थारु राष्ट्रिय दैनिक
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‘ लघुकथा ’

विस्वासघात

पहुरा | २४ माघ २०७७, शनिबार
विस्वासघात

ढेर पैसा कमाके अपन घर परिवार हे खुसी से जिन्दगी बिटैम कहिके रमेश मलेसिया गैल रहठ् ।

बिदेशमे नेंट के मजा सुबिढा हुइलेक ओर्से रमेश रात दिन नेंट मे झुलल रहठ । बठिनियन् संघरिया बनैना चौबिसो घन्टा गफ कर्ना रमेशके बानी दिन दिने बडल्टी गैलिस ।

रोज दिन रन्जु से बाट कर्टी कर्टी मैयाँ बाझ जैठिन बिना किहु डेखल । एहोर रन्जु अपन घरक मनैन् भोजक् टाम्झाम करे कहठ् ।

रमेश बिना बटैले घरे आके डोसर लौडी प्रमिलाहे भगाके सेंडुर डारसेक्ले रेहे । रन्जु हे जुन कुछ पटा नै रहिस ।

रन्जु जब राजापुर बजारम् अपन भोजहा सामान किने गैल टे रमेश ओ प्रमिला संगे हाँठ जोरके नेंगठ डेखठ् । टब पटा चलठ् कि बिना डेखल बिस्वास कर्बो टे इहे हाल हुइठ् कहिके ।

कुस्मी सागर, कैलाली

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