थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ 25 Apr 2024, Thursday ]
‘ लघुकथा ’

हनुमानके कहानी

पहुरा | १५ फाल्गुन २०७७, शनिबार
हनुमानके कहानी

एक दिन हनुमान गोरपासु करे सीताजीके दरबार ओर गैलैं । ओहेबेर सीता अपन माँगेम् सेंडुर डारे भिरल रहिंट । हनुमानहे बरा अचम्म लग्लिन ओ पुछलैं । माताजी इ लाल लाल का लगाइटी अपने ? इ लगैलेसे का हुइठ् ?

सीताजी कलैं–इ सेंडुर हो । इ लगैबो टे स्वामीके आयु बर्हठिन । इ सिंगार कर्बो टे स्वामी हरदम खुसी रठैं । टबेमारे हरेक नारी अपन पतिके दिर्घायुके लाग लगैठैं । हनुमान सोंछे लग्लैं । एकचुटी सेंडुर लगैबो टे स्वामीक् उमेर लम्मा हुइठिन कलेसे मै फे काहे नैलगैना कहिके पुरा जिउ सेंडुर लगाके श्रीरामके दरबार छिर्लैं ।

हे–प्रभु अपनेक् दिर्घायु होए । हनुमानके सारा डेंह सेंडुर पोटल डेख्के श्रीराम हँस्टी कलैं–अरे हनुमान जी इ का कैके अइलो । टब हनुमान माताजीके कहल सक्कु बात सुनैलैं । अट्रा बात सुन्के श्रीराम बहुत खुसि हुइलैं ओ कनैं–टोहाँर हस मोर लग आउर कोइ नैहो भक्त । ओकर बाद प्रभु हनुमानहे सडाके लग अमर कैडेलैं । टबसे हरेक मन्दिरमे हनुमानके मुर्ति रहठ ओ पुजा कैजाइठ ।

धनगढी, कैलाली ।

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