पहुरा
३ आश्विन २०७७, शनिबार
‘लो री पवनहरीह काथा सुने बैठह, यापन दुधपुत लेले ।’ — धनुबाण डेखैटी, कुछ कटी तीन पटकचो जग्गेके फन्का लगैलै गाउँक् सम्हनीया (कटुवाल) । अनेक अनेक सामग्रीले सजल रहे जग्गे । पीप्परक कन्टाहे गाडके पीप्परक रुखवक् परिकल्पना करल रहे ।