थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १७ सावन २६४९, शुक्कर ]
[ वि.सं १६ श्रावण २०८२, शुक्रबार ]
[ 01 Aug 2025, Friday ]

विचार

लोभावन पुरैना टलुवा एक परिचय

लोभावन पुरैना टलुवा एक परिचय

परिचय कट्कुँइयाँ कट्कुइयैसे भरल पुरैना टलुवा फेन एक्ठो प्राकृतिक टलुवा हो । पुरैनाहे नेपाली भासामे कमल कहिके चिन्ह्जाइठ । ओहे मारे इ टलुवाहे कमल पोखरी फेन कठैं । पुरैना फुलासे भरल हुइलक् ओर्से स्थानीय लोग एकर नाउँ पुरैना ढरलैं ।
सुर्खेत, साहित्य ओ सर्वहारी

सुर्खेत, साहित्य ओ सर्वहारी

‘सुर्खेत बुलबुलताल, माया मै सानो हुनाले छुट्यो मायाजाल,’ इ गिट मै छोटहिसे सुनल रहुँ । टब्बेहेसे लागे कसिनहुइ सुर्खेत ? पाछे सुर्खेतके मानबहादुर पन्ना भाइ कौनो काम विसेस मोर डेरा काठमाडौं, कीर्तिपुर अइलाँ, राट बसेरा बैठ्लाँ ।
थारु साहित्यमे लावा घरके बात

थारु साहित्यमे लावा घरके बात

कंचनपुरके थारु साहित्यके इतिहास ओट्रा लम्मा नैहो । खोजअनुसन्धान करेबेर शुक्लाफाँटा–७ झण्डाबोझीके हिमाली चौधरीक् कृष्ण अस्टिम्किक् गीत–२०६१ कंचनपुरके पहिल पोस्टा ठहरठ् । २०७५ साल वैशाखमे अस्रा गजल संग्रह निकारके अपन साहित्यकारितामे
मोहनपुरके बट्ठा

मोहनपुरके बट्ठा

कैलाली जिल्ला गाउँ, गाउँसे भरल जिल्ला हो । यहाँ १३ ठो स्थानीय निकाय बा । ओहे निकाय मन्से कैलारी गाउँपालिका वडा नम्बर ३ मोहनपुर (साविक हसुलिया–४) फेन एकठो थारु जातिनके किल बस्ती रहल गाउँ हो । मोहना लडियक् ढिकुवामे हुइलेक ओर्से इ गाउँक्
मन्के लागल ‘मनके आवाज’

मन्के लागल ‘मनके आवाज’

विगत ढेर बरससे कंचनपुरके साहित्यिक स्रस्टा लोगनके खोजीमे डौरटि रहल यी पंक्तिकारके आब बलटल साँस अइलिस । कंचनपुर जिल्लाके थारु भासामे गजल लिख्के कृति प्रकासन करुइया अशोक चौधरी पहिल स्रस्टा हुइँट् । एम्ने कौनो दुइ मत नैहो । आझ खुसी
माघक महत्व ओ थारू समाज

माघक महत्व ओ थारू समाज

थारू भूमिपुत्र हुइट । सायद यी बातम दुईमत नै होकी, थारू मानव सभ्यताक प्रारम्भिक चरणथेसे जमिन, जंगल ओ जलसे डब्नीभिर्या खेल्टी अइल । इह ऐतिहासिक कारणसे थारून्हक हरेक संस्कृति, परम्परा, चाल चलन ओ सामाजिक मूल्य मान्यता जल, थल ओ जंगलमे
लेख, लेखक ओ पारिश्रमिकके सवाल

लेख, लेखक ओ पारिश्रमिकके सवाल

ओंरवा लेहेबेर लौव अग्रासन साप्ताहिक इहे अगहन २५ गते १४ बरसमे प्रवेश करलमे सब्से पैल्हे साप्ताहिक परिवारहे बहुट बहुट बधाइ बा । प्रकाशक, सम्पादक सन्तोष दहितके सामाजिक सन्जाल ओ इमेलमे अर्जि रहे, बार्षिकोत्सवके अवसरम विशेष अंकके लग
बारबर्दियामे साहित्यिक महोत्सवः अन्य पालिकाहे सिख

बारबर्दियामे साहित्यिक महोत्सवः अन्य पालिकाहे सिख

एकात्मक ओ केन्द्रीय शासन प्रणालीसे देशके दुरजराजमे, भौगोलिक, आर्थिक ओ सामाजिक रुपमे सीमान्तकृत समुदायहे समानुपातिक वितरण डेहे नैसेकठ कना यथार्थहे आत्मसाथ करटि गाउँ–गाउँमे सिंहदरवार पुगे, स्थानीय सरकार जनमुखी सेवा ओ सुविधा प्रदान
डस्या, डेवारिम ढुर झर्नाः थारुन्के जीवन्त संस्कृति

डस्या, डेवारिम ढुर झर्नाः थारुन्के जीवन्त संस्कृति

स्थानः कैलाली, घोडाघोडी नगरपालिका–१० लठैया (घुरिहान पुरुवा) समयः सन्झक् ६ बजे यी बरस (०७८) के डसैं । ढिक्रहुवक् डोसर दिन । पिट्रहुवा, पिट्टर अस्रैना रोज ओ ढुर झरना दिन । मन्द्रक भरटार (धुन), घेल्टुङ… घेल्टुङ… घेल्टुङ… बोले लागल । हमार
जलवायु परिवर्तनके चेपुवामे किसान

जलवायु परिवर्तनके चेपुवामे किसान

जलवायु दीर्घकालीन मौसम हो, जोन हम्रे सामान्यतया यी ग्रहमे बचल सब जीवजगत, चराचर, पशुपन्छी, भीमकाय जनावरसे सूक्ष्म जीव, परजीवी समेत अनुभव करटिरठि । यी ग्रहमे बाँचेक लाग सब जीवित प्राणीहे एक विशिष्ट जलवायुके आवश्यकता परठ । मने सन् १८००