जलवायु परिवर्तनके चेपुवामे किसान

जलवायु दीर्घकालीन मौसम हो, जोन हम्रे सामान्यतया यी ग्रहमे बचल सब जीवजगत, चराचर, पशुपन्छी, भीमकाय जनावरसे सूक्ष्म जीव, परजीवी समेत अनुभव करटिरठि ।
यी ग्रहमे बाँचेक लाग सब जीवित प्राणीहे एक विशिष्ट जलवायुके आवश्यकता परठ । मने सन् १८०० के दशकसे जब औद्योगिक क्रान्ति सुरु हुइल, यी ग्रहमे पहिलेसे ढेर गुणा तापक्रम बह्रे लागल । औद्योगिक क्रान्तिसे हरितगृह ग्यासके उत्सर्जन ह्वात्ते बह्रके गैल । कार्बनडाइअक्साइड, मिथेन लगायत अन्य हानिकारक ग्यास वायुमण्डलमे हावा जस्टे अदृष्य तह हुके जम्मा हुइ लागल ।
अन्तरिक्षमे लौटे नैपाके यी ग्रहके तापमानहे न्यानो पारल । फलस्वरूप जलवायु परिवर्तनके चरम उत्कर्षके परिणाम तथा प्रतिकुल असर यी ग्रहमे परटि गैल । फलस्वरूप अतिवृष्टि, अनावृष्टि, खण्डवृष्टि, अनियमित वर्षा, मौसमी ढाँचामे परिवर्तन, किराके संक्रमण, सुख्खा, खडेरी, बाढी पहिरो, भूक्षय, शीतलहर, अधिक गर्मी जैसिन प्राकृतिक प्रकोपसे जलचर, थलचर लगायत वायुमे बैठ्ना प्राणीहे प्रतिकुल असर परटि बा । तापमान वृद्धिसँगे हिमनदी, हिमताल, हिमपर्वत तीव्र गतिमे गलटा, जिहिनसे महासागरके सतह फेन बह्रटि गैल बा ।
हालके ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्टके डेटा हेर्ना हो कलेसे सबसे ढेर कार्बनडाइअक्साइड ग्यास उत्पादन करना देशमध्ये चीन पहिल स्थानमे परठ, जे एक वर्षके अवधिमे लगभग १०.०६ अर्ब मेट्रिक टन उत्पादन करठ ।
ओस्टेक ढेर हरितगृह ग्यास उत्सर्जन करना देशमे क्रमश संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, रुस ओ जापान हो । कार्बनडाइअक्साइड एक गन्धरहित ग्यास हो, जोन यी ग्रहमे जीवनके लाग एकदमे महत्वपूर्ण बा । यिहिनहे हरितगृह ग्यास फेन कहिजाइठ । मने यकर अत्यधिक उत्सर्जनसे प्राकृतिक विनियमहे बाधा करठ, जिहिनसे जलवायुमे प्रतिकुल असर डेखाइ लागठ ।
जलवायु परिवर्तनके टमान सूचक तथा तथ्यांक हेरलेसे विकसित राष्ट्रसे सबसे ढेर हरितगृह ग्यास उत्सर्जन करठ । मने सबसे कम जोखिममे डेखाइठ । दुर्भाग्य नेपाल जस्टे कम हरितगृह ग्यास उत्सर्जन करना अल्पविकसित देश प्राकृतिक प्रकोप, जलवायु परिवर्तनके असरके एकडम उच्च जोखिममे रहठ ।
कारण– प्राकृतिक प्रकोपसे बच्न राज्यसँग ठोस नीति नैहो । प्राकृतिक प्रकोपसँगे बँच्न पूर्वतयारी नैहो । मौसम पूर्वानुमान सूचना प्रणाली व्यवस्थित नैहो । नागरिकहे जलवायु परिवर्तनके कौनो सचेतना नैहो । प्रभावकारी स्थानीय अनुकुलन योजना नैहो । भौगोलिक हिसाबसे आवधिक जोखिम अध्ययन नैहो ।
नेपालहे विश्वमे चिन्हैना टमान पर्यायवाची शब्द बा । जस्टे– सगरमाथाके देश, वनजंगल नदीनालाके देश, कृषिप्रधान देश, खाद्यके भण्डारके देश आदि । जे जैसिक चिन्हलैसे फेन नेपालके मूल मेरुदण्ड कलेक कृषि, पर्यापर्यटन आदि हो । मने दुःखके साथ कहेपरि, सरकार यी क्षेत्रहे कबु अपन उच्च प्राथमिकतामे नानल नैडेखाइठ । सिंगो देशहे पल्ना किसानके लाग कबु फेन कृषि नीति तथा कार्यक्रममे उचित बजेट विनियोजन करल नैडेखाइठ । किसानहुकनहे कृषि व्यवसाय करना प्रोत्साहन करे सेकल नैहो ।
