थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १६ बैशाख २६४८, अत्वार ]
[ वि.सं १६ बैशाख २०८१, आईतवार ]
[ 28 Apr 2024, Sunday ]

थारु गीतके ‘जादुगर’ राजु

पहुरा | २० फाल्गुन २०७८, शुक्रबार
थारु गीतके ‘जादुगर’ राजु

सागर कुस्मी
धनगढी, २० फागुन ।
‘पिर ना मानो ढानी हो मोरे, पिर ना मानो…,’ ‘प्रदेशी बने जाइटुँ डुर डेस, ढेउरे ढेर मै पैसा कमैबु लौटी घर अइबु…,’ इ गीत बीस बरस पहिले २०५८ साल ओर खोप गाउँ गाउँ सुनमिले । उ अँखरा असरक डगर एल्बम के हो । जे स्वर डेले बटैं थारु गीत स्वर धनी गायक राजु चौधरी (राज) ।

कैलाली जिल्ला कैलारी गाउँपालिका वडा नम्बर ३ उत्तर भर्रीके राजु चौधरी लोक गायनमे एकठो चहकार टोरैंयाँ हुइँट । लोक गायक स्वर्गीय पतिराम चौधरीके गीतसे प्रभावित होके उहाँ इ क्षेत्रमे छिरल हुइँट् । पहिल गीत सफल हुइलक बाड उहाँके ‘सोला सिंगार’ एल्बम (२०६०) मे, ‘पिर ना मानो ढानी हो मोरे…,’ ‘लेहंगा फरियम डेख्नु टुहिन हाँ…,’ ‘घुमट फिरट पुगली घारीघोरा टलुवा रे हाँ…,’ ‘हाँ हाँ लेहगा ओ अंगियामे फुल हस बिल्गावँइ…,’ ‘सपनामे डेख्नु सुन्दर साली…,’ ओ ‘सुग्घर गोरी बिलिटके हेरो, ओइ सजनी…’ लगायत ७ ठो गीतमे मिठास स्वर भरले बटैं ।
ओस्टेके, ‘डेख्टी मन लागठ टुहिन बलैना…,’ ‘ए हाँ री बारीमन डेखनु…,’ ‘खोलो खोलो मनके बाट…,’ ‘छिरकट रंग अबिर होली…,’ ‘धड्कन बनके आउ ना बात बटाइ…’ लगायत एक दर्जनसे ढेर गीत गाके थारु गीतसंगीतहे आघे बर्हैटी बटैं ।

ओस्टेके, ‘मोर चम्फा फुलुवार’ एल्बममे फेन गायक मनिराम चौधरीके संगे ‘मनमे सोँचु करम लागे आग किहिरे लगाउँ बड्नामे…’ कना गीतमे फें बैराग आवाज भरले बटैं कलेसे ‘रोजल डुल्हनियाँ’ एल्बममे ‘अरे चल गोरी लैजैबु टुहिन अपन गाउँ…’ एकदम चर्चित गीत हो ।

थारुलोक ओ आधुनिक गीत गाके स्रोटनके मन जिट्ना सफल गायक राजु चौधरी (राज)के अभिनफें दर्जनौं गीत अइना तयारीमे बा । गायन क्षेत्रमे २० बरससे लगाटार योगदान डेटी आइल उहाँके कलाहे घोडाघोडी मिडिया सञ्चार समूहसे विन्दास म्यूजिक अवार्ड २०७६ मे सर्वोउत्कृष्ट लोक गीत गायन पुरुष २०७६ से सम्मानित हुइल बटैं ।

अस्टेके, सिएस फिल्मस् प्रालिसे लोक गायनमे योगदान पुगैलकमे सिएस अवार्ड २०७६ सम्मानित हुइल बटैं । ओस्टेके, उहाँके गायन कलाहे उच्च मूल्यांकन करटी सुपके थारु सलिमा पहुरासे फेन सम्मानित हुइल बटैं । ओस्टेके डिलाइट क्याफेसे थारु गीतसंगीतमे ढेर योगदान पुगैलकमे फेन सम्मान हुइल बटैं कलेसे २०७६ सालमे निम अवार्डके छनौटमे टप थ्री सम पुगल रहिंट ।

उहाँ एक गरिब परिवारके हुइलेसेफें हमार थारु गीत संस्कृतिके लाग फे बहुट दुःख कष्ट भोग्टी आझ यहाँसम पुगल उहाँ कहठैं– ‘गीत संगीत पैसाके लाग किल नैहोके अपन संस्कृति गीत संगीतके बचाइक लाग फेन लागल बटैलैं ।’ उहाँ कहठैं– ‘२०५८ सालओर गीत गैना सहज नैरहे, उ बेलामे धनगढीमेफे रेकर्डि· स्टुडियो नैरहे, एकठो गीत रेकर्ड करेक लाग भर्री गाउँसे ठाँेठरा सइकिल लेके अत्तरिया पुगे परे ।

अत्तरिया पुगटसम भुख लग्लेसेफें नास्ता खैना पैसा नैहोके चिउरा ओ पानी पिके जिउ बुझाइ परे ।’ अट्रा संघर्षके बाबजुट फेन अभिनसम इ गीत संगीतहे निरन्तरता डेटि बटैं । उहाँ कहठैं– ‘जबसम सेकम टबसम निरन्तरता डेटि रहम ।’

ओस्टेके, टमान सक्रिय सुदूरपश्चिम कला प्रतिष्ठान, थारु लेखक संघ, हिरगर साहित्यिक बगाल, राष्ट्रिय कलाकार मञ्च लगायत संघसंस्थामे आवद्ध होके थारु कला संस्कृतिहे बचैना काम करटी बटैं । अइना दिनमे हमार थारु कला संस्कृति बचाइ लाग लावा पुस्टाहे मन लगाके, पुरान चिजहे अध्ययन कैके ओ गीत संगीत सिखके इ क्षेत्रमे लागे पर्ना अर्जि कर्नै ।

सत्तरीके दशकसे एहोंर थारु गीत संगीत एकदम आघे बर्हल बिल्गाइठ् । लावा लावा लोकगीत, आधुनिक गीत अइना क्रम जारी बा । गीत संगीत क्षेत्रमे लग्ना बहुत चुनौती बा, काहे कि हमरे आर्थिक रुपसे कमजोर हुइलक ओरसे चाहल अनुसार गीत संगीतके उत्थान करे नैसेकजाइठ् । हमार थारु समाजके सोंचमे फें बहुत फरक रहठ । थारु भासा कला संस्कृतिमे लागल बटैं कलेसे ओकर बात कट्ना काम करठै उहाँ दुखेसो बटुवइठैं– ‘ओहेमारे हमार थारु लोकगीत सोंचलहस आघे बर्हे नैसकठो ।’

के हुइँट् राजु ?

कैलाली जिल्लाके कैलारी गाउँपालिका (साविक हसुलिया गाविस ६) ३ उत्तर भर्रीके बाबा बेचन चौधरी ओ डाइ रामकुमारी चौधरीके कोखसे बर्का छावाके रुपमे जल्मल २०३९ सालमे इ ढर्टीमे गोरा टेक्लैं । उहाँके छोटेसे गीत गैना रुची रहिन । उहाँके एक गोसिनियाँ एक छावा फेन बटिन उहाँ एक गरिब परिवारके लर्का हुइँट् ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू