थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १३ बैशाख २६४८, बिफे ]
[ वि.सं १३ बैशाख २०८१, बिहीबार ]
[ 25 Apr 2024, Thursday ]

थारु महिलन्हे खै अधिकार ?

पहुरा | १३ चैत्र २०७७, शुक्रबार
थारु महिलन्हे खै अधिकार ?

मै सुव्वर पल्ठु । ओकर मोलमोलाइ करना अधिकार नैहो । मुर्गी पल्ठु । उ छोट जीव बेच्ना अधिकार महिन नैहो । घरेक सबकाम— भात पकैना, भाँरा धोइना, लिपपोत करना, सबके लुग्रा धोइना लगायत सबके सब काम मै करठु मने घरके कौनो फेन निर्णय प्रक्रियामे मै अदृश्य रठु ।
निर्णय लेनामे अपन शरीरउप्पर मोर स्वायत्तता नैहो । प्रजननके निरन्तरता या नियन्त्रणके छनौट करना महिन छुट नैहो । मोर प्रजनन अधिकार हम्रे बैठ्ना सामाजिक नियम, हमार समुदाय, हमार परिवारके अधिनमे रहठ ।

टब फेन ढेर अनुसन्धान बोलठ थारु महिलाहुक्रे ढेर बाटमे स्वतन्त्र बाटैं । कथित उच्चजातीय छेत्रीबाहुन महिलासंगके तुलनात्मक अध्ययन अइसिन निष्कर्षमे पुगे सेकठ फेन । जोन पूर्ण सत्य नाइहो । थारु महिलाके स्वतन्त्रताके कुछ आंशिक यथार्थ पक्के बा । जस्टे महिला मासिकश्राव हुइल बेला हिन्दु संस्कारमे जस्टे थारु समुदायमे बर्ना चलन नैहो । महिनावारी हुइना ओ नैहुइनासे थारु महिलाके दैनिकीमे कुछ फेन भिन्नता नैरहठ । महिनावारी हुइल बेला छुए हुइना ओ छुए नैहुइना, भित्तर बाहेर करना जस्टे कुछ व्यवहार वा व्यवस्था नैहो ।

थारु समुदायमे विधवा विवाहहे सहज रुपमे लेजाइठ । जिहिनहे थारु भाषामे रांर भोज कहिजाइठ । श्रीमान्के मृत्यु हुके हिन्दु महिला जस्टे जीवनपरन्त उज्जर कपडा लगाइ पर्ना सामाजिक सांस्कृतिक व्यवस्था नैहो । मने श्रीमान्के नाममे घल्ना चुरियाटिक्ली (चुरा ओ टीकुली) भर वर्जित बा ।

थारु समुदायमे गोसियक मृत्युपश्चात गोसियक भैया (देवर) संग परिवार विधवा महिलाके विवाह कराडेना चलन रहे । मोर आजा बिटलपाछे मोर आजीके विवाह उहाँके देवरसंग कराडेहल रहे । मोर आजी अपन देवर (श्रीमान्) से भारी रहि ।

थारु समुदायमे भौंर पैठ्ना चलन बा । यी चलनअन्सार थारु महिला अपन मन पराइल पुरुष अपन घरमे भित्रैइठैं । विशेषकरके गोसियाके मृत्यु हुसेकल एकल महिला गोसिनियक मृत्यु हुसेकल एकल पुरुषहे अपन गोसियक रुपमे भित्र्याइठैं । उ पुरुषके छावाछाइ रलेसे उ बालबच्चा फेन अपनैना चलन बा । कौनो अवस्थामे अइसिन भित्र्याइल गोसिया अविवाहित फेन हुइ सेक्ठैं । यी चलन दुर्लभ बा ।

थारु समुदायमे अइसिन कुछ चलन रटिमे थारु महिला स्वतन्त्र बा कना निष्कर्षमे पुग्ना जायज नैरहठ । ऐतिहासिकतासे असमानता भोग्टी आइल थारु महिलाउप्पर न्याय करटी अइसिन विष्लेषणसे । निष्कर्षमे पुग्ना पूर्व थारु महिलाहुकनके भोगाईसंग निकटके सम्बन्ध रहेपरठ ।

