थारु राष्ट्रिय दैनिक
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‘ कैलालीके भादाबासी हरोठ लेना चलन जोगैटी ’

संस्कृति, परम्परा हमार पहिचान होः गापा उपाध्यक्ष भगवतीकुमारी चौधरी

पहुरा | २७ जेष्ठ २०८१, आईतवार
संस्कृति, परम्परा हमार पहिचान होः गापा उपाध्यक्ष भगवतीकुमारी चौधरी

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २७ जेठ ।
कैलाली जिल्लाके धनगढी उपमहानगरपालिका–१६ भादा गाउँमे हरोठ लेना कार्यक्रम कैगिल बा ।

होमस्टे गाउँ भादा पर्यटन विकास तथा व्यवस्थापन समितिके आयोजनामे हरोठ लेना कार्यक्रम कैगिल हो । थारु समुदायसे बर्खाहा खेती सुरु कैनासे पहिले खेतीपाटीमे काम लग्ना हरजुवा, किल्वाही, पटेला, कोडरालगायत औजारसहित साँझके घरसे सजना गीत गैटी खेतुवामे पुगके औजारके पुजा कैजाइठ, उहीहे हरोठ लेना कहिजाइठ ।

हरोठ लेना कार्यक्रम कैलारी गाउँपालिका उपाध्यक्ष भगवतीकुमारी चौधरीके वरका पहुनामे हुइल रहे । थारु समुदायके अपन भाषा, कला संस्कृति परम्परा रहल मने उ लोप हुइटी रहल ओरसे उहीहे जोगाई पर्ना बटैली । उहाँ कहली, ‘हरोठ लेना चलन लोप हुइल अवस्था बा । पहिले पहिले खेतीपाटी सुरु हुइनासे आघे प्रत्येक गाउँ–गाउँमे प्रत्येक घर घरमे यी पुजा करजाए । आब यी पुजा हुइ छोरल बा । कौनो कौनो गाउँमे कलुवा खैना, मुठा लेना कैजैना मने उ फे लोप हुइटा बा ।’

हरोठ लेना, कलुवा खैना चलन अब्बेक पिढीक बहुट जैसिनहे पत्ता नइरहल ओरसे विस्रैटी रहल चलन पुर्खनसे सिखे पर्ना गाउँपालिका उपाध्यक्ष बटैली ।

पानी बरसइक लाग गैया बेहर्ना, हरोठ लेना, हरेरी, औली उटरना, खेन्हवा बहन्ना, पेन्डीय पुजा, लवाङी पुजा हेराइ लागल ओरसे यिहीहे नैजोगैलेसे पाछेक पुस्ता यकरबारेमे पत्ता नैपैनाफे उहाँ बटैली ।

होमस्टे गाउँ भादा पर्यटन विकास तथा व्यवस्थापन समितिके अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण चौधरी हरोठ लेना चलन पहिलेक पुर्खनसे करटी आइल मने अब्बे करिब लोप हुइल रिति परम्पराहे जोगाइक लाग अपनेहुक्रे तीन बर्षसे निरन्तरता डेहल बटैलै । हरोठ लेना पुजा करलेसे खेतीपाटीमे प्रयोग हुइना औजार नैविगरना, धानवली मजा हुइना, रोग व्याधी नैलग्ना जनविश्वास रहलफे उहाँ बटैलै । हरोठ लेहेबेर सजना गीत गैलेसे पानी बरसठ कनाफे थारु समुदायके पुर्खाहुक्रनके कहाई रहलफे उहाँ बटैलै ।

धनगढी उपमहानगरपालिका–१६ के वडा अध्यक्ष रामलाल चौधरी पुर्खनके सिखाइल रिति, संस्कृति, परम्पराहे पुस्तान्तरण करे नइसेक्ले इतिहासके पन्नामे सिमित रना बटैलै ।

हरोठ लेना कार्यक्रममे धनगढी उपमहानगरपालिका–१६ के वडा सदस्यहुक्रे, गाउँक भल्मन्सा, किसान, टमान बौद्धिक व्यक्तित्वहुकनके सहभागिता रहल रहे ।

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