थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १३ बैशाख २६४८, बिफे ]
[ वि.सं १३ बैशाख २०८१, बिहीबार ]
[ 25 Apr 2024, Thursday ]

सामाजिक रुपान्तरणम गोचाली परिवारक योगदान ओ आगामी कार्यभार

पहुरा | २ आश्विन २०७८, शनिबार
सामाजिक रुपान्तरणम गोचाली परिवारक योगदान ओ आगामी कार्यभार

मानव सभ्यताक इतिहास वक्ररेखा पार कैक बनठ । हरेक युगमा उन्नत संस्कार ओ संस्कृति बनकलाग उ ब्यालक मानव समुदाय विद्रोह कर्ठ, सचेत ओ युगद्रष्टाहुक्र अगुवाइ कैक समाज रुपान्तरण कर्ठ । वर्गीय समाजम वर्र्गीय चेतनाले ओतप्रोत हुइल क्रान्तिकारीहुक्र जर्मठ । उहमार साम्यवादी विचारक कार्ल माक्र्स कठ “आज समके मनैनके इतिहास वर्गसंघर्षके इतिहास हो ।” गोचाली परिवारके गोचाली अभियान फे ओस्टह एक विषम परिस्थितिम जर्मल सचेत थारुन्के वर्गीयचेत सहितके विद्रोह गोचाली अभियान हो । महेश चौधरी, सगुनलाल चौधरी ओ भगवतीप्रसाद चौधरीलगायतके युवाहुक्र दांग जिल्लाम असिन अवस्थाम गोचाली परिवार जर्मइल जुन अवस्थाम नेपालम पंचायती व्यवस्था आपन पुरापुर पकड जमाक नेपाली जनतन् निरंकुश शासन चलैल रह ।

थारु भाषा तथा साहित्य सुधार समिति, पश्चिमाञ्चल, नेपाल (गोचाली परिवार २०२८) सालम जर्मल । २०७४ सालम उह गोचाली परिवार थारु भाषा उत्थान मंच नेपाल, (गोचाली परिवार) क नाउँम बर्दिया जिल्ला प्रशासन कार्यालयम विधिवत दर्ताहोक क्रियाशील बा । , २०२१ सालम तथाकथित भूमि सुधार कार्यक्रम लागु हुइल रह । थारुन्के आदिभूमि दांगम थारुहुक्र भूमिके मालिक हुइना कहाँ हो कहाँ, उल्ल सामन्ती ओ जमिन्दारी शोषणके मार आपन मैगर थातथलो छोर्क गाउँक गाउँ बुह्रान छारा कर्टिरलह । गोचाली परिवार जर्मनाके खास मकसद् थारु समुदायहुकहन् जातीय ओ वर्गीय उत्पीडनके विरोधम थारुन् सचेत ओ संगठित पर्ना रह । अत्रकेल नाहोक निरंकुश ओ समन्ती राजतन्त्रके सिकंजासे थारुन् मुक्त कर्ना रह । दांगसे बरवार संख्याम बुह्रान छारा कर्टिरलक थारुन् आपन हककेलाग लरकलाग सचेत ओ संगठित कर्ना फे उद्देश्य रलक डेखपरठ । आपन मुल भूमिम बेदखल हुइना नाही भूमिक हक पाइलकलाग लर्नाहो नाहीकी भग्ना कैक थारुन् छारा जिनकरो कैक मेरमेरिक अभियान चलागिल । गाउँ गाउँम जाक सम्झैना ठेसे नाटक, गीतबाँसके माध्यमसे सचेत बनैना फे कैगिल । उहमसे थारु भाषाम गोचाली पत्रिका निकार्क पह्रल लिखल थारु युवाहुकहन् जागरुक बनैना फे अभिप्राय रह, गोचाली परिवारके । उह गोचाली पत्रिका थारु भाषक पहिला पत्रिका ह्वाए गइल । थारु साहित्यम गोचालीक नाउँ स्वानक अक्षरले लिखगिल बा ।

