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अशोक हेल्परसे दक्ष मिस्टरिया

पहुरा | १० आश्विन २०७७, शनिबार
अशोक हेल्परसे दक्ष मिस्टरिया

दुई हजारसे सुरु करल वर्कसपमे लाखौंके कारोबार

नरेन्द्र चौधरी
कैलारी, १० कुवाँर ।
कहठै जिन्दगीमे लक्ष्य प्राप्तीके लाग वा कौनो फेन काममे सफलता हासिल करक लाग सपना जरुर डेखे परठ् । सपना डेख्लेसे अवश्य नै उ सपना एक न एक दिन पुरा हुइठ् । ओकर लाग मेहनत फेन कैना ओत्रे जरुरी रहठ् ।

अस्टहे जीवनमे सफलता हासिल करक लाग एकठो सपना डेख्टी कडा मेहनत सहित लक्ष्य प्राप्ती कैना सफल व्यक्ति हुइट अशोक चौधरी । कैलारी गाउँपालिका वडा नम्बर ३, निम्वाबोझीके अशोक १८ बरस पहिले एक दक्ष मिस्त्री बन्ना सफना डेखल रहिट । जौन सपना सकार हुइटी उहाँके लक्ष्य प्राप्ती हुइल बाटिन् । अशोक अब्बे एक दक्ष मिस्त्रीके साथे व्यापारी फेन बनसेकल बाटंै ।

गरिब घरपरिवाके रहल अशोकहे ओहकान डाइबाबा ढिउर पर्हाइ नाइ सेक्लिन् । कमैया परिवारके रहल उहाँहुक्रनके जग्गाके नाउँमे घरेरीके लाग डेढ कट्ठा किल रहे । अशोक आपन घरक अवस्था बुझके ७ कक्षा पह्रटी रहल बेला बिचमे पह्राइ छोरके मिस्त्री काम कैना ओर लागल रहिट ।

‘घरक अवस्था नाजुक रहे’, अशोक कहलै– ‘घर खर्च चलैना टे बाबाहे कर्रा रहिस, महिन पह्राइ कैसिक ? मै अपनहे घर अवस्था डेखके पह्राइ छोर्नु ओ काम सिखे करे लग्नु ।’

अशोकके बाबा फेन एक दक्ष मिस्त्री हुइट । बाबा फेन मिस्टरिया रनामे अशोकके मिस्टरिया बन्ना सपना डेख्ना स्वाभाविक हो । पहिले ओहकान बाबा गाउँघरमे इन्जन बनाके परिवार पालिट । इन्जन बनाइल बाफत बर्सेनि एक घरसे एक कुन्टल धान लेना करिट । इन्जन बनाइल बाफत उहाँके वार्षिक ५०/६० कुन्टल धान आए, उहीसे आपन घरपरिवारके गुजारा चलाइट । अब्बे फेन ओहकान बाबा इन्जन बनैना काम करठ्नि ।

‘मोर बाबा फेन एक दक्ष मिस्त्री हो’, अशोक कहलै– ‘पहिले मोर औरे सपना रहे, पर्हके बरवार मनै बन्ना, मने पाछे पह्राइ छोरके मिस्त्री काम करे लग्नु टब किल दक्ष मिस्टरिया बन्ना लक्ष्य लेनु ।’
अशोकहे एक दक्ष मिस्टरिया बनक लाग ढिउर मेहनत करे परलिन् । अशोक १५ बरसके उमेरमे पह्राई छोरके मेकानिकल काम सिखक लाग २०६० सालमे भारतके देशपलिया गैलै । वहाँ उ ३ बरस जत्रा हेल्पर बनके काम सिख्लै । वहाँ काम सिखेबर बिना ज्याला काम करलै । मने उहाँहे लहैना ओ कपडा ढोइक लाग ओहकान मलिक्वा साबुन सरफके लाग अँठ्वारमे ५ रुपिया भारु किल डेना करिन् ।

ओकर पाछे फेरसे नेपाल आके अशोक पवेरामे रहल अक्षय वर्कसपमे हेल्परके काम करे लग्लै । वहाँ फेन अशोक बिना ज्यालाके काम करलै । अशोक वहाँ कम्तीमे ५ बरस काम सिख्लै ओ करलै ।

