थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत ०५ जेठ २६४८, शनिच्चर ]
[ वि.सं ५ जेष्ठ २०८१, शनिबार ]
[ 18 May 2024, Saturday ]

विचार

थारु भाषाके मानकीकरण

थारु भाषाके मानकीकरण

पृष्ठभूमि : थारु नेपालके सबसे पुरान आदिबासी हुइ लेकिनफेन हमार थारु भाषाके मानक नै हो । यिहे कारणसे थारु भाषामे मैथिली, अवधी, भोजपुरी, नेपाली, हिन्दी ओ अंग्रेजी भाषाके प्रभाव बढ्ती जाइता । आझ थारु भाषाक मानक नै बनाबि कलेसे थारु भाषा
रंगहस चहकार होलिक रिँट

रंगहस चहकार होलिक रिँट

सेँडुर, रंग अबिर डेउडिउँटन टिक्ना, शुभ कामम बेल्सना रिँट अघट्यसे पुर्खन चलैटि अइल बाट । ओस्हक, गाउँसमाजम गँढुर्या, बरघर्या, चिरिक्या, चौकिडर्वा, केसौका, अगौहा, ककन्डर्वा, मँटावा, भल्मन्सा चुन्लसे फे खुशीक मौकम अबिर घँस्क राहरंगिटकर्ना,
कहाँ हेराइल अँगिया ?

कहाँ हेराइल अँगिया ?

माघक डिन ठेसे हमार थारु समुडायम एकठो कहनौटी बा कि आज ठेसे घामक ग्वारा जाम गिलिस कैक । माघ टिह्वार मनैन् घाम हँ फे हम्र आपन अँग्नम परगा डबैठि । थारु समुडायके बयान कर्ना हो कलसे कहाँसे सुरु करि कना हो जाईट । हरेक मेरमेरिक टिह्वार,
थारु महिलन्हे खै अधिकार ?

थारु महिलन्हे खै अधिकार ?

मै सुव्वर पल्ठु । ओकर मोलमोलाइ करना अधिकार नैहो । मुर्गी पल्ठु । उ छोट जीव बेच्ना अधिकार महिन नैहो । घरेक सबकाम— भात पकैना, भाँरा धोइना, लिपपोत करना, सबके लुग्रा धोइना लगायत सबके सब काम मै करठु मने घरके कौनो फेन निर्णय प्रक्रियामे
कैलाली गोरपासुमे टेंस

कैलाली गोरपासुमे टेंस

फागुन मसान्तके समय । बसन्त ऋतुके आगमनसँगे हमार यात्रा बर्दियासे कैलाली कञ्चनपुर ओ बाँकेसमके लाग तय हुइल रहे । रुपन्देही जिल्ला देवदह नगरपालिका वडा नम्बर ११ शंकरपुरसे आभुषण बचत तथा ऋण सहकारी संस्था लिमिटेडके शेयर सदस्यहुकनके
भाषिक मृत्युसंगे पहिचानके सवाल

भाषिक मृत्युसंगे पहिचानके सवाल

एक जाने कले रहैं, महिन हेरके कोइ मै थारु हो कहे सेकी ? मोर पहिरन हेरलेसे आधुनिक समय अन्सारके कोट पाइन्ट लगैठु । आब अप्नही कहि महिनहे चिन्हा ओ चिन्हैना डगर का रहल टे ?अप्नही प्रतिजवाफ डेलैं, महिन चिन्हा चिन्हैना एकठो किल डगर बा, उ हो ‘भाषा’
स्थानीयहुकनके आवाज अइना चाही

स्थानीयहुकनके आवाज अइना चाही

पहुरा थारु दैनिक पत्रिका थारुहुकनके आवाज, मुद्दा उठैना पत्रिका हो । जौन १८ बरससे हमार थारुनके बारेमे बोल्टी, लिख्टी थारुनके आवाज उठैटी आइल बा । थारु संस्कृति, रीतिरिवाज, रहनसहनके बारेमे लिख्टी आइल बा । थारुहुकनके भाषा, संस्कृति
महिनौ मौनताके जवाफ मिनेटमे

महिनौ मौनताके जवाफ मिनेटमे

चर्का महङगीमे छावाछाईक पढाई खर्च घरपरिवारके औषधी साँझ सकारेक छाकसंगे एकदम गाह्रो परिस्थितिमे परिवार चलैटी बाँच्टी रहु । उहाँक जागिरसे केल नइ पुग्न हुइल, एक दिन यैसिक सोच्नु आब मै फे काम करे परल । छोट काम खोज्नु साँझ सकारेक घरधन्धा
थारु समाज चिटैना मोका– गयर्वा बुडु

थारु समाज चिटैना मोका– गयर्वा बुडु

पुसके पहिल साता, ठुल्क कुहिरा ओ जार ओस्टे रहे । कृष्ण सर्वहारी कलिङ कटी मोबाईलके घन्टी बोलेबर मै चिया पियटहुँ । कृष्ण सर्वहारी कोहलपुर आइल रहिट । कहाँ बाटी अप्नेहे भेटे आुइटु ? सर्वहारी कोहलपुर रहिट । यु आर हर्टली वेलकम सर्वहारी
दाङसे बुढान

दाङसे बुढान

कौनो फेन दुई चीज ठक्कर खैथा कलेसे उहिमसे कौनो दोस्रा चिजके सृष्टि हुइथा । जसिन की काठ काठम जुझा देलसे आगी बन्था पथ्रा जुझलसे फेन आगी निक्रथा और अस्तहके पानी और आगी जुझलसे बाफ निक्रथा । उह ओर्से हरेक चिजके जुझाई हन कथकी संघर्ष । चाहे