थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १४ बैशाख २६४९, अत्वार ]
[ वि.सं १४ बैशाख २०८२, आईतवार ]
[ 27 Apr 2025, Sunday ]

विचार

लेख, लेखक ओ पारिश्रमिकके सवाल

लेख, लेखक ओ पारिश्रमिकके सवाल

ओंरवा लेहेबेर लौव अग्रासन साप्ताहिक इहे अगहन २५ गते १४ बरसमे प्रवेश करलमे सब्से पैल्हे साप्ताहिक परिवारहे बहुट बहुट बधाइ बा । प्रकाशक, सम्पादक सन्तोष दहितके सामाजिक सन्जाल ओ इमेलमे अर्जि रहे, बार्षिकोत्सवके अवसरम विशेष अंकके लग
बारबर्दियामे साहित्यिक महोत्सवः अन्य पालिकाहे सिख

बारबर्दियामे साहित्यिक महोत्सवः अन्य पालिकाहे सिख

एकात्मक ओ केन्द्रीय शासन प्रणालीसे देशके दुरजराजमे, भौगोलिक, आर्थिक ओ सामाजिक रुपमे सीमान्तकृत समुदायहे समानुपातिक वितरण डेहे नैसेकठ कना यथार्थहे आत्मसाथ करटि गाउँ–गाउँमे सिंहदरवार पुगे, स्थानीय सरकार जनमुखी सेवा ओ सुविधा प्रदान
डस्या, डेवारिम ढुर झर्नाः थारुन्के जीवन्त संस्कृति

डस्या, डेवारिम ढुर झर्नाः थारुन्के जीवन्त संस्कृति

स्थानः कैलाली, घोडाघोडी नगरपालिका–१० लठैया (घुरिहान पुरुवा) समयः सन्झक् ६ बजे यी बरस (०७८) के डसैं । ढिक्रहुवक् डोसर दिन । पिट्रहुवा, पिट्टर अस्रैना रोज ओ ढुर झरना दिन । मन्द्रक भरटार (धुन), घेल्टुङ… घेल्टुङ… घेल्टुङ… बोले लागल । हमार
जलवायु परिवर्तनके चेपुवामे किसान

जलवायु परिवर्तनके चेपुवामे किसान

जलवायु दीर्घकालीन मौसम हो, जोन हम्रे सामान्यतया यी ग्रहमे बचल सब जीवजगत, चराचर, पशुपन्छी, भीमकाय जनावरसे सूक्ष्म जीव, परजीवी समेत अनुभव करटिरठि । यी ग्रहमे बाँचेक लाग सब जीवित प्राणीहे एक विशिष्ट जलवायुके आवश्यकता परठ । मने सन् १८००
पर्वतके महारानीक् एक झलक

पर्वतके महारानीक् एक झलक

नेपालके सबसे बरवार पुरस्कार हो, मदन पुरस्कार । विक्रम् संवत् २०७६ सालके मदन पुरस्कार घोषणामे चन्द्रप्रकाश बानियाँके उपन्यास ‘महारानी’ घोषणा हुइटिकिल यी पोस्टा पह्रना उत्सुक हुइल रहुँ । कारन विशेषसे बजारमे अइटिकिल यी पोस्टासे
थारु लोक सँस्कृतिके मननीय पक्ष

थारु लोक सँस्कृतिके मननीय पक्ष

थारु लोकसँस्कृति यी पङ्क्तिकारहे अत्रा मोहनी काहे लगाइठ कि यी वाहेक और कुछ चिजके ख्याल नैआइठ ! हरपल यी सम्मोहित करटिरहठ । यी पङ्क्तिकारके घरके पुस्तकालयमे थारु कल्याण कारिणी केन्द्रीय सभाके प्रकाशन बा “थारु संस्कृति” ०६२ बैशाख
किनारीकृत समुदायमे जनगणनाके अवसर तथा चुनौती

किनारीकृत समुदायमे जनगणनाके अवसर तथा चुनौती

हरेक १० वर्षमे हुइना जनगणना यी वर्ष २०७८ मे फेन ‘मेरो गणना, मेरो सहभागिता’ नाराके साथ यिह भदौ ३० से असोज १८ गतेसम तथ्यांक संकलन हुइटि बा । राष्ट्रिय जनगणनाके लाग केन्द्रीय तथ्यांक विभागसे पूर्वतयारीके साथ लगलेसे फेन कोरोनाके महामारीके
थारु गिटके विस्लेसन जरुरि

थारु गिटके विस्लेसन जरुरि

बिसय प्रवेसः थारु गिटके प्रकासिट पोस्टाके इटिहास बिल्टैना हो कलेसे थारू कल्याणकारिणी सभा जिल्ला समिति दाङ २०२४ सालओर ‘सखिया गिट’के प्रकासन कैके लोकसाहित्यहे लावा डगर डेखाइल । ओस्टक पुरुबओर २०२५ सालमे प्रो. प्रफुल्ल कुमार सिंह
अट्वारीमे दिदीसे माला ओ टीका

अट्वारीमे दिदीसे माला ओ टीका

थारु समुदायके पवित्र पर्व अट्वारीके बेला मै मोर बर्की दिदी शान्ति चौधरीसँग यिबेरके अट्वारीमे डौना ओ लौङ्गारा फूलक माला ओ चाउरके पीठक टीका लगा डेना अनुरोध करले रहेँ । अट्वारीके व्रतमे दिदीबहिनियन लाग निकारल अग्रासन (कोशेली–फलफूल,
सामाजिक रुपान्तरणम गोचाली परिवारक योगदान ओ आगामी कार्यभार

सामाजिक रुपान्तरणम गोचाली परिवारक योगदान ओ आगामी कार्यभार

मानव सभ्यताक इतिहास वक्ररेखा पार कैक बनठ । हरेक युगमा उन्नत संस्कार ओ संस्कृति बनकलाग उ ब्यालक मानव समुदाय विद्रोह कर्ठ, सचेत ओ युगद्रष्टाहुक्र अगुवाइ कैक समाज रुपान्तरण कर्ठ । वर्गीय समाजम वर्र्गीय चेतनाले ओतप्रोत हुइल क्रान्तिकारीहुक्र