मै मोर आजी, बुडी, डाइहे सुन्टी ओ डेख्टी आइल बाटु । मोर अपन फेन भोगाई बा । मोर सुनाइ, डेखाइ ओ भोगाईके अनुभवमे थारु महिलाहुक्रे कत्रा दलनमे रहे ओ बा कना यथार्थ गवाही हुइट । कना टे कहिजाइठ, आदिवासी समाज मातृसत्तामे निर्मित हुइठ । यी एकडम प्राचिन बाट हुइल हुके हुइ, आजके थारु महिलाके अनुभव मातृसत्तासे एकडम फरक रहल बा ।

मोर आजी जवान रटि मोर आजा बिट्लैं । आजीके विवाह उहाँके देवरसंग हुइल । महिन नैगालठ नैलागठ कोइ फेन मोर आजीके चाहना बुझल हुइ, उहाँहे लवण्डा मन परल बा नैहो कहिके । कैयौं विधवा महिलाके विवाह देवरसंग हुके, महिलाके उमेर देवरके से एकडम भारी रहिट । कैयौं विधवा महिलाके विवाह १०/१२ वर्षके बच्चासंग कराजाए । एक परिपक्व महिलाहे विवाह वा दोसर विवाह करेबेर लवण्डा छन्ना स्वतन्त्रता नैरहे ।

कृषि प्रणालीमे बचल समाज घरायसी ओ खेतीपाती सम्हारेक लाग किल पटोहिया भिœयाइना चलन रहे । अपन जीवनसाथी अपनसे छनौट करना अधिकारहे परिवार ओ समाज अस्विकार करे । भौंर पैठ्ना चलनबारे सतही रुपमे सुन्के पितृसत्ताहे का चुनौती डेहेजस्टे लागठ । महिला पुरुषहे भित्र्याइना बाट पुरुष महिलाहे घरमे भित्र्याइल जस्टे सहज नैहुइठ । यी दुईमे आकाश धरती जत्राके फरकपन बा ।

भित्र्याइबेर बखत घरभित्तर करना संस्कार करेबेर घरके सब झ्यालढोका थुनेपरठ । गाउँके मनै पुरुष भित्र्याइना घरहे घेरा डारजाइठ । लौराहुक्रे सुसज्जित गाँउलेहुक्रे उ घरके भित्ता ओ छानामे ठटैठैं । घरमे नोक्शान पुगैठैं ।

जबकि छाइ मनैन्हे विवाहकरके भित्र्याके गाँउभरकहे बलाके भोज खुवइठैं । पुरुषहे भित्र्याइबेर घरमे क्षति पुगजाइठ । उ पुरुष ओ ओकर सन्तानहे बचटसम हेयके दृष्टिसे हेरजाइठ ।

मोर बडिकके पालामे भर्खर किल कुछ स्कूल खुलल रहे । औरेक घर जैना जात कहिके बुडिहे स्कूल नैपठैलैं । बुडु भर प्राथमिक तहसम पह्रे पैलेरहैं । मोर डाइक समयमे फेन छाइ घरके काममे सघाइ परठ कटी स्कूल जाइ नैडेलैं । मोर बाबा क्याम्सप लेबलसमके पह्राइ करलैं मने ओहे घरमे हुर्कल मोर फुइभर स्कूल जाइ नैपैली । एक फुइहे औरेक घरमे काम करना (कम्लरही बने) पठागिल । फेन यि टे पारिवारिक बाट हुइ । मने यी केवल एक परिवारके सत्य कथा नाइहो । समाजके वास्तविकता हो यी ।

