थारु राष्ट्रिय दैनिक
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दाङके पौरखी थारु महिला : गृहस्थी ओ खेतीकिसानी सँगसँगे

पहुरा | २२ मंसिर २०७८, बुधबार
दाङके पौरखी थारु महिला : गृहस्थी ओ खेतीकिसानी सँगसँगे

दाङ, २२ अगहन । घोराही उपमहानगरपालिका–६ चोरगाउँके रामकृष्णा चौधरीके दिनचर्या सक्करही झिसमिसेसे शुरु हुइठ् । सकारे ४ बजेओर उठके उहाँ छिटुवामे टिनाटावन रख्ठी । कपारीम छिटुवा ढारके टिना बोकके दैनिक एक घण्टा नेंगके उहाँ टिना बेचे घोराही बजार पुग्ठी । टिना बेचक लाग उहाँ शहरबजार घुम्ठी । घर घर जैठी ।

उहाँ जस्टे दाङके थारु समुदायके अधिकांश महिलाहुक्रनके दिनचर्या अइसीक चलठ् । आपन बारीम काम कैना, टिना उब्जैना अनि बजारमे लैजाके बेचके घरव्यवहार चलैना । रामकृष्णा कहली, ‘टिना कबु डगरामे बिक्री हुइठ्, ओत्र घुमे नैपरठ् । कबु टे बिक्री नै हुइठ् । बजारभर घुमे परठ् ।’

रामकृष्णा स्कुल जाके पह्रे नै पैली । टौन फेन सामान्य लेखपढ ओ हिसाबकिताब करे भर उहाँहे आइठ् ।‘पह्रना मन होके का कैना हो ? उ बेला बाबा डाइ छोटमे भोज करडेलै,’ उहाँ कहली, ‘अब्बे लागठ्, पह्रे पैलेसे खाब पह्रटुँ ।’ सामान्य लेखपढ ओ हिसाबकिताब कैना उहाँ छावाछाइसे सिखल हुइटी ।

रामकृष्णा कृषिसे घरगृहस्थी चलैले बाटी । थारु समुदायके अन्य महिला जस्टे उहाँ फेन अपनें खेतबारीमे खटके टिना टावन उब्जैठी । ओ, हरेक सकारे झिसमिसेमे टिनाके भर्वा बोकके बजार ओर पुग्ठी ।

टिना बेचसेकलपाछे घर आके घरधन्दा कैना ओहकान औरे नियमित कर्म हो । ‘अब्बे टे सन्तान बाह्रगैलै । उबेला टिना बेचे घर आइलपाछे खाना बनैनासे स्कुलसम पठैना सक्कु करे परे,’ उहाँ कहली ।

सकारेके घरधन्दा ओराइलपाछे रामकृष्णा फेनसे खेटवामे कोद्रा लेके पुग्ठी । टिनाटावन गबेले । सकारे टिना बेचे बजारसम पुग्ना होए कि खेटवामे दिनभर खटेबर उहाँ घाम, पानी कुछ नै कहठी ।

टिना बेचके उहाँ आपन सन्तान बह्रैली । ‘घरमे चाहना नोत, तेल सक्कु इहे पैसासे जोहो हुइठ्,’ उहाँ कहली, ‘टिना बेचके तीन सन्तान पह्रैनु, बह्रैनु,’ उहाँ कहली ।

उहाँ आघे कहली, ‘हमार समुदायके सक्कु दिदिबहिनीके दिनचर्या अस्टे बा । कृषिमे खेती कैके घर धन्ले बाटी । कुछ नैकैके कोइ बैठे नैसेकठ् । फुर्सद हुइल कि खेट्वा बारीम पुगजैठी ।’

उहाँ जस्टे दाङके अधिकांश थारु महिला जो पह्रना, लिख्ना अवरसे वञ्चित हुइलेसे फेन पुख्र्यौली पेशा कृषिहे आपन मूल कर्म बनैले बाटै । घोराही उपमहानगरपालिका–१६ के अनिता चौधरीके फेन दिनचर्या रामकृष्णाके जस्टे बा । पह्रना लिख्ना नैपाइल उहाँ फेन बरसभर आपन खेतबारीमे उब्जाइल टिनाटावन बेचके घरव्यवहार चलैठी ।

कौन सिजनमे कैसिन टिना लगैना, का कैसिन विषादी प्रयोग कैना नै करना, कत्रा बाली लगाइबर कत्रा उत्पादन हुइठ् ? इ सक्कु बातमे उहाँ जानकार बाटी ।

अनिताके गोसिया फेन संगे खेट्वामे खट्ठै । उत्पादन करल टिना सकारे ६ किलोमिटर डुर जाके बेच्ठै । टिना बोकके उहाँ पैदल जैठै ।‘टिना बोकके जाइबर अन्धार रहठ् । कबुकाल टे डर फेन लागठ्,’ उहाँ कहली, ‘मने हमार कर्म इहे हो । पहिलेसे हम्रे इहे कैटी आइल बाटी ।’

अनिता फेन खेतीकिसानी कैके आपन सन्तानहे बहै्रली, मजा शिक्षादीक्षा डेली । खेतीपातीसँगे घरक सक्कु काम उहाँ हेर्ठी । उहाँहे टिनाटावनके बारेम मजा जानकारी बा । कौन टिना कत्रा वा कैसिक बेच्ना कहिके उहाँ बुझल बाटी ।

रामकृष्णा ओ अनिता टे प्रतिनिधि पात्र हुइट । उहाँ जस्टे दाङके अधिकांश थारु समुदायके महिलाके कृषि नै मूल कर्म हो । खेतबारीमे खट्ना, अन्नबाली ओ टिना उब्जैना, अनि बजारमे पुगाके बेचके घर चलैना । इ ओइनके दैनिकी नै हो ।

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