पाछे वहाँसे फेन भारतके टेकुनियामे काम सिखे गैलै । वहाँ अशोक महिनाके दुई सय रुपियाँमे कम्टीमे तीन बरस काम करलै ओ सिख्लै । ओकर पाछे फेनसे नेपाल आके हसुलिया बजारमे रहल राम एण्ड सन्स हार्डवेयरमे मेकानिकके रुपमे काम करे लग्लै । अशोक टमान ठाउँमे मेनानिकल काम सिखके दक्ष बनसेकल रहिट । हार्डवेयरमे फेन उहाँ १ बरस मेकानिकके रुपमे काम करलै ।

दक्ष मिस्टरिया बनक लाग अशोक टमान वर्कसपमे १२ बरस बिटैलै । ओट्ठनसे अशोक कुछ अपने करु कहिके मनमे सोचे लग्लै । मने आपन वर्कसप ढारक लाग लगानी कहाँ पैनाहो कहिके अशोक चुपाजाइट् । तौन फेन कम लगानी हुइलेसे फेन अपने व्यापार सुरु कैना हो कहटी अशोक २०७२ सालनमे साढे दुई हजार लगानीमे हसुलिया एकठो खोँकासे वर्कसप सरु करलै ।

‘मै मिस्टरिया टे बन्नु, मने अपने वर्कसप ढारक लाग पैसा कहाँ पैना हो कहिके चिन्तामे परल रहुँ’, अशोक कहलै– ‘तौन फेन कुछ फेन काम करे बर छोटेसे सुरु करे परठ् कना सुन्ले रहुँ । मै फेन आपन वर्कसपके लाग कम लगानीसे कामके सुरुवात कैनु ।’

उ खोँकामे एक ओर किरानाके सामान टे औरे ओर इन्जन, पावर टिलर, टयाक्टर बनैना समान रख्लै । ‘दिन दुई गुना रात चौगुना’ कहेहस डेख्टी डेख्टी अशोक लाखौंके व्यापार कैना सफल हुइलै । पाँच छ बरसमे अशोक लाखौं कमैटी रहल बाटै । अब्बे अशोकके वर्कसपमे करिब ३५ से ४० लाखके करोबार रहल बा ।

अब्बे अशोकहे कामसे फुर्सत नाइहो । वर्कसपमे ईन्जन, पावर टिलर, टयाक्टर बनुइयनके लाइन बा । उहाँ वर्कसप संगे हार्डवेयरके फेन कारोवार करटी रहल बाटै । अशोकके अब्बे मासिक ६०÷७० हजार रुपिँया बराबरके आम्दानी रहल बटैलै ।

अशोक यहाँसम पुग्ना आपन गोसिन्या रामदुलारी चौधरीके बरवार हाठ रहल बटैठै । ‘मोरिक यहाँसम पुगना गोसिन्याके बरवार हाठ रहल बा’, अशोक कहलै– ‘वर्कसप खोलल् पाछे मै गाउँ गाउँ जाके इन्जन, पावर टिलर ओ टयाक्टर बनाउ कलेसे मोर गोसिन्या वर्कसप हेरिट । गोसिन्याके अत्रा सहयोग नाइ रहट टे मै यहाँसम नाइ पुग्टँु ।’

अब्बे अशोक नेपाल मजदुर संगठनसे मेकानिकके अनुमति पत्र फेन लेसेकल बटैलै । अशोक अब्बे टमान संघ संस्थाके समन्वयमे मेकानिकल तालिम फेन डेटी रहल बाटै । उहाँ कैलारी गाउँपालिकाके आर्थिक सहयोग तथा स्मार्ट सोसाईटी नेपालके आयोजनामे मेकानिकल सम्बन्धि तालिम फेन डेसेकल बाटै । अब्बे ओहकानठन सिखल ढिउर जाने टमान ठाउँमे काम कैके आत्मनिर्भर बनल बटैलै ।

दयनीय आर्थिक अवस्थासे गुजरल अशोक १२ बरस पाछे बल्ल आपन सोचल सपना पुरा हुइल बटैठै । डाईबाबा, गोसिन्या, छावा, भैयाबहुुरिया सहित ७ जनहनके परिवार रहल अशोकके अब्बे घरमे सक्कु चीज जुरल बा ।

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