घरबाहेर हेरलेसे थारु महिलाके स्थिति अभिन भयानक बा । एक चो मै बुडिहे पुछ्नु, पहिले पहिले कौनो महिला बलात्कृत हुइट टे उ मुद्दा कैसिक सुल्झे कहिके । उहाँके बाट सुनके मै भावविह्वल हुइनु । बलात्कृत हुइल कौनो महिला उ घटना लुकाइ नैसेकके खण्डमे गाउँके भलमन्सा बरघरहे खबर होए । टब गाउँमे खेल (बैठक) होए । उ खेलमे गाउँके पुरुष किल (एक घरसे एक पुरुष अनिवार्य) उपस्थित होए । उहाँहुकनके निर्णय होए बलात्कारीसे डाँर लेजाए (फाइन तिरैना) । उबेला रुपिँयापैसाके जमाना कम रहल ओरसे डाँरके रुपमे सुवर, भेँरी आदि तिरेपरे । उपाछे सब पुरुष मिलके खाइट । ‘का करही, मोर बुडि जवाफ रहे, डाँर टिराइट ओ गाउँक सक्कु थारु मिलके खाइट ।’

थारु शब्दसे विशेषत थारु पुरुषहे जनाइठ । जैसिक ‘मान्छे’ शब्द ‘पुरुष’ हे किल समेटठ । मान्छे कहेबेर पुरुषके इमेज जैसिक बनठ, थारु कटिकिल फेन पुरुषके इमेज बन्ना हो । थारु समुदायमे ‘थारु पुरुष’ हे इंगित करना ‘थारु’ शब्दके प्रयोग करजाइठ । अपन श्रीमान्हे फेन ‘थारु÷थरुवा’ कहिजाइठ कलेसे श्रीमतीहे ‘जन्नी’ ।

अइसिन नश्लवादी ओ सेक्सिस्ट समाजमे थारु महिला त्रुटिपूर्ण वा अपूर्ण कथाके सामना करेपरल बा । काल्हसे आजसम । थारु समुदायके आकांक्षा थारु पुरुषसे किल खास वर्णन करले बाटैं । थारु समुदायके गौरव करना इतिहास कहु लिख्लेसे फेन ओकर प्रतिनिधित्व केवल थारु पुरुष किल करठैं । थरुहट भूमि उर्वर बनैनामे फेन केवल आजा, बुडु, बाबाके योगदान किल उल्लेख हुइठ । आजी, बुडी, डाइक योगदान लोप पारजाइठ । थारु समाजके इतिहास फेन पुरुष न्यारेटिभ सुसज्जित मिलठ ।

अपनउप्पर हुइल यौन हिंसासे महिला गर्भवती हुइलमे, उहाँहे स्विकर्ना कौनो पुरुषके जिम्मा लगाडेजाए समाज । कौनो अवस्थामे भर उहाँउप्पर हिंसा करना पुरुषके जिम्मामे । अपन बलात्कारीसंग विवाह हुइल कल्पना करे सेकजाइ ? जहाँ जबफेन अपन बलात्कारीहे जबरजस्ती हेर्ना बाध्य पारजाइठ । उफ् । मन मिलके गर्भ रहना ओ ओक्रेहे जिम्मा लगैना फरक प्रसंग हो ।

थारु समुदायमे अपन गाउँके अगुवाई करना जिम्मेवारी महिला कबु नैपैलैं । गाउँके भलमन्सा, बरघर जबफेन पुरुष किल बनलरहना । भर्खर किल थारु बस्ती, विशेषकरके कैलाली ओ कञ्चनपुरके कुछ गाउँमे थारु महिलाहुक्रे भलमन्सा बन्ना अवसर नैपैठैं । थारु गाउँमे बाँडफाड करना चिरक्या, गुरुवाके जिम्मेवारीमे महिलाहे कबु कल्पना समेत नैकरजाइठ । तन्त्रमन्त्र जन्ना पुरुषहे गुरुवाके उपाधी डेहे सम्मान करजाइठ । मने महिला तन्त्रमन्त्र जन्ना बोक्सीनियाके आरोप लगाजाइठ ।

पारम्परिक रुपमे पुरुषसे ओगट्ना यि सब पद शक्ति ओ ज्ञानसंग जोरल रहठ । जस्टे, बरघर प्रत्यक्ष रुपमे शक्तिसंग जोरजाइठ । ओइसिन शक्ति जिहिनसे सक्कु गाँउबासीहे मोबिलाइज करठ । गुरुवा ज्ञानसंग जोरजाइठ । जेकर प्रत्यक्ष सम्बन्ध तन्त्रमन्त्रसंग रहठ ।

