थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १४ बैशाख २६४९, अत्वार ]
[ वि.सं १४ बैशाख २०८२, आईतवार ]
[ 27 Apr 2025, Sunday ]

साहित्य

भल्मन्सक मघहा सुरा

भल्मन्सक मघहा सुरा

भल्मन्सा बरा परेसान बटाँ । काजेकि हुँकार मघहा सुरा हेरा गैल बटिन । गइल अघनमे खरिड्ले रहिंट । पुस भर भल्मन्सिन्या लगाके खुडा डारि कलेसे कुन्टलसे उप्पर सुरा हो जाइ कना अनुमान रहिन् । ओइसिन टे भल्मन्सा अपने फेन सुवर पल्ना मनै हुइट ।
भाषा साहित्यफे हमार संस्कृति हो

भाषा साहित्यफे हमार संस्कृति हो

मानबहादुर चौधरी ‘पन्ना’ सुर्खेतके वीरेन्द्रनगर नगरपालिका वडा नम्बर २ लौवस्तामे जन्मल स्रस्टा हुँइट । बाबा सुकलाल थारु ओ डाइ बेलौरी थारूके छोट्का छावक् रुपमे वि.स. २०३७ असार १२ गते जन्मलक साहित्यकार ‘पन्ना’ के ढुकढुकी (कविता संग्रह
बजार जैना बा

बजार जैना बा

चलो होइ संगे, बजार जैना बा,सयमे का आइठ, खर्चे हजार जैना बा ! जिट्ना टे बहुट, सहजिल बा लकिनजान जान के अप्खिन, हार जैना बा ! गहिंर कटरा बा पटा चलि, ठहाँके चलोबहुट जन्हुनहे अभिन, ओहपार जैना बा ! मुट्ठा टे एकदम, पानीम जा जाइ लकिनअब पानीहे मुट्ठम,
यहाँ हँस्टि बटुँ मै

यहाँ हँस्टि बटुँ मै

मनमे पिर रलसे फेन यहाँ हँस्टि बटुँ मैसमस्यासे जुझ्टि जिन्गिसे लर्टि बटुँ मै उलारडब हुइटि रहट् जिन्गिक् लर्हियाढकेल् ढकेल् नेंगैटि जिन्गि कट्टि बटुँ मै राजनिटिक बाट सुन्के कान पाक्गिल बाटभुन डुनियाँ भरिक् टमासा डेख्टि बटुँ मै
महिन काहे लाट बनैलो

महिन काहे लाट बनैलो

हे भगवान महिन काहे लाट बनैलो ।यी संसारमे छाइक काहे जात बनैलो । यी स्वार्थी दुनियाँमे सक्कुजे आझ,छाइहे कर्ना एकठो घाट बनैलो । भोजपाछे अउरेक घरमे जाइपरठ,छाइके घर केल काहे रात बनैलो । संसारमे अइसिन रीत काहे हुइल यहाँ,नैखाके नैहुइना
माघ

माघ

माघ टु लौव वरष हुइटोमाघ टु मुक्तिक दिवस हुइटोमाघ टु सद्भावके प्रतिक हुइटोमाघ टु मेलमिलापके प्रतिक हुइटो । हरेक साल सबजन माघ मनैठहरेक साल टुुहार नाउँम महोत्सव कर्ठहरेक साल टुहार नाउम नाच नौटङ्की कर्ठहरेक साल लर्कासे बुह्राइलसम
पस्ना

पस्ना

सोन केक्रोे कल्पनामे नै फरठ्,केक्रो सपनामे फेन नै फरठ्,न ट फरठ्, केक्रोे भावनामेउ टे फरठ्,पस्नक बहटु लडियक् बिचमझुवामे । भुँख्ले पेट पस्ना चुहाकेजमिन उर्बर बने सेकठ्समठर हुइ सेकठ्,ओ, फराक फेन हुइ सेकठ्मुले, इ ढर्टिमेअँखुवा निकरके
फुलकुमारीहुक्र

फुलकुमारीहुक्र

सत्य हो इ बाटहमार पुर्खाओनइ थारू हो कैख चिन्हैना चिजएक्ठो भेग्वा फे रहउ ब्याला पुर्खाओन रहर नाहिबाढ्यटा रलहिनमजुबुरि रलहिनविवसटा रलहिनआमम्हि कहबेर गरिबीपन रलहिनभेग्वा लगाइ पर्नापुट्ठा डेखाइ पर्नाकर्रा चुट्टर डेखाइ पर्नालाज
रम्ट रम्टम

रम्ट रम्टम

सुनसान् गल्लिमडम डम डमरु बाजठरम्टक ¥याला बहठअंगना, बहरि, कोन्टिमबारि ब्युँरा ओ खेन्हवमज्वान, बुह्राइल, ढिह्रयाइल सबजनखन्हेइठ साँक्किर गल्लिमरम्ट रम्टम ।१।डमरु बाजठ टालमकलकर्हवा गाइठ सुरमरमकल्लि, लाल मुह चुम्रइटिखियाइल डाँट
हमे छक परछिन

हमे छक परछिन

क्रन्तिके खातिर उठल करमठ हाथसवकुरसीके खातिर सदैये झुकल देखछिन ।जनपछिय कहलावे वला नेतासवपैसाके लालचमे बिकल देखछिन, तहमे छक परछिन ।माटिके अधिकार आने साकवु कहेवलासवन्यायके खातिर सडकमे उतरल देखछिन ।क्रान्ति देखिके डरावेवला आदमीसियाकेसहिदके