थारु राष्ट्रिय दैनिक
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११० बरसके जिट्टी इतिहास जानकी डङ्गौरा थारु

पहुरा | १२ भाद्र २०८०, मंगलवार
११० बरसके जिट्टी इतिहास जानकी डङ्गौरा थारु

“जवानीमे खोब ढिकी कुटल ओरसे सय वर्षसे ढेर बाँच्नु”

अविनाश चौधरी
धनगढी, १२ भदौ ।
“डाई कहाँ गैलो ? (आमा कता जानू भो)”, जाईकी जानकी डङ्गौरा थारुके मुहसे दिनभर ओ रातकेफे निकरना आवाज हो यी । कहठै, मनै अपन जीवनमे दुई चो बच्चा बन्ठै । पहिले बाल्यकालमे, ओकरपाछे बुढेसकालमे ।

धनगढी उपमहानगरपालिका–५ जाई गाउँके ११० वर्षीया ज्येष्ठ नागरिक जानकीफे अब्बे बच्चा सरह हुइल बटी । आँखीक ज्योती लगभग गुमाईसेकल उहाँ जटरबेलाफे डाईके रुपमे अपन पटुहिया रम्कीहे आसपासमे खोज्टी रठी । टबमारे मुहसे निकरटी रहठ, ‘डाई कहाँ गैलो ?’

“बज्यैसे डाई डाई कहिके जटरा बेलाफे हमार ससूइयाहे खोज्टी रहठी”, जानकीके नातिनी पटुहिया कल्पना कहठी,“अब्बे उहाँके अपने पटुहिया डाई सरह हो ।”

नेपालमे पुरुषसे महिलाके औसत आयु ढेर बा । महिलाके आयु ७२ वर्ष रहल बा । मने, एक सय वर्षसे ढेर वर्ष बाँच्न महिला बिरलै बटै । जानकी कैलालीमे अब्बे सम्भवतः सबसे ढेर वर्षके ज्येष्ठ नागरिक बटै । विगतमे ढेकी, चकियासंग भलाकुसारी करल ओरसे एक सयसे ढेर वर्ष अपन बाँचल उहाँहे लग्ना करल बा । “पहिले अब्बेक जस्टे मिल नइरहे । खाइक लाग ढिकी कुटे परे, चकियामे मकै, दाल पिसे परे”, ज्येष्ठ नागरिक जानकी कहठी,“जवानीममे खोब काम करल ओरसे ढेर वर्ष बाँच्न मिलल । नेंङगघुम करे नइसेक्जाइठ नइटे अभिन काम कैना इच्छा बा ।”

पछिल्का समय थारु समुदायके घरफे धमाधम कङ्क्रिटमे परिणत हुइटी रहल बा । मने, कुछ दशक पहिले माटीक घर ढेर रहे । घर लिपपोतके लागफे थारु महिला गोरले खोब खान्दके माटीक ‘गिलुवा’ बनैना करिट । जान जान बुढी डाईनसे करल काम शारीरिक व्यायाम सरह हुइल ओरसे ओइनके आयु नम्मा हुइल कल्पनाके ठहर बा । “अब्बेक मनैनहे टे ७०÷८० वर्ष फे बाँच्न मुस्किल बा ”, उहाँ कहलै ।

जानकी एक सयसे ढेर वर्ष बाँँच्न ज्येष्ठ नागरिक केल नइहुके दाङसे बसाइँ करके कैलाली अइना (बुह्रान झर्ना) एक जिट्टी इतिहासफे हुइट । विक्रम सम्वत १९७० चैतमे जलमल उहाँके दाङके टर्गैं (हालके टरिगाउँ तुल्सीपुर नगरपालिका) मे जलम ओ भोज हुइल रहे । पाछे तीन सन्तान बोक्के गोसिया बुद्धिराम डङ्गौराके साथमे कैलालीके जाई अइलै । उ बेला जाई जङ्गल सरह रहे, जग्गाके मूल्य प्रति कट्ठा सय रुप्या केल ।

जानकीके बुहारी रम्कीके अनुसार कमैना आइल ओरसे ससुइया ससुरुवा जाईमे जग्गा बनैना नइसेक्लै । “पाछे तीन सय रुप्यामे तीन कट्ठा जग्गा किन्लै”, उहाँ कहलै ।

दाङसे बुह्रान पुगल जानकीके सुन्न, बोल्न क्षमता अभिन तिखा बा । मज्जासे बाट कैना उहाँ अपने पनातिसम डेखे पाइलमे खुशी व्यक्त करलै । जानकीके तीन छावा रहिट । बरका महेरमान डङ्गौराके निधन हुसेकल बा । ओस्टेक करके, सात नातिया, आठ नातिनीया, आठ पनाति ओ एक झनातिनी रहल बटै ।

सासुइया परिवारमे टमान पुस्ता हेरे पाइल रम्की बटैलै । “नेंगघुम कैना ओ मजासे डेखे नइसेक्ना सासुइयाके मै रेखदेख करटी आइल बा”, उहाँ कहलै । सासुइया पटुहिया दुनु जाने सामाजिक सुरक्षा भत्ता पाके जीवन निर्वाह करटी रहल बटै ।

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