थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
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पुस १४ गतेसे भादा महोत्सव हुइना

पहुरा | ५ पुष २०७९, मंगलवार
पुस १४ गतेसे भादा महोत्सव हुइना

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ५ पुस ।
थारु होमस्टे गाउँ भादा पर्यटन विकास तथा व्यवस्थापन समितिसे इहे पुस १४ से १७ गतेसम महोत्सव सञ्चालन कैना हुइल बा ।

‘संरक्षण सम्बर्द्धनके लाग सक्कु जाने करी काम, संस्कृति भेष भुषा राखी हमार पहिचान’ कना मूल नारा सहित ‘थारु होमस्टे गाउँ भादा महोत्सव २०७९’ सञ्चालन कैना हुइल हो ।

थारु होमस्टे गाउँ भादा पर्यटन विकास तथा व्यवस्थापन समितिके संयोजक लक्ष्मी नरायण चौधरी धनगढीमे आयोजित पत्रकार सम्मेलनमे महोत्सव बारे जानकारी डेलै । उहाँ महोत्सके तयारी हुइटी रहल बटैटी महोत्सव आयोजनाके लाग टमान समिति समेत गठन हुइल जानकारी डेलै ।

थारु कला, संस्कृति, भेषभुषा ओ खानपान लोप हुइ लागल अवस्थामे युवा पुस्ताहे जानकारी डेना उद्देश्यले हरेक बरस महोत्सवके आयोजना कैटी आइल संयोजक चौधरी बटैलै ।

लोप हुइटी गैल थारू समुदायके सीप, कला संस्कृति, भाषा खानपिन, सम्पदा ओ प्राकृतिक स्रोतके सदुपयोग कैके आर्थिक तथा सामाजिक स्तरमे अभिबृद्धि कैटी थारू जातिके पहिचानहे पर्यटन व्यवसाय मार्फत राष्ट्रिय तथा अन्तर्राट्रिय स्तरमे पुगैना उद्देश्य सहित थारू होमस्टे गाउँ भादा पर्यटन विकास तथा व्यवस्थापन समितिसे महोत्सव आयोजना कैटी आइल बा ।

होमस्टे तथा महोत्सव सञ्चालनसे स्थानीय स्तरमा स्वरोजगारके अवसर सिर्जना हुइल, थारू सामुदायिक होमस्टे गाउँ भादाके प्रचारप्रसार, हरेक जातजाति तथा देशविदेशके नागरिकहुक्रनबीच सामाजिक सद्भाव कायम रहल जनाइल बा । होमस्टे सञ्चालन हुइलपाछे बोली भाषा, सरसफाईमे चेतनाके बृद्धि हुइनाके साथे स्थानीयस्तरमे आर्थिक स्रोतमे बृद्धि हुइल संयोजक चौधरी बटैलै ।

२०६७ सालमे होमस्टे सञ्चालन हुइलपाछे यकर प्रचारप्रसारके लाग २०६८ सालसे महोत्सवके आयोजना हुइटी आइल बा ।

महोत्सवमे थारू समुदायसे हातसे बनाइल ढकिया, डेलुवा, लेहंगा, पनछोपनी, मचिया, हेल्का, डेलिया, सिकहर, हसिया, बेल्ना चौकी लगायत घरायसी प्रायोजनमे प्रयोग हुइना वस्तु अवलोकन करे मिल्ना व्यवस्था रहल आयोजक जनैले बा ।

होमस्टे महोत्सवमे खानाके परिकारमे ढिक्री, घोंघी, बरिया, फुलौरी, खर्या, बंगुर तथा मुसक पकुवा, गेंगट्क पकौरी, सिद्रा, चरंगिक पक्ली, आलुक अचार, पनझझरा, कचरिक बरिया, अण्डी भात, महुँवक दारु, चौरक दारु, जाँर, जाँरके झोल लगायतके थारू खानपिनके परिकार दर्शकहुक्रे खाइ पैना जनाइल बा ।

महोत्सवहे मनोरञ्जनात्मक बनाइक लाग हरेक दिन राष्ट्रिय तथा स्थानीय कलाकारके बेजोड प्रस्तुति, स्थानीय थारू नाचगानमे सखिया, झुम्रा, मघौटा, लठ्ठी, बैठक्की, मुंग्रहुवा, हुर्डङवा, छोक्रा, बर्का नाँच, अखरिया नाँच, कठघोरी नाँच, रानाथारू, कठरिया थारूनके नाँचगानके प्रस्तुति रहना जनाइल बा ।

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