प्रधानमन्त्रीके कदम कट्रा जायज !

प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओलीके सिफारिसमे ५ पुसमे प्रतिनिधिसभा विघटन हुइलपाछे राजनितिक दल, लेखक, कलाकार, पत्रकारलगायत टमान पेशामे आबद्ध बुद्धिजीवि तथा सर्जक आन्दोलनमे बटै । प्रजातान्त्रिक मुल्य–मान्यताके वेवास्ता करटी प्रधानमन्त्रीसे गैर–संवैधानिक कदम चालके देशहे प्रतिगमनके खटहामे ढकेल गैल सक्हुनके आरोप बा ।
६२–६३ के आन्दोलनपाछे फे पहिल संविधानसभा असफल हुइल । पहिल संविधानसभा असफल हुइना प्रतिगमनके भारी स्टेप रहे । ओकर पाछे आदिवासी, जनजाति, महिला, मधेसीलगायत समुदाय निरन्तर संघर्षमे बटै । भारी भारी आन्दोलन तराई–मधेस, थरुहटमे फे हुइल । ओस्टेक प्रतिरोधबीच ०७२ सालमे संविधान जारी हुइल । जौन संविधानहे विश्वके उत्कृष्ट कहटी नेतन नेंग्टी रहिट । मने इहे पुस ५ गते प्रधानमन्त्री ओलीके प्रतिगामी कदममार्फत अब्बे उ संविधान कुल्चना दुस्प्रयास हुइल बा, जिहीसे प्राप्त हुइल सीमित उपलब्धि फे गँवइना खतरा बा ।
प्रधानमन्त्री ओली जिन्गिभर शासनसत्ताके शीर्षस्थानमे अपनहे टिकैटी रख्ना रणनीति अन्तर्गत आघे बह्रल बटै । यी स्थितिमे चालल कदमसे मुलुकहे अस्थिरताके दलदलमे नइ मजासे ढकेल गइल बा । काल्हके दिनमे राजनीतिक घटनाक्रम जैसिक विकसित हुइलेसे फे मुलुक हे भोगे पर्ना दुःखान्त नियति कलक अस्थिरता हो ।
राजा ज्ञानेन्द्र फे माघ १९ गतेके काण्ड घटाइबेर ‘आउट ट्र¥याकमे गैल राजनीतिहे सही डगरमे नन्ना’ उदघोष करले रहिट । अब्बे प्रधानमन्त्री ओलीके बोलीके अन्तर्य फे उहीसे फरक नइ हो । जौन कदमसे मुलुकमे फेरसे द्वन्द्व सृजना हुइना अवस्था आइल बा । जनआन्दोलन २०६२–६३ सालपाछे सेलाइल नागरिक आन्दोलन फेरसे जरमुराइल बा ।
सर्वोच्च अदालतमे टमान मुद्दा परल बा । मने बिचाराधिन मुद्धा किनारा नइ लग्टि प्रधानमन्त्री भटाभट अपन मन्का नियुक्ति डेटि बटाँ । सर्वोच्चमे बिचाराधिन रहल मुद्धा किनारा नइ लग्टि संवैधानिक निकायमे बुढके रोज ३८ जनहन शपथ खवा गइल बा । इहिसे विपक्षी खेमा आउर जोर ढिकल बा । संसद बिघटन सदर होए या बदर सर्वोच्चके निर्णय बाहेर अइटी कि मुलुक आउर द्वन्द्वओर जाइ कि कना विल्गाइठ । समग्रमे जनआन्दोलन ओ जनयुद्धसे नेपाली जनता जा अपेक्षा करले रहिट, संविधान निर्माणके क्रममे उ पूरा हुइ नइ सेकल ।
ओलीके कदमके विरुद्धमे दैनिक जैसिन हुइना आन्दोलन, चक्काजाम, आमहड्तालसे कोरोनाके कहरपाछे मजासे उठे नइपाइल व्यवसाय, विद्यालय, उद्योग कलकारखानामे फेरसे असर परल विल्गाइठ । प्रधानमन्त्री ओली आउर जन्हन कानुनके पालना कर कहठैं, मने खुद कानुनके उल्लंघन कर्ठैं । इहिसे प्रश्न उठल बा, प्रधानमन्त्रीके उठाइल कदम कट्रा जायज ?