महिला तन्त्रमन्त्र सिक्लेसे बोक्सिनिया बन्ना कना महिला ज्ञान आर्जन करे नैहुइट कना मान्यता हो । महिला ज्ञान आर्जन करलेसे ओकर उपयोग करे नैजानठ । या टे विनाशके लाग गलत प्रयोग करठ कना पारम्परिक मान्यता हो ।

परिवारमे रहे या टे समुदाय, उप्परके यथार्थतासे थारु समुदायमे असमानताके मोडेल कत्रा जटिल अवस्थामे रहे/बा कना बटाइठ । अइसिन भेदभाव ओ स्टीरियोटाइप थारु समाजके संरचना ओ अभ्यासमे व्याप्त बा ।

थारु महिलाहुक्रे अपन परिवार, अपन समुदाय ओ समग्रमे राष्ट्रके कल्याणके लाग अभिन्न बाटैं । गाउँसमाजके अगुवाई करनासे अपने वञ्चित रलेसे फेन अपन प्रियजनके लाग अवसर सिर्जना करठैं । भलमन्सा, चिरक्या, गुरुवा हुइना प्रत्येक पुरुषके घरायसी काममा अधिक सहयोग पुगैना महिला हुइट । तथापी महिलाके योगदानहे मूल्यांकन नैकरजाइठ, ना टे मुआब्जा डेजाइठ । अपन समुदाय ओ देशके लाग थारु महिलाहुक्रे लगातार काम करलैं, मने समुदाय ओ देश ओइनके लाग का करल ? न्यायिक आवाज समेत उठाइ नैसेकल । थारु महिलाके वास्तविक स्थिति पुष्टि करना जानकारी बरु नुकाइठ ।

घरेलु काममे महिलाके प्रतिनिधित्व मने ओरक विपरित, सार्वजनिक जीवनमे उहाँहुकनके सहभागिता ज्यादा न्यून हुइल कारण पुरुष प्रभावशाली रठैं । सार्वजनिक जीवनमे पुरुष ओ महिलाके विभेदात्मक सहभागितासे महिलाके भूमिकाहे से पुरुषके उच्च मूल्यांकन करठ । थारु महिलाप्रति थारु समुदाय उदार रहल बताइल जस्टे भोगाई थारु महिलाहुकनके नैहो । थारु समुदायमे फेन पुरुष ओ महिलाके क्रियाकलाप अविभाज्य बा । मानो थारु महिलाके काम भात पकैना किल हो । घरके सबजे खाइल टठिया धोइना किल हो । मै डेखल, भोगल ओ सुनल थारु महिलाप्रति थारु समाजके दृष्टिकोण यिहे हो । मोर बुडिक फेन यिहे हो । मोर आजिक फेन यिहे हो ।

कथित उच्चजातके महिला भोग्ना से खासे फरक भोगाई नैहो थारु महिलाहुकनके । पितृसत्तात्मक परिवारमे भोगेपरना उ सब असमान रीतिथिति ओ नीतिनियममे बढेपरठ थारु महिला । थारु महिलाके नियती फेन ओहे हो, जहाँ महिलाहे केवल चुल्हाचौकाके डाइभर ओ बच्चा जन्मैना मशिनके रुपमे लेजाइठ । ओ घरभित्तर विशेष ध्यान केन्द्रित करके एक पितृवादी स्त्री आदर्श प्रतिनिधित्व करे लगाजाइठ ।

थारु समुदायमे पुरुष ओ महिलाके सम्बन्ध प्रभुत्व ओ अधिनताके हो । घरायसी सक्कु काममे महिलाके प्रतिनिधित्व हुइलेसे फेन प्रभुत्व पुरुषके रहठ । घरायसी ओ सार्वजनिक जीवन दुनु अवस्थामे । सामाजिक काममे असंलग्न बनैना महिलाहे बहिष्करणमे पारजाइठ । आखिरमे थारु समाज फेन पितृसत्तामे अट्कल टे बा ।

