउ विकास समिति वडा नं. ९ हाल तुलसीपुर उपमहानगरपालिका वडा नं. ११ सुकौरा गाँउमे परठ । महाभारत श्रंखलासे बहल पातुखोलाके पूर्वी तट शिवालिक श्रृंखलाके फेदसे बहल बबई नदीके उत्तरी तटमे रहल यी स्थल थारु
चुनौतीके चक्रव्यूहमे नेपाली अर्थतन्त्र

चुनौतीके चक्रव्यूहमे नेपाली अर्थतन्त्र

नेपालके अर्थतन्त्र अब्बे टमान घरेलु ओ बाह्य चुनौतीके दोहोरो चक्रव्यूहमे फसल बा । महामारीपाछेक पुनरुत्थान, वित्तीय अनुशासनके कमी, कर्जा वितरणके विकृति, ओ संस्थागत कमजोरीके कारण आर्थिक प्रणाली अस्तव्यस्त बनल बा । आउर नियमनकारी
रानाथारु वैशाष कि चराई काहे मनात

रानाथारु वैशाष कि चराई काहे मनात

द्वापर युग से कलियुगमें खकडेहरा पर्व के बाद चैत कि चराई मानत आए है पर चैत कि–चराई मनायक अगले वैशाष कि चराई काहे मनात है ? परापूर्व काल घेन कि बात है जगत भुईंहार एक नामी सिद्धी प्राप्त भर्रा रहय (भुईंहार–भर्रा) एकय बात है आजकल हम जाधा