थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १६ चैत २६४७, शुक्कर ]
[ वि.सं १६ चैत्र २०८०, शुक्रबार ]
[ 29 Mar 2024, Friday ]
‘ लघु खिस्सा ’

जरावर

पहुरा | २३ श्रावण २०७८, शनिबार

ओरगान छोट्की पुछ्ठिन असौ फे जरावर नाई लै डेबा कि का हो? पोरसाल नाई लेलो लर्कनके एक एक जोर डरेसे किल आटिन मोर पेटीकोटमे सात अडरके पेउँडा बा असौं जैसिक लेहिहीक परी।

छोट्का सबके लग लैडेम कहठ ओ गाउँ ओर जाईटु कैहके घरसे निकरठ। का कामले जाईटु कैहके भर नाई बटाईठ मनो ऊ मने मन कहु रिन पैसा खोजे निकरल रहठ।ऊ मनैठे हाठँमुह जोरठ कोई गाउँमे चलल ब्याज रेटसे चार पाँच हिस धेर ब्याजडर बटाईल टो कोई सोझे नाई हो कैहके टार डेठीस। कहु कुछ उपाय नाई लागके छोट्का लाला महजनुवाक ठे जाके उधारी जरावर लैजिना बाट करल।

महजनुवा लैजाउ टो कहल मनो पैसाक बडला धान लेम कैहके कबुल कराईल। ‘नाई बनल पर गड्हा हे बाबा कहे परठ” छोट्का सबके लग जरावर लैके आईठ। एक बिगहा जग्गा पानी नाई बर्सल धान कम फरल। धान डैंटीके आढासे ढेर महजनुवा लैगिल खैना बाहेक छोट्का कुछ नि बचलिस।

ऊ फेर रिन निकारके गोहुँ बोईल। मल लेहल गोहुँ बेचके टिरके ठिक्के हुईलिस। छोट्का बैसाखी जोट्टी हिसाब करठ ऊ खाली सालभरमे जरावरके लगके किल कमा पाईल। मन सोचठ ऐसिक कुवाँक मेघि कुवाँमे कबटक रहे सेकजाई? ओ अपन जन्नीसे सल्लाह करके आढा जग्गाम टिना लगाईठ सुवर पालठ। ओरगान छोट्का बौराईटा कैहके पहिले मनै खुब हँस्लिस टबफे ओईने अपन पसिनामे आस कैके खुब मेहनट करनै मेर मेराईक टिना टवन ओ सुवर बेचके ढेर आम्डानी करनै।

आझकल सालमे एक जोर जरावर नाई बल्की हर महिना लुग्गा लेलेसे फे कमि नाई हो।ओईनके प्रगटी डेखके गाउँक मनै उहिसे टिना खेटीक सरसल्लाह लेठै।

जोशीपुर-५, सिमराना, कैलाली

हिरगर साहित्य

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