आदिवासी समाज मातृसत्तामे आधारित हुइठ कहिके अधिक वकालत करजाइठ । ओइसिक हो कलेसे मातृसत्ता कलेक एकडम महिला भात पकाइ परल कना हो ? सबके खाइल भाडाँ महिला मिसेपरना हो ? कि घरायसी सब काम करलेसे फेन खेतबारी ओ बाहेरक अन्य काम करना हो ? नेपालके कौन आदिवासी समाजमे महिला ओ पुरुष दुनु बराबर रुपमे घरायसी काम करठैं ? बरु घरबाहेरके काम महिला पुरुष दुनु बराबरी करठैं ।

घरभित्तरके यथार्थ का हो कलेसे, थारु महिला थारु हुइलमे हेपुवामे नैपरे परी । मने एक महिला शरीर लेके जन्मलमे सब मेरिक लैंगिक भेदभावके सामना करेपरठ । घरबाहेर निक्रलपाछे भर जातीय ओ लैंगिक पक्षपातके किनारमे बनल अपनप्रतिके धारणाके सामना करेपरठ । घरबाहेर जात व्यवस्थामे आधारित समाज बा । जहाँ नश्लवाद ओ सेक्सिजम एकसाथ मिलठ । जेकर प्रभाव विनाशकारी रहठ ।

अइसिन नश्लवादी ओ सेक्सिस्ट समाजमे थारु महिला त्रुटिपूर्ण वा अपूर्ण कथाके सामना करेपरल बा । काल्हसे आजसम । थारु समुदायके आकांक्षा थारु पुरुषसे किल खास वर्णन करले बाटैं । थारु समुदायके गौरव करना इतिहास कहु लिख्लेसे फेन ओकर प्रतिनिधित्व केवल थारु पुरुष किल करठैं । थरुहट भूमि उर्वर बनैनामे फेन केवल आजा, बुडु, बाबाके योगदान किल उल्लेख हुइठ । आजी, बुडी, डाइक योगदान लोप पारजाइठ । थारु समाजके इतिहास फेन पुरुष न्यारेटिभ सुसज्जित मिलठ ।

जब हम्रे (महिला) थारु महिलाके अभिनसम नैलिखल यथार्थता खिट्कोरठी, हमार अधिकार उल्लंघन करना सामाजिक संस्था ओ संस्कार पर्दाफास हुइठ । हमार आवाजसे पुरुषके पारम्परिक मानदण्डहे चुनौती डेहठ । ओ हम्रिहिनहे कौनो न कौनो रुपमे दोषी बनाजाइठ । कलंकित बनाजाइठ । चुप लगाजाइठ ।

मने कौनो न कौनो माध्यमसे हम्रे यी मौनता टेरे चाहठी । हमारमध्ये ढेरहे पटा नैहो कि हमारसंग अधिकार बा । टबेमारे हम्रे हमार अधिकार दावी करना असमर्थ बाटी । यदि हम्रे मौनता टुरडेब कलेसे, हमार अधिकारके संरक्षण हुइ । हमार कथा वास्तविकतामे आधारित नयाँ मने बिलकुल यथार्थ न्यारेटिभ निर्माण हुइ ।

हो, पुरुष लैंगिक समानताके विचारहे अंगालेके लाग पहिलसे ढेर सक्रिय बाटैं । मने बाट जब घरायसी श्रमके आइठ, परम्परागत मूल्यमान्यता हावी हुइठ । यिहे बटाइठ, लैंगिकताके बारेमे हमार विश्वास वास्तवमे कत्रा कडा बा ।

महिलाहुक्रे घरबाहेरके करियर निर्माण करनामे सर्वव्यापी समर्थन डेखाइठ अब्बे । टब फेन समाजमे महिलाके लाग प्रतिबन्ध अभिन अवस्थित बा, जोन बटाइठ कि करेपरना अभिन ढेर बा ।
कौनो फेन समुदायके महिला सशक्त ओ स्वतन्त्र हुइक लाग सार्वजनिक जीवनमे कत्रा सक्रिय बा कना एक पाटा टे हो । घरायसी काममे लैंगिक समानता ओ बरोबर हिस्सेदारी नैहुके सहि अर्थके स्वतन्त्रता लैंगिक समाज महसुस करे नैसेकी ।

हालः दक्षिण कोरिया

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