ऐन जनताके पक्षमे बनैना जोड
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १२ कुँवार । संघीय वन ऐन ओ सुदूरपश्चिम प्रदेश वन ऐन, २०७७ एकापसमे बाँझल ओरसे वनसम्बन्धी काममे समस्या उत्पन्न हुइल एक कार्यक्रमके सहभागीहुक्रे बटैले बटैं ।
शुकके रोज धनगढीमे सञ्चार प्रतिष्ठान नेपालके आयोजनामे हुइल सुदूरपश्चिम प्रदेश वन ऐन, २०७७ के समीक्षाके नतिजा प्रस्तुति तथा प्रदेश सभा विषयगत समिति तथा सरोकारवालाहुकनबीच अन्तरक्रियामे सहभागीहुक्रे संघीय वन ऐन ओ प्रदेश वन ऐनके एक्के विषय द्विविधापूर्ण ओ द्विअर्थी रहल बटैले रहिट ।
कार्यक्रमके स्रोत व्यक्ति तथा अधिवक्ता गम्भीरसिंह ऐर संघीय वन ऐन प्रदेश कानूनके परामर्शमे वनके संरक्षण संघीय सरकार करना बटैलै, मने प्रदेश कानूनमे राष्ट्रिय वन क्षेत्र जलाधारके लाग प्रदेश सरकारसे राजपत्रमे प्रकाशन कैके चारकिल्ला तोकके जलाधार क्षेत्र घोषणा करे सेक्ना कहल बा । संविधानमे यी जलाधार क्षेत्र प्रदेशके एकलअधिकारभित्तर नैपरठ ।
उहाँ कहलैं, ‘जलाधारके संरक्षण, व्यवस्थापनके लाग निर्देशनालय अथवा ऐन बमोजिम संरक्षित जलाधारके कार्ययोजना कैके मन्त्रालयसे स्वीकृत कराइ परना ओ उ कार्यान्वयन भू तथा जलाधार व्यवस्थापन कार्यालय करठ ।’
यी स्थानीय सरकारके क्षेत्राधिकार मिचके ऐन बनाइल बा । यी प्रतिकुल बा । ओ, यी संघीय कानूनसंग फेन बाँझल बा । अस्टेक, प्रदेश वन ऐनमे कबुलियत वनके व्यवस्था फेन फरक बा । यहाँ संघीय कानूनमे नैरहल चिज प्रदेश कानूनमे बनाके नैहुइना । अइसिक करलेसे अप्ठ्यरो हुइ सेक्ना उहाँ बटैलै ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशके पूर्व मुख्यमन्त्री दीर्घबहादुर सोडारी संघीय वन ऐनसे प्रदेश वन ऐनके सब अधिकार कटौती करल बटैले बटैं ।
अब्बे संघीयतामे संघके अधिकारक्षेत्रभित्तर प्रदेशके अधिकार परठ कहल बा,’ उहाँ कहलै, ‘राष्ट्रिय वन प्रदेशके एकल अधिकारमे रहल बा, मने यी कार्यान्वयन हुइल नैहो । नयाँ संघीय वन ऐन आइल यी ऐन प्रदेशके सब अधिकारहे कटौती करल बा ।’
उहाँ कहलैं, ‘प्रदेश वन ऐन कार्यान्वयनके बाधक संघीय वन ऐन, २०७६ हो, यम्ने मजासे वहस करे परल । वन ऐनके बारेमे संघीयस्तरमे वहस हुइपरना हो, मने यी हुइल नैहो । यी सबसे महत्वपूर्ण हो । यम्ने कत्रासम अधिकार स्थानीय तहहे डेहे सेक्जाइ कना बारेमे वहस करे परल ।’
सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारके पूर्व वनमन्त्री रमेश धामी वनसम्बन्धी समस्याके लाग सुदूरपश्चिम सरकारसे नानल वन ऐन यहाँके जनताके पक्षमे रहल बटैले बटैं । यहाँक जनता, विकास, वन संरक्षणमे यी सहयोग करले रहे, मने संघीय वन ऐनसे यी ऐन कार्यान्वयन करे नैसेकल बटैलै ।
