द्वन्द्वपीडितके विषयमे सरकार खै जिम्मेवार ?

अब्बे काठमाडौं, कमलादीके नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानमे माओवादीके केन्द्रिय महाधिवेशन चल्टि बा । पुस ११ से सुरु हुइल महाधिवेशन पुस १५ मे निम्जि । ओहोर माओवादी पार्टीके महाधिवेशन चालु बा, यहोंर माओवादी जनयुद्धमे घायल हुइल, वेपत्ता हुइल द्वन्द्वपीडितके परिवार न्याय नै पाइल बाट फे उड्गरल बा । पार्टीके महाधिवेशनस्थलमे फेन द्वन्द्वपीडित अपन परिवारके वास्तविक हालत पटा नैलागलमे गुनासो कैटि रहल सुन्जैटि बा । जबकि अब्बे संयुक्त सरकारमे माओवादी पार्टीके फेन सहभागिता बा ।द्वन्द्वपीडितके पुनस्र्थापनाके लाग सत्य निरुपण ओ मेलमिलाप आयोग गठन हुकेफे पीडितके पक्षमे काम नइ हुइल पीडितहुकनके कहाइ बा ।
‘इन्टरेशनल अलार्ट’ ओ ‘महिला कानून ओ विकास मञ्च’ कैलालीके आयोजनामे सोम्मार धनगढीमे आयोजित पीडितहुकनके संवाद कार्यक्रममे सब्के एक्के गुनासो रहे, देशमे तीन तहके सरकार रहलमे फेन द्वन्द्वपीडितहुकनहे सहजिल हुइना अस्रा रहे,मने कौनोफेन सरकार पीडितहे नइहेरल ।
समस्या समाधानके लाग सरकार अनिच्छुक रहल, समस्या लमैटि घटनाहे बिस्रोइना सरकारके योजना रहलद्वन्द्धपीडितनके आरोप बा । द्वन्द्वमे परके ढेर नागरिक रोग पालके बैठल बटै । मने ओइने उचिट डरडवाइ नैपाइठुइट । यकर एकठो उडाहरन सुन्दरी चौधरी हुइ । द्वन्द्वपीडित रहल उहाँ जिल्ला समन्वय समितिके उपसभापति हुइ, मने उहाँ खुद अभिनसम परिचयपत्र नइ पैले हुइ । सशस्त्र द्वन्द्वकालमे सेनाके पिटाइले जिन्गीभर डवाइ खाई पर्ना बाध्यता बटिन । मने परिचयपत्र नैहोके कौनो सुविधा नैपाइठुइ ।
ओहोर धनगढी उप–महानगरपालिकाके जनप्रतिनिधिन् फे द्वन्द्वपीडितके लाग केन्द्रसे कौनो कार्यक्रम नइआइल निराशाजनक बाट बटैठैं । आखिर द्वन्द्वपीडित न्याय पइना कहिया ? ओइसिन टे लर्का नै रोइलेसे डुढ कसिक पाइ ? धनगढी–८ के वडाध्यक्ष नारायण बरालके कहाइ अन्सार द्वन्द्वपीडित पीडित सहयोग मागे अभिनसम वडामे नइ आइल होंइ ।
अपन वडा, पालिकामे कठेक द्वन्द्वपीडित बाटैं, ओकर रेकर्ड ढैना स्थानीय निकायके काम हो । द्वन्द्वपीडितके लग सहयोग आइल बा कहिके गोचरना, सुचना डेना फेन स्थानिय निकायके काम हो । सहयोग मंग्लेसे किल पैना अवस्ठा कम्टिमे द्वन्द्वपीडितके हकमे नै हुइक चाहि । द्वन्द्वपीडित नागरिकके सम्मानके लाग वडामे १० धुर जग्गा छुट्ट्याके स्मारिका बनैना बजेट रना, मने द्वन्द्वपीडितन् नियमित सहयोग कर्ना जुगार नैरना लाजलग्टिक बाट हो । द्वन्द्वपीडितके विषयमे सरकार खै जिम्मेवार ?