आज गोचालीक स्वर्ण दिवस (५० वाँ वर्षगाँठ)क अवसरम गोचाली अभियानक प्रभावबारेम परिशीलन कर्ना धृष्टता कर्टीबाटुँ । गोचाली अभियानके समालोचना ओ समीक्षा यी छुटिमुटी लेखम समेट्ना असम्भव बा । उहमार यी लिखोट गोचालीक गौरवमय इतिहासके उत्खनन् कर्ना एक कडी हो कलसे फरक नैपरी । उहम फे गोचालीक स्वर्ण दिवसक अवसरम गोचालीक यात्राहन सिंहावलोकन कर्ना बाट अप्नहम ऐतिहासिक ओ सान्दर्भिक बा ।

गोचाली परिवारके गोचाली अभियान बहुआयामीक बा । एक्क कोणसेकेल चर्चा कैक याकर प्रभाव मूल्यांकन कर्क न्याय हुइना अवस्था निहो । गोचाली परिवारके गोचाली अभियानके राजनीतिक, सामाजिक ओ साँस्कृतिक योगदान विट्ख्वार पर्ना जरुरत बा । अत्रकेल नाहोक, साहित्य ओ पत्रकारिताके क्षेत्रम फे ओत्रह बलगर योगदान रहल बा ।

राजनीतिक ओ वैचारिक प्रभाव

गोचाली परिवार अभियान निरंकुश राजतन्त्रात्मक पंचायती व्यवस्था विरुद्ध भएको कुरा छिपेको छैन । गोचाली पत्रिकाको पहिलो सम्पादकीयले र ओ हरेक पोस्टाम समेट्गिी लेख, गीत, कविता उहबाट उजागर कर्ठ ।

सम्पादकीयके पहिला अनुच्छेदम असिक लिखगिल बा  । “हम्र गरीव व धनीके बिचके फरकसे गरीव बन्क ठिचल बाटी । बेन हमहन उ गरीव परिवार से जौन आर्थिक दुरावस्थाले छिन्नभिन्न हुइल बाट । (नेपालके ज्यामी किसान) हुकहनसंग हमार लग्घुक सम्बन्ध ह्वाए जाई न की थारु जातिके नाउँम सम्पन्न परिवारसे । हम्र जातिवादके नाउँम जाति सम्पन्न बनाई नैचठी, वल्की जातिवादके नाउँम हुइना शोषणके समात्ति चहठी भलेही थारु जात काकर नैह्वाए ।

०३६ सालके जनमत संग्रह ह्वाए की ०४६ के जनआन्दोलन सक्कु मोर्चाम जहिया फे गोचाली अग्रगामी परिवर्तनके पक्षम ठह्र्याल बा । ०५२ सालसे सुरु हुइलक जनयुद्धकालम थारुन् चिंगारी बन्क मुक्तियुद्धम लामवद्ध बनाइकला गोचालीक ख्यालल भूमीका अतुलनीय बा । ठुमनी काण्डम शहादत हुइलक मोहन थारु, जनयुद्धम वेपत्ता पारगिलक गोचालीक संस्थापक सगुनलाल चौधरी, भिम बहादुर चौधरी, लगायत दर्जनौ योद्धाहुक्र आपन बलिदानी कर्लबाट । गोचाली जहिया फे प्रगतिशील बामपन्थी आन्दोलनसे गोचाली भिर्क मुक्तिकामी दशर्नसे लैस होक विद्रोहके डगरम आघ पहर्लकमा आजके रुपान्तरण सम्भव हुइलक बाट घाम जस्ट छर्लंग बा । उहमार राजनीतिक क्षेत्रम गोचालीक बरवार योगदान बा । जनयुद्धके तथ्यांक ह्यारबेर हजारौ सपुतहुक्र शहीद, वेपत्ता, आंगभंग ओ यातना पाइल संख्या रहल बा ।

