थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत ०३ कुँवार २६४९, शुक्कर ]
[ वि.सं ३ आश्विन २०८२, शुक्रबार ]
[ 19 Sep 2025, Friday ]

विचार

प्रथागत कानूनसे संरक्षित डारु ओ यिहिसे थारू समाजमे पारल प्रभाव

प्रथागत कानूनसे संरक्षित डारु ओ यिहिसे थारू समाजमे पारल प्रभाव

पृष्ठभूमि डारुहे हिन्दु संस्कृतिमे सोमरस कहल पाजाइठ । हिन्दुहुकनके महान ग्रन्थ रामायण ओ महाभारतमे वैदिक कालमे मनोरञ्जनके लाग देवीदेवता समेत सोमरस सेवन करल बाट उल्लेख करल पाजाइठ । नेपालमे प्राचीन कालसे किराँत, लिच्छवी ओ मल्ल
थारू भाषासेवी तथा शिक्षाप्रेमी सगुनलाल

थारू भाषासेवी तथा शिक्षाप्रेमी सगुनलाल

गोचाली पत्रिकाके एक अभियन्ता सगुनलाल चौधरी २०५८ साल पुस १२ गतेक् दिनसे वेपत्ता बाटैं । मने, उहाँक कौनो खोजखबर नैहो । दाङ जिल्ला सौडियार–९, बेलहरी गाँउमे बाबा आशाराम थारू ओ डाइ गुइती थारूके मैगर कोखमे छुट्की छावक् रुपमे सगुनलाल चौधरीके

‘टिकापुर जनविद्रोह’ को गलत भाष्यकरण र ‘रेशम चौधरीहरू’ को रिहाईको प्रश्न

डम्बर खतिवडा एक अनौपचारिक सुचनाअनुसार करिब एक महिना अघि प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओलीका सल्लाहकार विष्णु रिमाल र सूर्य थापा कैलाली क्षेत्र नं. १ का माननीय सांसद रेशम चौधरीलाई भेट्न जेल गएका थिए । भेटमा उनीहरूले प्रम ओलीको प्रस्ताव
थारु साहित्यके उपन्यास ओ उपन्यासकार

थारु साहित्यके उपन्यास ओ उपन्यासकार

उपन्यासके ओंरि थारु साहित्यमे आख्यानके ओंरि रामप्रसाद राय थारुके ‘थरुहट के बउवा और बहुरिया’ पोस्टा कैल (सर्वहारी, २३ः २०७०) । मने रामप्रसाद रायके थरुहट के बउवा और बहुरिया (२०१९) हे महेश चौधरी गीति नाटक कहले बटाँ । डा.गणेश खरालके अन्सार
थारू विद्रोहको अपराधीकरण बन्द गर

थारू विद्रोहको अपराधीकरण बन्द गर

अघिल्लो हप्ता उच्च अदालत, दिपायलले २०७२ भदौ ७ गते एक बालकसहित आठ जना सुरक्षाकर्मीको ज्यान जाने गरी घटेको टीकापुर काण्डमाथि फैसला सुनायो, जसमा पहिल्यै कैद भुक्तान गरिसकेका थारू नेता लक्ष्मण थारूसमेत, रेशम चौधरी लगायतलाई जन्मकैदको
उच्च अदालतके फैसलाः औरे टीकापुर विद्रोहके संकेत

उच्च अदालतके फैसलाः औरे टीकापुर विद्रोहके संकेत

‘सिताराम भाइ माघ तिह्वार मनैलक महाध्यार बरस होगिल बा, यी साल दाजुभाइ मिल्के संग यिह कारागार म हुइलसेफे माघ तिह्वार मनाइ परल है ।’ पोहोर सालके माघ आघे रेशम दाजुहे डिल्ली बजार कारागारमे भेटे गिलबेला उहाँसँग हुइल सम्बाद हो यी । संगीत
किसान नेता राधाकृष्ण थारू

किसान नेता राधाकृष्ण थारू

राजनीतिहे कमाके खैना भाँरा बनैना टे टमान बाटैं, मने राजनीतिमे निष्ठापूर्वक आजीवन लागके प्राण उत्सर्ग करना राजनेताहुकनके कमी बा । बर्दियाके राधाकृष्ण थारु ओहेमध्ये एक रहिट जो भूमिहीन किसान सुकुमवासीके अगुवा रहिट । २०१५ सालमे
दाङ–देउखरके सफर

दाङ–देउखरके सफर

कबोजबो कहुँ जाइकटन् रबो टे मनम् खुट्का लागल रहठ । कब दिनपात पुगी टे हाली जैम कैहके सोंच्टी रबो । अस्टे–अस्टे सोंचले होकि का कुछ दिनसे यी जीउक् मजासे निन् नै परिस् । फागुन महिन्क समय ना कहे, ना टे ओत्रा जार, ना टे ओत्रा घाम । यात्रा
पहिचान हेरागिल

पहिचान हेरागिल

सबके अलग पहिचान रहठ । हमार थारु जातिनकेफे अपन अलग्गे पहिचान बा । अलग टरटिहुवार बा । बिल्कुले फरक नाचगान बा । अलग रितिरिवाज, चालचलन, पहिरन बा । फरक भाषा, फरक रहनसहन बा । हमार छुट्टे पहिचान बा । मने आब ओहे पहिचान हेराइ लागल बा । हमार पहिचान
थारु भासक् संरच्छन कसिक ?

थारु भासक् संरच्छन कसिक ?

ओंरवा लेहेबेरः डस्या, डेवारिक उपलच्छ्यमे बहुट जाने सुभकामना साटासाट करल हुइबि । फेसबुक, एसएमएस मार्फट फेन बहुट जाने सुभकामना लेहल, डेहल हुइबि । एक फेरा मनन् करि टे । का अपनेक पठाइल डस्या, डेवारिक सुभकामना अपने थारु भासम् रहे टे ? रहे