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रानाथारु समुदाय मनैलै खक्डेहरा पर्व

पहुरा | १९ चैत्र २०८०, सोमबार
रानाथारु समुदाय मनैलै खक्डेहरा पर्व

सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारसे सार्वजनिक विदा

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १९ चैत ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशके कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्लामे बसोबास कैना रानाथारु समुदायसे सोम्मारके रोज खक्डेहरा पर्व मनैले बटैं ।

होरी दहनके आठौ दिनमे सोम्मार सकारे बिहान पाँच बजे खक्डेहरा फुटाके यी पर्व मनाइल रानाथारु समुदायके अगुवा संविधान सभा सदस्य मालामति राना बटैली ।

माघ महिनाके पूर्णिमासे होरीके शुरुवाट हुके चैतके चरइँमे होरी विदाइसम ३८ दिन चल्न ओरस यिहीहे रानाथारु समुदायसे सबसे भारी त्योहारके रुपमे मनैन करल उहाँ बटैली ।

माघके पूर्णिमामे होरी स्थापना, फागु पूर्णिमामे होरी दहन, होरी पूजा, फागुनामे फगोहा ओ हटकना, खक्डेहराके समापन ओ चैतके चराइँमे होरी विदाई कैके मनैना करल मालामति राना बटैली । होरी स्थापना करलथेनसे होरी दहन नइहुइटसम साँझ खाना खाके लउण्डा लउण्डीहुक्रे डंकाके तालमे गीत गैटी होरी खेल्न करठै, जिहीहे जिन्दा होरी कहठै कलेसे होरी दहनके दिनसे खक्डेहरासम खेल्ना होरीहे मरी होरी कहठै ।

होरीमे रामायण, महाभारतके कथामे आधारित गीत गैटी ठडौवाँ होरी, मतबरिया होरी, लोहकौवाँ होरी, सादा होरी, बधाइ होरी, खिचडी होरी, गडवाली होरीलगायत यी बीचमे होरी स्थापनासे खक्डेहरासम अठतिस् दिन लउण्डा लउण्डी होरी खेल्न करठै ।
रानाथारु समुदायके खक्डेहरा पर्वके अवसरमे सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकार सोम्मारके सार्वजनिक विदा डेहल रहे ।

खक्डेहरा पर्व का हो कैसिक मनैठा ट ?

होरी दहनक अठुवा दिनम खक्डेहरा पर्व मनाजाइठ । खक्डेहराक दिन बिहान पाँच बजे ओर काँच्चे माटीक सात–सात गोली एक–एक ठो सिँकामे गुहजाइठ ।

माटीक तीन ठो दिया बनाके एक दियामे सात मेरिक अनाज (जस्टे चना, केराउ, लाही, मसरी आदि) धारजाइठ । दुसरा दियामे कपास धारजाइठ ओ टिसरा दिया बारजाइठ । ठोरचे बैठाबन्नी (सिन्का रहल बहरनी) धारके एक खिप्टामे धारके साथमे एक लोटा पानीफे लैजाजाइठ ।

गाउँक पधना या गाउँके भारी मनै जे पुर्खौसे खक्डेहरा फोरना करठ, ओइने हरके फाँरहसे घिउ लेके घरसे आइठै । जे–जे फुटाई जैठै, ओइनके घरसे एक जाने जे कोईफे दिया रहल उहे खिप्टा लेके ‘आबओ रि अँधरी धुँदरी लँगडी लुली’ कहटी गाउँके दक्षिणओर गाउँसे बाहेर जैठे । गाउँक भारी मनै घर–घरसे गैल पूजाके समान एक ठाउँमे धार लगैठै ओ सक्कु जाने वहाँ धरठै । एकजाने मुख्य मनै खक्डेहरा फुटाई लागलपाछ संग्गे गैल और जानेक पाछे लौटके निहेरठै ओ उहे दिन होरीके विदाईफे हुइठ । पुर्खा कहठै खक्डेहराके दिन जेकर घरमे खुशी आइठ, जस्टे कि घरमे बच्चा जन्मल, भैँसीनिया व्याइल अर्थात् मजा हुइल, उ उहे दिनसे खक्डेहरा फुटाई लग्ठै । ओ, खक्डेहराके दिन जेकर घरमे नइमजा घटना घटठ उ दिनसे खक्डेहरा फुटाई छोरठै । सक्कु जाने खक्डेहरा नइफुटैठै ।

होरीके विदाई चैतके चराइँमे करजाइठ । चराइँ गाउँके पूजा हो । उ दिन गाउँके प्रत्येक घरसे अन्दिके मिठ भात ओ विशेष मच्छीसहितके अन्य टिना पकाके संगे लैजाके गाउँके बाहेर जाके दिनभर ओहरे बैठै । साँझके गाउँके भर्रा वा गुरुवासे पूजापाठ करसेकलपाछे सक्कु जाने होरी खेलके गाउँसे बाहेर ‘आज होरी गई रे बलमु परदेश’ कना गीत गैटी होरीहे पठाके लौटठै । यैसिक वर्ष दिनपाछे आइल होरी ओराइठ ।

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