नेतृत्व विकासके क्षेत्रम योगदान

थारु समुदायके उच्च व्यत्तित्व ओ लेखक महेश चौधरी, शिक्षक सगुनलाल चौधरी, भगवतीपसाद चौधरी, माननीय सन्तकुमार थारु, थारु आयोगके अध्यक्ष माननीय विष्णु चौधरी, नेकपा माओवादी क केन्द्रीय सदस्य ओ थारु नेता स्व. आर सी चौधरी, माननीय मेटमनी चौधरी, माननीय दिपेश थारु, बारबर्दियाके नगरप्रमुख दुर्गाबहादुर थारु (कविर), उपमेयर अन्जु दहित, शिक्षक जग्गुप्रसाद चौधरी, सुखिराम चौधरी, मेयर वडा अध्यक्ष निरन्जन चौधरी, जोखन रट्गैयाँ, विनोद सजना, इन्द्रजीत चौधरी, जानकी चौधरी, स्व. पुष्पराज चौधरी, कृष्ण चौधरी (सवाल), हुकुमदास थारु, जीतबहादुर चौधरी, फच्कहवक शहीद मोहन थारु, पत्रकार मानबहादुर चौधरी, सामाजिक अभियन्ता तुला चौधरी, सुदीन चौधरी, रीता चौधरी लगायतके सयौके संख्याम व्यक्ति ओ व्यक्तित्वहुक्र आव्व मेरमेरिक राजनीतिक, सामाजिक ओ साँस्कृतिक क्षेत्रम अग्रभागम आक नेतृत्व कर्टिबाट ।

सामाजिक ओ साँस्कृतिक प्रभाव ओ योगदान

गोचाली परिवार एक असिन सचेत ओ संगठित थारु अभियान रह समाजम रलक अशिक्षा, कुरीति ओ कुस.स्कार विरुद्ध आवाज बुलन्द करल ओ कर्टिबा । थारु समुदायम शैक्षिक विकासके चेतना फैल्याइकलाप गोचाली परिवारके बरवार भूमिका रलह बा । अस्टहक बाल विवाह, बहुविवाह, अनमेल विवाह, दैजाहा भ्वाज, सटाहा पटाहा भ्वाज जसिन कुसंस्कारके विरोधम सामाजिक ओ साँस्कृतिक अभियान दांग, बाँके, बर्दिया, कैलाली कंचनपुर ओ सुर्खेत जिल्लाम घनिभूत रुपम काम हुइल बा । दांगसे थारुहुक्र २०२१ सालसे सलह जसिन बुह्रान छाराकरबेर जीन जाओ बुह्रान, दांगह रुवाक बुह्रान मिल्ना मुस्किल बा कैक सम्झैटी गाउँ गाउँम महेश चौधरीक लिखल गीति नाटक डेखैना काम कर्लक अभियान स्मरणीय बा ।

भाषा ओ साहित्यके क्षेत्रम योगदान

साहित्य ललितकलाके एक अनुपम निधि हो । भाषाके विकासक लाग साहित्यक आवश्यक रहठ । जस्टक भाषा मानव सभ्यता ओ उन्नत संस्कृतिक निर्माणम बरवार योगदान करठ, भाषा साहित्यके डरंगाम पहुँरठ । साहित्यम जत्रा निखारपन आइठ, भाषा ओत्रा खनगर ओ चम्पनसे पप्पठ । भाषा मानव अनुभूतिके ध्वन्यात्मक रुप हो कलसे साहित्य शाब्दिक प्रतिरुप हो । उहमार भाषा ओ साहित्य एक्कम घसम्वारल रहठ । भाषा ओ साहित्य मानव ज्ञान ओ अनुभूति प्रतिकात्म रुपम एवा एकसे बहुट मनैनसम पुगैना बलगर माध्यम फे हो । भाषा साहित्य मानव निर्मित वस्तु हुइलक मार भाषा ओ साहित्य साँस्कृतिक भाव बोक्ल रहठ ।