अनेपक्षित रूपमे कबु एकदम कम या ढेर वर्षासे किसानहुक्रे वर्षौंसे बालीनालीमे क्षति हुइटिरहल क्रन्दन अब्बे फेन संसद भवनमे छलफलके विषय बने सेकल नैहो । और बाट टे छोरो, किसानहुक्रे कृषि बिमाबापत तिरेपरना जम्मा ५ प्रतिशत रकमके लाग फेन आकर्षण करे सेकले नैहो । टबेमारे अइसिन सरकारी औचित्यहीन नीति तथा कार्यक्रम बनैनाके कौनो अर्थ नैडेखाइठ ।
बर्सौँसे नेपालके तराईके जिल्लामे लगातार दुई–तीन दिनके वर्षासे किल फेन डुबानमे परल डेखाइठ । हजारौँ हेक्टर खेतबाली नोक्सान करटि बा । खेतीयोग्य जमिन नदी कटान करटा । पहाडी जिल्लामे पहिरोसे पुरल गाउँ सखाप हुइलेसे फेन ओइसिन जोखिम बस्तीहे पुनःस्थापना करना सरकार न टे कौनो पहल करल सुनजाइठ न टे कौनो नीति आघे नन्ले बा । एकडमहस कर्णालीवासीलगायत अन्य क्षेत्रके बासिन्दा खाद्य संकटमे परलेसे फेन खाद्य सुरक्षा नीति अभिनसम लागू करे सेकले नैहो ।
विश्वव्यापी रूपमे जलवायु परिवर्तनके प्रतिकुल असरहे न्यूनीकरण करना टमान देशसे अपनाइल सुरक्षा नीतिबारे नेपाल अनभिज्ञ डेखाइठ । नैटे खाद्य सुरक्षाके लाग खाद्य उपलब्धता, खाद्यमे सहज पहुँच, प्रयोग, दिगोपनाके लाग बहुआयामिक जलवायु परिवर्तनके विषयमे ठोस नीति बनाके प्रभावकारी ढंगसे कार्यान्वयन करटि रहट ।
स्वास्थ्य क्षेत्रमे करल अनुसन्धानहे हेरलेसे फेन अड्कल काटे सेक्जाइ । कृषिप्रधान देशमे अभिन फेन ३३ प्रतिशतसे ढेर मनै खाद्य असुरक्षासे प्रभावित बटैं कलेसे ३६ प्रतिशत बालबालिका खाद्य अभावसे पुड्का हुइल पागिल बा । अस्टेक ३५ प्रतिशत प्रजनन उमेरकाहे रक्तअल्पता देखाइल बा ।
जलवायु परिवर्तनसे कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, भौतिक पूर्वाधार, गरिबीजैसिन बहुआयामिक प्रभाव परलेसे फेन प्रत्यक्ष असर भर किसानहे डेखाइठ । किसानहुक्रे जल, जमिन ओ जंगलके एकडम समीपमे रठैं, प्राकृतिक स्रोतसाधनके उपयोग करना हुइल ओरसे जलवायु परिवर्तनके असर तथा सूचकबारे ढेर भुक्तभोगी रठैं ।
अब्बे डेखाइल तापक्रम ओ वर्षामे हुइल परिवर्तन, माटिक उर्बर शक्ति ह्रास, बालीमे टमान किरा फटिंगाके संक्रमण तथा प्रकोप, मौसमी तालिकामे डेखाइल परिवर्तन, अतिवृष्टि, अनावृष्टि जैसिन सूचकके बारे किसान एकडम प्रभावित हुइठैं । टबेमारे आब राज्यसे अनुकुलित कृषि प्रणालीहे जोर डेना आवश्यक बा ।
जलवायु परिवर्तनसे अन्नबाली उत्पादन हुइ छोरलबाड कुछ किसान अपनमे रहल ज्ञान, सीप, क्षमता, जनशक्तिके गलत अभ्यास फेन हुइल डेखाइठ । अन्न नैफरल कटि अब्बे आलुक पकेट क्षेत्र, माछा पल्ना, तरकारी उत्पादन करना हुइल ओरसे अन्नबाली उत्पादनमे ह्रास आइल डेखाइठ । टबेमारे कौनो फेन ठाउँके तत्कालीन लाभ ओ दीर्घकालीनरूपमे सन्तुलन बनैना किसानहे सिखैना जरुरी बा ।
एक्केमेरिक बाली उत्पादनसे आयआर्जनमे बृद्धि हुइलेसे फेन खाद्य असुरक्षा जोखिम फेन ओत्रे नानठ । अब्बे धेर किसान बाध्यतासे अपन अभाव पूर्ति करना दुई–दुई सिजन बाली लगैना, उत्पादन बह्रैना धेर विषादी मलखाद प्रयोग कैके माटिक उर्बराशक्ति क्षीण हुइटि गैल बा, जिहिनसे खाद्य विविधताहे सन्तुलन करना थप चुनौती थपल बा । अइसिन विषय कृषक पाठशालामे छलफल हुइना जरुरी बा ।
पहिले जस्टे किसान भण्डारण कैके ढरना रैथाने बीउबिजन चाहे उ तरकारीके रहे या धान गोहुँ मकै भण्डारण करना परम्परागत ज्ञान सब लोप हुइटि बा । ढेर उत्पादनके लोभसे हाइब्रिड धान, मकै, आलु, तोरी लगायतके बीउ उच्च मूल्यमे खरिद कैके छिट्ना लहर बह्रल बा । एकओर किसानहुकनहे आर्थिक व्ययभार थपल बा कलेसे औरेओर हाइब्रिड बीउ विषादी मल प्रयोग नैकरके किराके संक्रमण फेन ओत्रे बह्रल डेखाइल बा ।
किसान जलवायु परिवर्तनके सामना करना सक्षम डेखाइल नैहो । किसानसे प्रयोग करना किटनाशक रसायन प्रयोगसे फेन थप जलवायुमे प्रभाव परल बा । साथे पानीजन्य रोग जस्टे टाइफाइड, हैजा, झाडापखाला, आँखी पक्ना, पट्ठरी जैसिन रोग फेन धेर मात्रामे डेखाइल बा । जलवायु परिवर्तनसे एकओर उत्पादनमे ह्रास नन्ले बा कलेसे औरेओर किसान एकडम आर्थिक जोखिममे रहल डेखाइठ ।
टबेमारे जलवायु परिवर्तनके असरसँगे किसानहुकनहे अनुकुलित कृषि प्रणाली, बदलटि वातावरण सुहैना कृषि उपजमे सचेत बनैना जरुरी डेखाइठ । कृषि मन्त्रालय, वन तथा वातावरण मन्त्रालय लगायत मन्त्रालयसे जलवायु परिवर्तनसँगे जोरके कृषि अनुकुलन कार्यक्रम सञ्चालन करना अपरिहार्य बा ।
पछिल्का समयमे मन्त्रालयसे युएनके खाद्य तथा कृषि संगठनसँग मिलके जलवायुमैत्री कृषि लगानी अन्तर्गत पञ्चवर्षीय योजनाके लाग ७० करोड अमेरिकी डलर नन्लेसे फेन प्रभावकारी ढंगसे अभिन फेन कार्यान्वयन हुइ सेकल नैहो । संघीय संसदीय समितिसे तीन वर्षीय कृषि नीतिगत दस्तावेज तयार पारल हुइल ओरसे जलवायु अनुकुलनहे कृषिसँग जोरल नैडेखाइठ ।
टबेमारे अनुकुलित कृषि प्रणाली नीतिसँगे जलवायु परिवर्तनके मुद्दाहे उच्च प्राथमिकतामे ढरके कृषि विज्ञके समूह परिचालन कैके जलवायु परिवर्तनसे नाने सेक्न सम्भावित जोखिम कम करे सेकजाइ । ओस्टेक, माटिक जैविक गुण बह्रैना रणनीति, कृषि वन प्रवद्र्धन जैसिन नीति प्रभावकारी ढंगसे कार्यान्वयन करे सेकजाइ ।
कृषकहुक्रे बर्सेनि उत्पादन करल बाली क्षतिके लाग कृषि बिमा, सहज तथा सहुलियत दरमे कृषि ऋण लेना प्रोत्साहन करे सेकजाइ । भौगोलिक हिसाबसे विविधता रहल नेपालमे जलवायु परिवर्तनके सवालमे अभिन फेन पर्याप्त अनुसन्धान हुइ सेकल नैहो ।
भौगोलिक विविधताहे ध्यान डेके कृषकहुकनहे समय, मौसम सुहैना बाली उत्पादनमे जोड डेना जरुरी बा । किसानहुकनहे जलवायु परिवर्तन अनुकुलन कृषि प्रणालीमे उपयुक्त प्रविधिके प्रयोग, जुझ्न ज्ञान तथा सीप, उचित सिँचाइ व्यवस्थापन, सहुलियत दरमे मलखाद ओ बीउबिजनमे सहज पहुँच, उत्पादन बालीके समयमे उचित मूल्य निर्धारण, कृषि अनुदानमे सहज पहुँच, कृषि व्यवसायमे जोखिम बहन, व्यावसायिक क्षतिपूर्ति जैसिन कार्यक्रमहे उच्च प्राथमिकताके साथ सरकारसे ध्यान डेना जरुरी बा ।
साभारः कोसी अनलाइन