उहाँ कहलैं, ‘यकर समाधानके लाग मोर नेतृत्वमे आइल बेला टमान ढेर मेहनत करनु । असिके वन ऐनके संशोधन ड्राफ्ट तयार बा । उ क्यबिनेटसे अनुमोदन कैके प्रदेश सभामे दर्ता करना किल बाँकी बा । बीचमे सरकार परिवर्तन होके उ काम अधुरा बा । अब्बेक वर्तमान सरकारहे यी काम करना ढेर मेहनत करे नैपरहिस् ।’
कार्यक्रममे अर्थ विकास तथा प्राकृतिक स्रोत समितिके सदस्य डा. ताराप्रसाद जोशी अब्बेक वनसम्बन्धी कानूनबारे काम हुइल ओम्ने और थप मेहनत करेपरना बटैले बटैं ।
ऐन बनाइ परना अवधारण स्पष्ट बुझ्लेसे ओकर प्रक्रिया अप्नही आइठ,’ उहाँ कहलैं, ‘हम्रे वनहे विशिष्टिकृत करे सेक्ले नैहुइटि । आब यहाँेर ध्यान डेहेपरल । यकर लाग और गहिरके छलफल करना फेन आवश्यक रहल बा ।’
धनगढी उपमहानगरपालिका वडा नम्बर १ के वडाध्यक्ष सन्तोष मुडभरी सामुदायिक वनके अवधारणके कारण अब्बेसम वनके संरक्षण हुइल बटैले बटैं ।
उहाँ कहलैं, ‘पहिले समुदायसे वनके ओ वन्यजन्तुके विनास किल हुइठ कना मन्यता रहे । मने, अब्बे ओइसिन नैहो सामुदायक वन संरक्षणके लाग समुदायके महत्वपूर्ण भूमिका रहल बा ।’
धनगढी उपमहानगरपालिका वडा नम्बर ३ के वडाध्यक्ष राजबहादुर ऐर प्रदेश वन ऐन संशोधन करेबेर निजी वन ओ नम्बरी आवादीके रुखवा कट्ना अधिकार रहल बा । उ रुखवा कट्ना अधिकार ओ वितरण करना अधिकार सक्कु स्थानीय निकायहे डेहेपरनामे जोड डेहल रहिट ।
धनगढी उपमहानगरपालिका वडा नम्बर ६ के वडाध्यक्ष भागीराम चौधरी सामुदायिक वनसे कटानी करल काठ विक्रीमे सुत्रके प्रयोग परिवर्तन करल ओरसे सामुदायिक वनहे घाटा हुइल बटैलैं । उहाँ यम्ने एकरुपता करेपरनामे जोड कडेले रहैं ।
फेकोफनके सुदूरपश्चिम अध्यक्ष झुमा चौधरी वन ऐनके संशोधनके लाग फेकोफनके ओरसे डेहल सुझावहे कार्यान्वयन करेपरना बटैलैं । उहाँ वन पैदावारके मूल्य निर्धारण वन उपभोक्ता अप्नही आन्तरिक रुपमे मूल्य निर्धारण करे पाइ परना परनामे यम्ने रोक लगाइलमे ध्यानाकर्षण करैले रहि ।
कार्यक्रममे पुष्कलबहादुर बम सरकारसे लगाइल तेहोरो करहे हटाके एकद्वार प्रणालीसे कर लगाइ परनामे जोड डेले रहैं । अस्टेक, श्यामबहादुर विष्ट सामुदायिक वनमे रहल समस्या समाधानके लाग सक्कु सरोकारवाला लागे परनामे बटैले रहैं । उहाँ सामुदायिक वनमे आम्दानी हुइ लागल डेख्खके टमान मनैन्के आँखी लगाल ओरसे समस्या हुइल बटैलैं ।
कार्यक्रममे गौरी लामा सामुदायिक वनके नीति नियम राज्य बनैना मने काम भर जनता करे परना रहल ओरसे नीति नियम बनैनामे जनताके सहभागिता फेन आवश्यक रहल बटैले रहि ।
सञ्चार प्रतिष्ठान नेपालके अध्यक्ष हेमकर्ण विकके अध्यक्षतामे हुइल कार्यक्रममे सहजीकरण वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन स्वार करले रहैं । कार्यक्रम यूएनडीपीके संसद सहयोग परियोजनाके सहयोग ओ समन्वयमे हुइल रहे ।