‘विकृतिहे बढावासे पहिचान धरापमे’

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ३ चैत । थारु समुदायसे विकृतिहे बढावा डेटी गैलक कारण पहिचान धरापमे परटी गैलक एक कार्यक्रममे थारु अगुवाहुक्रे चिन्ता व्यक्त करले बटै ।
धनगढी उपमहानगरपालिका–७ पटेवामे शनिच्चरके रोज हुइल चिल्रहवा थारु समाजके पहिल जिल्ला सम्मेलनमे सहभागीहुक्रे ओसिन चिन्ता व्यक्त करल हुइट । कार्यक्रमके वरका पहुना रहल थारु कल्याणकारिणी सभाके केन्द्रीय सदस्य प्रभातकुमार चिल्रहवाथारु परम्परागत संस्कृति छोरके अब्बे विकृतिहे बढावा डेटी गैलक कारण पहिचान धरापमे परे सेक्ना बटैलै ।
थारु समुदायके अपने रिति संस्कृति, टर टिहुवार, संस्कार बा,’ उहाँ कहलै, ‘अब्बे जलम दिनहे भोजहस मनैना, पासमीमे ढेर खर्च कैना, अपन टरटिहुवारहे छोरटी जैना । पुरान गीतबाँसहे दस्तावेजीकरण करे नइसेक्ना, पुर्खनके ज्ञानसीप पुस्तान्तरण करे नइसेकल हो ।’

थारु समुदाय भिटर टमान थर रहल ओरसे अपन थरहे पहिचान कैना जरुरी रहल उहाँ बटैलै । उहाँ कहलै, ‘थर पहिचान करे नइसेक्लेसे गोत्र–गोत्रविच भोजविहा हुइसेक्ना, रिति हेराई सेक्ना ओरसे गोत्र पहिचान जरुरी रहल बा ।’ चिल्रहवा थारु समाजके अपने रिति संस्कृति रहल ओरसे यिहीहे बचाई लाग सम्मेलन महत्वपूर्ण रहल बटैलै ।
भानुराम चिल्रहवाथारु अब्बेक समयमे राजनितिक, आर्थिक, सास्कृतिक रुपमे आघे बह्रे नइसेक्लेसे यी समाजके विकास हुई नइसेक्ना बटैलै । उहाँ कहलै, ‘हम्रे राजनितिक रुपमे पाछे बटी । यकर लाग सबसे पहिले शिक्षामे जोर डेहे परल । ओकर संगे आर्थिक ओ सांस्कृतिक रुपमे आघे बह्रे परल ।’

कार्यक्रममे विरेन्द्र चिल्रहवाथारु यी समुदायहे आघे बह्राइक लाग शिक्षामे जोर डेहे पर्ना बटैलै । दाङ जिल्लाके जगविर चिल्रहवाथारु अब्बे रितिसंस्कृति हेरैटी गैल ओरसे पहिचान हेरैना चिन्ता व्यक्त करलै । समाजके सल्लाहकार हनुमान चिल्हवाथारु रिति संस्कृतिहे दस्तावेजीकरणके पुस्तान्तरणमे जोड डेहल रहिट । नकफोरवाके ज्ञानी चिल्रहवाथारु धमार गीत मार्फत सन्देश प्रवाह करटी गोत्र पहिचान करे नइसेक्लेसे गोत्र गोत्रविच हुई सेक्ना बटैली ।
चिल्रहवा थारु समाजके दाङ जिल्ला अध्यक्ष भरतराम चिल्रहवाथारु अब्बेक यूवा पिढी लागु औषधके दुव्र्यशनीमे फस्टी गैल ओरसे ओहोरफे ध्यान डेना बाटमे जोर डेलै । चिल्रहवा थारु भिटरफे भिटर बगरिया, बाहेर बगरिया बटै मने दुनु अक्के रहल बटैलै ।
चिल्रहवा थारु समाज कैलालीके दयाराम चिल्रहवाथारु गोत्र–गोत्रविच भोज हुइटी रहल ओरसे उहीहे रोके पर्ना बटैलै । चिल्रहवाथारु समाजमे मरणीकरणीके बेला जिटा मर्ना चलनहे परिमार्जन करेपर्ना बटैलै ।

चिल्रहवा थारु समाज दाङके आशाराम चिल्रहवाथारु परम्परागत पुरान रिति संस्कृतिहे छोरल डेखगैल ओरसे यिहे अध्ययन करके दस्तावेजीकरण कैना बटैलै । अब्बेक यूवाहुकनहे शिक्षित बनाई सेक्लेसे केल समाजहे आघे बह्राई सेक्ना बटैलै ।
कार्यक्रममे धनबहादुर चिल्रहवाथारु, धनीराम चिल्रहवाथारु, सीताराम चिल्रहवाथारु, सीता चिल्रहवाथारु, केशुराम चिल्रहवाथारु, चित्रबहादुर चिल्रहवाथारु, विन्तीराम चिल्रहवाथारु, भिखु चिल्रहवाथारु, गोपीलाल चिल्रहवाथारु, प्रेमलाल चिल्रहवाथारु, खेतुराम चिल्रहवाथारु,विष्णु चिल्रहवाथारु, मेलुराम चिल्रहवाथारु, माघुराम चिल्रहवाथारु, सुन्दर चिल्रहवाथारु, बृद्धिराम चिल्रहवाथारु लगायत मन्तव्य व्यक्त करल रहिट ।

कार्यक्रममे चिल्रहवा थारु समाजके ११० बरसके जेष्ठ नागरिक कञ्चनपुरके कलुवापुर निवासी दुर्गा प्रसाद चिल्रहवाथारुहे दोसल्लासे सम्मान कैगिल बा । ओस्टेक करके चिल्रहवा थारु समाजके जिल्ला सम्मेलनहे सफल बनाईक लाग आर्थिक सहयोग करुइया इन्द्रसिंह चिल्रहवाथारु, कुलविर चिल्रहवाथारु, गुरुप्रसाद चिल्रहवाथारु, विरेन्द्र चिल्रहवाथारु, गोपीलाल चिल्रहवाथारु, खडक चिल्रहवाथारु ओ घनबहादुर चिल्रहवाथारुहे दोसल्ला ओ सम्मानपत्रसे सम्मानित कैगिल बा ।

चिल्रहवा थारु समाजके जिल्ला अध्यक्ष कुलविर चिल्रहवाथारुके घरगोस्यामे हुइल कार्यक्रममे स्वागत मन्तव्य अर्जुन चिल्रहवाथारु ओ संचालन सवनम चिल्रहवाथारु, रामजनम चिल्रहवाथारु करल रहिट । जिल्ला सम्मेलनमे कैलाली, कञ्चनपुर, बाँके, बर्दिया ओ दाङ जिल्लाके चिल्रहवा थारु समाजके प्रतिनिधिहुकनके सहभागिता रहे ।
