थारु भासाके वर्ण पहिचानके सवाल

कैलालीके कैलारी गाउँपालिका–८, लौसामे ३ दिने कठरिया भासाके वर्ण प्रवद्र्धन कार्यक्रम ७ भदौमे सुरु हुइल समाचार आइल बा । हिमाली आदिवासी समाजके सहयोग ओ कठरिया समाजके आयोजनामे हुइल कार्यक्रम कैलारी गाउँपालिकाके ८ नम्बर वडाध्यक्ष दुःखीराम कठरिया उद्घाटन करले रहिट । हिमाली आदिवासी समाज नेपालके संयोजक छिरिङ पासाङ भोटे कार्यक्रम सहजीकरण करटी बाटैं ।
तराई थरुहटके भासाहे हिमाली आदिवासी समाजके साथसहयोग रना अपनेमे गौरबके बाट हो । नेपालमे बोल्जैना सब हस भासाके वर्ण पहिचान हुइना क्रममे कठरिया भासाके वर्ण पहिचान हुइना फोहि लग्टिक बाट हो ।
कठरिया भासामे कौन कौन वर्ण उच्चारन हुइठ, कार्यक्रमके निम्जौनिमे अइबे करि । मने यडि कार्यक्रमसे पहिचान हुइल वर्ण सडाके लग अन्टिम हुइ कना नै हो । भासा विग्यलोग पहिचान करल वर्ण उ समुदायके सब्जहनसे सर्वस्विकार्य हुइ सेकठ कना नैहो । यकर लग अभिनसम ठाउँ ठाउँमे बहुट छलफल, गोस्ठि जरुरि रहि ।
साहित्यमे आगे रहल डंगौरा थारु भासाके पहिचान हुइल वर्ण सब्जहनसे सर्वस्विकार्य हुइ नै सेकठो कलेसे भासा साहित्यके अभिलेखिकरनमे गोम्हनिया कैटि रहल कैलाली, कञ्चनपुरमे रहल कठरिया, राना थारु भासाके लेखन सैलि पहिचान हुइनामे अभिन बहुट समय लागि ।
थारु कल्याणकारिणी सभा केन्द्रके आयोजना ओ थारु आयोगके सहयोगमे इहे साउन ३१ से भदौ २ गतेसम थारु भासाके मानकीकरण विसयमे ४ डिने अन्तक्रिया कार्यक्रम भक्तपुरमे निम्जल बा । अन्तक्रिया कार्यक्रमसे लेखन सैलिके कुछ उपाय पहिचान कैगैल बा । मने थाकसके नानल लेखन सैलि फे सब्जहन सर्वस्विकार्य हुइ कना नैहो । काजेकि कौनो फे भासाके मानकताके सवालमे एकरुपता अइना बर्सो बरस लागे सेकठ । एकर उडाहरन नेपाली भासाहे लेहे सेक्जाइठ । कौन सब्ड कसिक लिख्ना अभिनसम नेपाली पण्डितलोग बाझाबाझ कर्टि बाटैं ।
भासा बहसके सवालमे गोरखापत्रके थारु भासा पेजमे थारु भासाके लेखन बिगारकैल कहिके १३ बरससे पेज संयोजन कैटि आइल संयोजकहे थाकसके सिफारिसमे २०७७ कुँवारसे हटा गैल नजिर बा । जबकि तात्कालिन संयोजक नेपाल आदिवासी जनजाति प्रतिष्ठानके आयोजनामे २०७३ साउन १ से ३ गटेसम हुइल डंगौरा भासाके वर्ण पहिचान गोस्ठिके आधारमे आइल सैलिहे बेल्सले रहिट ।
प्रतिष्ठानके वर्ण पहिचान करल ५ बरस पाछे थाकस केन्द्र बल्ले थारु भासा मानकके बाट लन्ले बा । थाकस अपन मानक सैलि बिना लानल, गोरखापत्र थारु भासा पेजमे लेखन सैलि बिग्रल कसिक कहे सेकल ? इ एक बरसमे गोरखापत्रमे कौन सैलि लानगैल ? इ ज्वलन्त सवाल हो ।
पस्चिउँ थरुहटके कठरिया, राना, डंगौरा, डेसौरी भासाके वर्ण अलग अलग हुइ सेकठ, जिहिसे यकर लेखनसैलिमे फेन फरक हुइना स्वभाविक हो । मने भासाके नाउँमे नेपाल भरके अक्केठो थारु भासा सम्भव नैहो । अक्केठो थारु भासा लन्ना कलक थारु भासाके विविधता हेरवइना हो । काल्हिक डिनिम जसिक अक्के भासा, अक्के भेस कहिके नेपाली भासाके किल संरक्षण कैगैल । ओस्हक अक्केठो थारु भासा बनैना कलक थारुके विविधता हेरवइवना हो । ओहेसे थारु भासाके मानकतामे लागल अग्वनके यहोरओर ध्यान जाए ।
