पहुरा
२९ कार्तिक २०७७, शनिबार
ओजरिया रात, सक्कु ओर ओजरार, डेवारीक समय, चक्ढौं चक्ढौं..मन्द्रक आवाजले मोर निंद नै परटहे । किहुसे बोलक बट्वाइक लाग टे सबजाने डेवारी मन्नम व्यस्त रहिँट । बाबा मट्वार होके सुटल रहे, डाडु भइवन अपन सँघरियनसँगे नाच हेरे गैल रहिँट । डाई मामन्