थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत २१ असार २६४९, शनिच्चर ]
[ वि.सं २१ असार २०८२, शनिबार ]
[ 05 Jul 2025, Saturday ]

थारु समुदायमे हर्दहुवाके रौनक सुरु

पहुरा | २१ असार २०८२, शनिबार
थारु समुदायमे हर्दहुवाके रौनक सुरु

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २१ असार ।
थारु समुदायमे आजकाल्ह हरढावाके रौनक छाइल बा । खेतीपाती सेकलपाछे प्रत्येक गाउँमे हर्दहुवा पर्व मनैना सुरु कैगिल हो । गाउँ गाउँमे संगे मनैना कहिके निर्णय करटी सामुहिक रुपमे हर्दहुवा मनैटी कैगिल बा ।

शनिच्चरके रोज कैलारी गाउँपालिक वडा नम्बर ७ स्थित छट्कपुर बसन्ता लगायत थारु समुदायके बसोबास रहल गाउँमे सामुहिक रुपमे हर्दहुवा मनागिल जिया चौधरी बटैलै ।

थारू सामुदायके पुर्खेउली पराम्परा अनुसार बर्खाह सिजनमे जोत्नी खोड्नी ओ धान लगैनाके सक्कु काम सेकलपाछे हर्दहुवा खैना चलन बा । हर्दहुवामे थारु परिकार फुलौरी, खरिया, वरीया, सुरीक शिकार, जारके झोल, महुवाके दारू यी परिकार आजके दिन सक्कु घर बनल रहठ । उल्लासपूर्वक मनैना यी पर्वमे गाउँलेहुक्रे बंगुर मारके आपन इष्टमित्रहे निउटा कैके खानपिन कैटी रहर्रगी करठै ।

हर्दहुवामे आपनआपन संघरिया, चेलिबेटीनहे बोलैना खैना ओ सजना गीत गैना, पुरान कथा, बत्कोही चुट्किला सुन्ना ओ सुनैना करके रमैना करल जिया बटैलै ।

हर्दहुवा(हरढावा)के किवदन्ती थारु समुदायके अगुवाहुक्रे असिक कठै । बर्खाह खेतीपाती जोखिमपूर्ण रहठ । हिलाकिचामे बैठौनी सुरु हुइठ । यी समयमे किराकाँटी बाहेर निकरल रठै । सालभर आपन डोन्दरमे रना साप बयाल पिए बाहेर निकरल रठै । मच्छरनके विगविगी रहठ । मने किसान आपन खेतीपाती सेककमारे केक्रो परवाहा नैकरके रातविरात खेतुवामे पानी डर्ना, जोटना, वियार लगैना करठै ।

हिलाकिँचासे मनैनके शरिर कम्जोर हुइल रहठ । हातगोर सरल रहठ । पहिले पहिले मोवाइलके जमाना नैरहे । खेतीपातीपाछे चेलिवेटिनके हालखवर लेनडेन कैना हर्दहुवा एक ठो माध्य बनल रहे । खासमे हर्दहुवा(हरढावा)के अर्थ खेतीपातीमे प्रयोग हुइना हरजुवा, औजारहे ढोइना, खेतीपाती कैके शरिर कम्जोर हुइल रहठ । मिठमिठ खानपिन खाके उहीहे पुर्ति कैना ओ नातागोतनसे भेटघाट कैना हो ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू