थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत ०६ कुँवार २६४७, शनिच्चर ]
[ वि.सं ६ आश्विन २०८०, शनिबार ]
[ 23 Sep 2023, Saturday ]

साहित्य

सुर्खेत, साहित्य ओ सर्वहारी

सुर्खेत, साहित्य ओ सर्वहारी

‘सुर्खेत बुलबुलताल, माया मै सानो हुनाले छुट्यो मायाजाल,’ इ गिट मै छोटहिसे सुनल रहुँ । टब्बेहेसे लागे कसिनहुइ सुर्खेत ? पाछे सुर्खेतके मानबहादुर पन्ना भाइ कौनो काम विसेस मोर डेरा काठमाडौं, कीर्तिपुर अइलाँ, राट बसेरा बैठ्लाँ ।
थारु कविनसे कविता सुनागैल

थारु कविनसे कविता सुनागैल

पहुरा समाचारदाताधनगढी, १० फागुन । थारु समुदायके थारु कवि लोगन अपन अपन कविता सुनैले बटैं । मातृभासा दिवसके मौका पारेके बुक बस नेपालके आयोजनामे १३ जाने थारु कवि इन्टरनेट जूम कार्यक्रमसे कविता सुनाइल हुइँट् । कार्यक्रममे कंचनपुरसे
राष्ट्रिय थारु साहित्य सम्मेलन फागुन १२ गतेसे

राष्ट्रिय थारु साहित्य सम्मेलन फागुन १२ गतेसे

सागर कुश्मीधनगढी, १० फागुन । छठुवा राष्ट्रिय थारु साहित्य सम्मेलन २०७८ कंचनपुर जिल्लाके कृश्नपुर ६ सिंहपुर गाउँमे हुइ जैटी बा । थारू भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति प्रवद्र्धनमे सहयोग पुगैना उद्देश्य सहित फागुन १२, १३ ओ १४ गते तीन दिनसम
घाँस खैना बघुवा

घाँस खैना बघुवा

असार–सावनके महिना । बर्खामे फेन चटाकसे घाम लाग जैना, एक्केघरिम पानी बुन्डियाइ लग्ना । बर्खामे ना काम रहि ना खाइ पैबो । पन्सोठके टिना सब निम्झाइल रहठ । ओ, बर्खहिया सँपार ओस्टे । एकरोज बर्कान दिदी टिना खोजे बनुवाँ चलो कलिन् ।
एक चुम्बनम सिमित प्यार

एक चुम्बनम सिमित प्यार

कुछ बरस आघक बात हो । जब मै मुगुक सदरमुकाम गमगढीम बैसु । शिक्षण पेशाके सिलसिलाम रनहुँ । आफन घर पर्‍यार, इष्टमित्रसे दूर, फरक भूगोल, फरक संस्कृति, फरक भाषाके रनहुँ । एक दिनके बात हो मै स्कुल ओहर जैटी रनहुँ तब एकठो गोह्रर गोह्रर बठिन्या
चली गोचा संगे परगा बर्हाइ

चली गोचा संगे परगा बर्हाइ

गोचा टुँ ओ मैमुस्कान के बियाँ छिट्केरात दिन पस्ना चुहाकेहिमालसे गोचाली भिंरकेपहारसे मित जोरकेतराईके फँटुवामेचली गोचा संगे परगा बर्हाइजल स्रोतके खानी हिमालमे बाखनिज पदार्थके स्रोत पहारमे बाऔद्योगिक स्रोत तराईके मैदानमे बाअत्रा
थारु लेखक संघसे एक स्रष्टाहे सम्मान कैना

थारु लेखक संघसे एक स्रष्टाहे सम्मान कैना

पहुरा समाचारदाताधनगढी, १६ माघ । थारू लेखक संघ नेपाल धनगढी कैलाली ‘थारू साहित्य पुरस्कार २०७८’ से मौलिक तथा सांस्कृतिक गीत संगीत विधामे एकजाने स्रष्टाहे सम्मान कैना हुइल बा । धनगढीमे बैठल कार्यसमितिके बैठकसे अइना फागुन ११ ओ १२ गते
मन्के लागल ‘मनके आवाज’

मन्के लागल ‘मनके आवाज’

विगत ढेर बरससे कंचनपुरके साहित्यिक स्रस्टा लोगनके खोजीमे डौरटि रहल यी पंक्तिकारके आब बलटल साँस अइलिस । कंचनपुर जिल्लाके थारु भासामे गजल लिख्के कृति प्रकासन करुइया अशोक चौधरी पहिल स्रस्टा हुइँट् । एम्ने कौनो दुइ मत नैहो । आझ खुसी
मोर छातीक् घाउ

मोर छातीक् घाउ

ना टे निन परठना टे भुख लागठना टे मनमे चयन होना टे खैले खा जाइठना टे आछट पाटीसे निक हुइठना टे डाक्टारके दवाइ लागठ ।आँस पोंछटीदिन बिटलअँठवार बिटलमहिना बिटलपुरा साल बिटलटब्बो परनैआइल मनमे उमंगनैछाइल तनमे रंगछावक् अस्रे अस्रामे ।कसिक
मघौटा गीत

मघौटा गीत

घोराही शहरम लागल बजाररे हाँ ।घोराही शहरम…,लागल बजाररे हाँ ।घोराही शहरके सेन्डुरा लान्डेबु रे धनि ।घोराही शहरके सेन्डुरा लान्डेबु रे धनि ।। तुल्सीपुर शहरम लागल बजाररे हाँ ।तुल्सीपुर शहरम…,लागल बजाररे हाँ ।तुल्सीपुर शहरके झोबन्ना