पदकमे परिवारबाद

सरकार मेरमेरिक क्षेत्रमे योगदान पुगैलक व्यक्तिन् सम्मान स्वरूप परटेक बरस संविधान दिवस, प्रजातन्त्र दिवस, लोकतन्त्र दिवस लगायटके अवसरमे पदक डेहठ । बहुट जाने इहि गौरवके रुपमे लेठैं ।
इ बरस फेन संविधान दिवसके अवसरमे ९ सय जनहनसे ढेर जनहन पदक डेगैल बा । अपने परिवारके मनैनन् पदक डेहल कहटि सामाजिक सन्जालमे यकर बारेम ब्यापक बिरोढ हुइल बा । ओसिन टे लोकतान्त्रिक सरकार किल नाहि पंचायती व्यवस्थामे फेन राजाके जन्मोत्सव लगायटके अवसरमे मेरमेरिक विभूषण, पदक डे जाए । टब्बे फेन अपने आसेपासेन डेना कारनले पदकके गरिमा घटल रहे । विगटके उहे परम्पराके निरन्टरटा स्वरूप संघिय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रमे फेन पदक डेना चलन कौनो हालटमे ठिक नै हो ।
पंचायत कालमे दरबारियालोग राजपरिवारके अपने छाइ छावन्, पटुहियन बरा पदक डिंट । लोकतन्त्रमे नेतालोग अपनहे राजा माने लागल बटाँ । टब्बे टे अपन जन्नि, बाबन् मनपरि पदक डेटि बाटैं । नेकपा माओवादीके अध्यक्ष प्रचण्डके गोसिन्या सीता दाहाल ओ नेकपा (एस) के अध्यक्ष माधव नेपालके बाबा मंगलकुमार उपाध्यायहे डेगैल पदकके सब्से जोर आलोचना हुइल बा । सरकारसे डेना निर्नय करल पदक नैलेना कहिके पत्रकार हरिबहादुर थापा, कृष्णज्वाला देवकोटा नारायण अमृत ओ रविन सायमी अस्विकार करले बाटैं । ओइन अपनहे बिना पुँछके नाउँ ढारलमे आपत्ति जनैले बाटैं ।
जठाभावि पदक डेहलेमे एमाले अध्यक्ष केपी ओली ढुँवाढार बिरोढ कर्ले बाटैं । हुँकार कहाइ बा, अगर पदक बोले सेक्टै कलेसे ओइने फेन महि कैसिन मनैनके घेंचम घलाइटो कहिके कुडुक कुडुक बिरोढ कर्टैं । प्रतिपक्षके काम नैमजा कामके बिरोढ कर्ना स्वाभाविक हो । मने आज प्रतिपक्षमे रहल समुह सत्ताके भरांगि उच्यइटि कि चाहे जौन शासक अपने मनैन् छान छान पुरस्कार, पदक डेना गलट कामके सचेट नागरिक समाजसे जमके बिरोढ हुइक चाहि । जिहिसे पदकहे लजैना डिन ना आए ।