नेपाल बहुजातीय ओ बहुभाषी तथा बहुसाँस्कृतिक देश हो । नेपालके १२३ जातिन्के १२९ भाषा रहल तथ्य भाषा आयोग निकर्ल बा । थारु भाषा खस् नेपाली, मैथिली ओ भोजपुरी पाछक चौथा बरवार भाषा समूह हो । ओसिन ट नेपालम भूगोलके हिसावसे नेपाली पाछ सबसे बरवार भूगोलम बोलजैजा भाषा थारु भाषा हो । छिटफुट रुपम थारु भाषाम लिख्ना ओ छपैना अस्टक नेपाली कागजम गिटक पोथी लिख्ना ट सयौं वरस पहिल सुरु हुइल बिल्गठ । थारु भाषाके मानकताके स्तरम थारु भाषाम लेखन ओ प्रकाशनके गोंरी डर्ना काम २०२८ सालम सुरु हुइल, ज्याकर गौरव थारु भाषक पहिला पत्रिका गोचाली कठे बा । थारु भाषा तथा साहित्य सुधार समिति, पश्चिमाञ्चल , नेपालके नाउँम महेश चौधरीके प्रधान सम्पादकत्व ओ अरविन्द चौधरी, भगवतीप्रसाद चौधरी, श्यामनारायण चौधरी ओ अमरराज चौधरी पहिला सहसम्पादक रलह । टेकबहादुर चौधरी व्यवस्थापन अध्यक्ष रलह कलसे सगुनलाल चौधरी प्रचारमन्त्री रलह । थारु भाषाम फे व्यवसायिक लेखन ओ पत्रकारिता करसेक्जाइड कना मान्यता गोचाली पत्रिका स्थापित करल । पंचायती व्यवस्थाम प्रगतिशील पत्रपत्रिका निकर्ना बन्देज रहलब्यालाम फे बनानसम पत्रिका छपाक नेपालम गुपचुप लान्क विक्रि वितरण ओ प्रचार प्रसार कर्ना कैलाजए । उहक्रमम कैलालीक जेलम सगुनलाल चौधरी एक वरस बन्दीहोक रह पर्लन् । गोचालीक दोस्रा अंक ट पंचायती सत्ता जफत जो कर्लक इतिहास बा ।

गोचाली पत्रिका थारु भाषक मानक इतिहास कायम कर्लबा कलसे गोचालीम आजसम पचास बरसम १८ अंक छापगिल बा । आजसम छापक पोस्टाम समेटगिल विधाम गीत, कविता, निबन्ध, कथा (बट्कोही), नाटक, लोकसाहित्य (गुर्वावक जलमौटी, अस्टिम्की, सखिया, मघौटा, नचनचवा, दिननचवा, हुर्डुंगवा, छोक्रा, महोटिया, अधरटिया, कठौरा, सजना, मैना, विहग्रा, सुन्डरी माढो) अस्टक हरमेरके सामग्री छापगिल बा । सक्कु अंकहन एकठाउँम ढैक अध्ययन ओ विश्लेषण कर्नाहो कलसे थारु लोककला ओ साहित्यके बखारी पाइसेक्जाई ।

गोचाली पत्रिका ओ अभियान थारु समुदायमकेल सीमिति निहो । सग्र देशके रुपान्तरण ओ प्रगतिशील साहित्यके फँट्वाम एकठो उर्भर ओ फुन्गर डबरक रुपम परिचित बा । गोचाली परिवार युद्धप्रसाद मित्र पुरस्कारसे सम्मानित हुइल बा । जौन प्रगतिशील साहित्यके क्षेत्रम बरवार ओ गौरवमय सम्मान हो । थारु साहित्यके इतिहासम गोचाली पत्रिकाके नाउँ स्वानक अक्षरले खिल बा । गोचाली पत्रिका ओ गोचाली अभियानक विषयम अन्तर्राष्ट्रिय रुपमफे प्राज्ञिक अध्ययन हुइल बा । अक्सफोर्ड विश्वविद्यालयके डा. क्रिस म्याडोनाल थारु भाषा ओ गोचालीक विषयम विद्यावारिधि कर्लबाट । अस्टकह स्थायी रुपम बेलायम बसोवासकर्ना अधिकारकर्मी एन्टी स्लेवरीके निर्देशक नेपाली नागरिक कृष्ण उपाध्याय फे थारु ओ गोचाली पत्रिकाके विषयम आपन पिएचडीक थेसिस् लिख्ल बाट । यी सक्कु परिवेशके आधारम कह सेक्जाइठ की समाज रुपान्तरण ओ भाषा साहित्यके क्षेत्रम गोचाली पत्रिकाके अतुलनीय योगदान बा ।

