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पहुना चिरैँनसे भरिभराउ घोडाघोडी टल्वा

पहुरा | १४ मंसिर २०७७, आईतवार
पहुना चिरैँनसे भरिभराउ घोडाघोडी टल्वा

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १४ अगहन ।
चिरैँचिरुङ्गी अवलोकनके लाग प्रसिद्ध मानजैना घोडाघोडी सिमसारमे आगन्तुक चिरैँनके चहलपहल बर्हल बा । हरिहाँसके लाग प्रसिद्ध घोडाघोडी टल्वामे हिउँद यामभरके लाग पहुना चिरैँ आइल बाटै ।

उपयुक्त आहाराके खोजी ओ जुरार छलक लाग मंगोलिया, साइबेरिया, उत्तरी चीनसे पहुना जलपक्षी यहाँ आपुगल जनाइल बा । हिउँदमे कैयौं माइल उरके आगन्तुक चिरैँ घोडघोडीमे आइल हुइट । पाहुना चिरैँनके चिरविर, चिरविर आवाजसे अब्बे विश्व रामसार क्षेत्रमे सूचीकृत घोडाघोडी टल्वाके रौनक झन बर्हल बा ।

पानीमे यत्रतत्र पौह्टी खेल्टी करल ओ कमलके पटियामे ‘क्याटवाक’ करटी चिरैँनके दृश्यसे मनै लोभ्याइना करल बा । जलपक्षीके लाग मजा बासस्थान मानजैना घोडाघोडी टल्वामे हिउँदमे डेखजैना आगन्तुक चिरैँनके चहलपहल बर्हल चराविज्ञ हिरुलाल डंगौरा बटैलै । ‘बसाइँ सरके अउइया पहुना चिरैँनके चहलपहल बर्हल बा,’ उहाँ कहलै ।

घोडाघोडीमे जुरारमे बसाइँ सरके २९ प्रजातिके पाहुना चिरैँ अइना करल बाटै । यी बरस हालसम कैलेटाउके हाँस, श्वेताँखीभौ, खडखडे हाँस, मरुल, ठूलो जलेवा, लघु राजपुत्रिका, चञ्चले, सुडसुडिया, रुख सुडसुडिया, टिमटिमे, वन सुडसुडिया, मसिनोठूँडे टिमटिमे आपुगल बाटै । ‘जुरारमे डेखजैना पाहुना चिरैँ ढिउर आसेकल बाटै,’ चराविज्ञ डंगौरा कहलै, ‘आभिन अइनाक्रममे रहल बाटै ।’

सुदूरपश्चिम प्रदेशके गहनाके रुपमे रहल घोडाघोडीमे ६४ प्रजातिके जलपक्षी पैना करल बाटै । जौनमध्ये कुछ रैथाने हुइट कलेसे जार सिजनमे बसाइँ सरके अइना चिरैँ टमान डेशसे अइना करठै । बसाइँ सरके आइलमध्ये कैलेटाउके हाँस विश्वमे लोपोन्मुख रहल प्रजाति हो । ओस्टके, यहाँ औरे फेन विश्वमे दुर्लभ जलपक्षी पैना करल बाटै ।

‘यी बेला मंगोलिया, साइबेरिया ओ उत्तरी चीनमे अत्यधिक जार रहठ्,’ चिरैँ विज्ञ डंगौरा कहठै– ‘उहाँँ अत्याधिक जार सुरु हुइलपाछे उहाँके चिरैँ उपयुक्त बासस्थान ओ आहारा खोज्टी कैलालीके घोडाघोडी सिमसारसम आपुग्ठै ।’ यहाँ आइल पहुना जलपक्षी फागुन मसान्त (मार्च पहिल दुसरा साता) सम रहना करल बटाइल बा । गर्मी बर्हे लागलपाछे आगन्तुक चिरैँ फेरसे ओहोरो जैना करठै ।

हिउँदे पहुना चिरैँनके चहलपहल, पानीमे खेलल् दृश्यसे घोडाघोडी टल्वा अवलोकन करुइयाहुक्रे मन्त्रमुग्ध बनैना करठ् । घोडाघोडी सिमसार क्षेत्रमे ३४२ प्रजातिके चिरैँ पाजैठै । यहाँ चिरैँनके अवस्था सुधारोन्मुख रहल डंगौरा बटैलै । ‘लावा–लावा प्रजाति थप्टी गैल बाटै,’ उहाँ कहलै ।

घोडाघोडी सिमसार जल ओ स्थल चिरैँनके लाग अत्यन्त उपयुक्त ठाउँ मानजैटी आइल रलेसे फेन प्राकृतिक बासस्थानके विनाशसे चुनौती थपल जनाइल बा । जलपक्षीके बासस्थानमे गडबडी आइल बा कलेसे स्थल पक्षीके बासस्थान विनाश हुइटी रहल बा ।

सिमसार क्षेत्रमे मिचाहा प्रजाति बर्हके चिरैँनके बासस्थान नै फरक हुइल जनाइल बा । मिचाहा प्रजातिके झारके कारण चिरैँनके खेलल् लाग खुल्ला ठाउँ कम हुइटी गैल डंगौरा बटैलै । ओस्टके, चोरी सिकार, जथाभावी मच्छी मर्र्ना, सिमसारमे मानवीय गतिविधि बर्हटी जैना लगायत कारणसे चिरैँनहे चुनौती हुइल जनाइल बा । ‘बासस्थानमे गडबडीके कारण जलपक्षीके संख्यामे घटबढ हुइना करठ्’, उहाँ कहलै ।

किसानसे खेतीपातीमे अत्यधिक मात्रामे विषादी प्रयोग करेबर उहीसे फेन जलपक्षीहे हानी कैना करल बटाइल बा । जलपक्षीके ब्रिडिङमे मानवसे हुइना हस्तक्षेपसे फेन ढिउर नोक्सान हुइना रकल संरक्षणकर्मीके बुझाइ बा । कतिपय मनै पक्षीके ठाँठसे आँरा, बच्चा निकारके खैनाके कारणसे पक्षी संरक्षणमे चुनौती रहल चिरैँ संरक्षण नेटवर्क कैलालीके अध्यक्ष डीआर चौधरीके कहाइ बा । चेरी सिकार नियन्त्रणके लाग टमान जनचेतनामूलक कार्यक्रम करटी आइल उहाँ बटैलै ।

घोडाघोडी टल्वा क्षेत्रमे चिरैँ अवलोकन पर्यटनके ढिउर सम्भावना रहल बा । चिरैँ अवलोकन कैना मन परुइया आन्तरिक तथा बाह्य पर्यटकहुक्रनहे घोडघोडीसे अस्रा लग्टी रहल डंगौरा बटैठै । पाछेक समय कोरोना कहरके कारण पर्यटन उद्योगमे ढिउर असर परले बा ।

मुलुकके प्रसिद्ध पर्यटकीय स्थल पर्यटक अभाव खेप्टी रहल बाटै । ओइसीन समस्यासे घोडाघोडी टल्वा फेन अछुतो नाइहो । मने, घोडघोडी टल्वा क्षेत्रमे घुमे अउइया ओ चिरैँ अवलोकन कैना आन्तरिक पर्यटक ढिरेसे बह्रटी रहल बटाइल बा ।

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