गोचालीक आगामी कार्यभार

गौरवमय विगत, भरोसायोग्य वर्तमान रलक गोचाली परिवार भविश्यके स्पष्ट ओ फट्कार कार्यदिशा ओ कार्यभार बनैना आवश्यक बा । संगीन घडीम विचारके ज्वाला बर्ना शोषित पीडित जनतन् भविश्यक राह डेखैना हैसियत रलक गोचाली आव झन् ढउरनक गोचालीन्से उक्वारभ्याँट कैक गोचाली भिर पर्ना व्याला आइल बा । जनतनके संघर्र्ष, सशस्त्र विद्रोह, जनयुद्ध, जनआन्दोलन हुइटी शान्तिपूर्ण राजनीतिक निकास पाछ संविधानसभामसे समाजवादउन्मुख सोच ओ सपनाबोक्लक संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रातम नेपाल सहितके संविधान मिलल अवस्था बा । उहमार खुल्ला परिवेशम थारु भाषा, सािहत्य ओ संस्कृतिक विकासके योजना बनपर्ना बा । कुछ सवाल ओ सन्दर्भ बुँदागत रुपम सुझैना प्रयास कैगिल बा ।

वैचारिक सवाल

गोचाली परिवार प्रगतिशील विचारके भ्रुणमसे जर्मलक ओर्से आजके खुल्ला परिवेशम प्रगतिशील विचार ओ सिद्धान्तके प्रवद्र्धनकेलाग योजनावद्ध अनुशिक्षण हुइना आवश्यक बा ।

साँगठानिक सवाल

सिद्धान्त दृष्टिकोण हो कलसे संगठन सिद्धान्त बोक्ना मेरुदण्ड हो । उहमार गोचाली अभियायनहन हिरगर ओ डरगरसे आघ बह्राइकलाग संस्थागत विकास ओ संगठनात्मक विकासके लाग सक्कु वडा, पालिका ओ थारुबहुल जिल्लाम संगठन बनैना योजना लन्ना जरुरत बा ।

सामाजिक तथा साँस्कृतिक सवाल

गोचाली परिवार स्थापना कालसे सामाजिक ओ साँस्कृतिक रुपान्तरण ओ प्रगतिशील संस्कृतिकपक्षम ठह्रेइलक बाट घामजस्ट छर्लंग बा । सामाजिक कुरीति ओ कुस.स्कारके पहिचान कर्टी वाकार विरुद्ध लागकलाग हस्तक्षेपकारी योजना बनैना आवश्यक बा । बालविवाह, बहुविवाह, बोक्सी प्रथा, भोजविवाहम अनावश्यक खर्च, जसिन सामाजिक समस्याके समाधान कर्ना कार्यक्रम बन्ना आवश्यक बा ।

भाषा तथा साहित्यके सवाल

गोचाली पत्रिका पहिला व्यवसायिक थारु भाषक पत्रिका हो । वाकरपाछ निक्रल पत्रिकाहुक्र गोचालीहन पछेर्लक डेखपरड । आब्ब थारु भाषाके मानकताके सवालम देशव्यापी बहस चलल बा । गोचाली असिन महत्वपूर्ण सवालम नेतृत्वदायी भूमिका निर्वाह करपर्ना आवश्यक बा । आपन प्रकाशनहन वार्षिक रुपम हुइलसेफे नियमित बनैना जरुरी बा । भाषा, साहित्य लोकसाहित्यके विधागत अध्ययन ओ प्रकाशन आवश्यक बा । उत्कृट ओ क्रियाशील लेखक अनुसन्धानकर्ता हुकहन प्रोत्साहन करकलाग फेलोशिप ओ पुरस्कार ओ सम्मानके काम कर्ना जरुरी बा ।

जय गोचाली

(यि लेख कार्यपत्रके रुपम गोचालीक स्वर्ण जयन्ती ओ पचासवाँ गोचाली दिवसक अबसरम २०७८ बैशाख १ गते बारबर्दिया नगरपालिकाके रानीजरुवा शहीद पार्कम हुइलक कचेहरीम प्रस्तुत कैगिल रह)

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