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खाद्य अधिकार सुनिश्चित कैना परम्परगत कृषिमे जोडः अर्थमन्त्री रावल

पहुरा | १६ पुष २०७९, शनिबार
खाद्य अधिकार सुनिश्चित कैना परम्परगत कृषिमे जोडः अर्थमन्त्री रावल

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १६ पुस ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशके आर्थिक मामिला मन्त्री प्रकाशबहादुर रावल खाद्य अधिकार सुनिश्चित कैना परम्परागत कृषिमे जोड डेहे पर्ना बटैले बटै ।

फियान नेपालके आयोजनाके धनगढीमे हुइटी रहल खाद्य अधिकार संजालके सदस्यहुकन विच खाद्य अधिकार सम्बन्धी सिकाई अदान प्रदानके उदघाटन कार्यक्रममे बोल्टी मन्त्री रावल उ बाट बत्वाइल रहिट । नेपाली यूवा अब्बे विदेशमे रोजगारीके लाग जैना करल बटै,’ अर्थमन्त्री रावल कहलै, ‘विदेशसे आइल रेमिटयान्ससे प्रदेशके अर्थतन्त्र धन्ले बा । मने प्राप्त हुइल रेमिटयान्ट अनउत्पादक क्षेत्रमे लगानी हुइटी बा । खाद्य अधिकार सुनिश्चित कैना हो कलेसे बाहेरसे आइल पैसा रेमिटयान्सहे उत्पादनके क्षेत्रमे लगानी करे परल बा ।’

यूवाहुक्रे अपन गाउँठाउँ छोरके विदेश जाके रोजगारी कैना मने यहाँके जमिन बाँझ हुइटी गैल ओरसे परम्परगत कृषि क्षेत्रमे संघ, प्रदेश ओ स्थानीय सरकार लगानी बह्रैना आवश्यक रहल मन्त्री रावल बटैलै ।

कार्यक्रमके प्रदेशसभा सदस्य रमेशसिंह धामी खाद्य अधिकार ऐन २०७५ मे रहल प्रावधनहे प्रदेश सरकारसे कार्यान्वयन करुवइना पहिल दायित्व रहल बटैलै । उहाँ कहलै, ‘कौनोफे व्यक्तिके पहिल अधिकार खाई पैना अधिकार सुनिश्चित हुई परल । ओकर संग्गे लगैना, शिक्षा, स्वास्थ्यहे प्राथमिकताके साथ आघे बह्रे परल ।’ अपने भाषणसेफे अपन कार्यकालमे काम करके डेखैना प्रतिबद्धताफे उहाँ जनैलै ।

प्रदेशसभा सदस्य नरबहादुर शाही व्यवस्था परिवर्तन हुइल मने अवस्था परिवर्तन नइहुइल बटैलै । सुदूरपश्चिम प्रदेशके यूवा अपन परम्परगत खेती छोरके विदेशमे नोकरी जागिरी करे गैल कारण यी प्रदेश पाछे परल उहाँ बटैलै ।

यी प्रदेशसे यूवा अपन खेती योग्य जमिन बाँझ छोरके चौकीदारी, ज्यालादारी करे जैना प्रचलन बा,’ प्रदेशसभा सदस्य शाही कहलै, ‘मने भारत लगायत और ठाउँमे उत्पादन हुइल खाद्य बस्तु हम्रे नेपाल नानके उपभोग करठी । टब कैसिक हमार खाद्य अधिकार सुनिश्चित हुई ।’ सुदूरपश्चिम प्रदेश उत्पादनके दुष्टिकोणसे मजा ठाउँ हो, मने यहाँके जमिन बाँझ कैके बाहेर जैना प्रचलन रहल उहाँ बटैलै । प्रदेश सरकार आब खाद्य अधिकार सुनिश्चितताके संगे खाद्य उत्पादन नीतिहे आघे बह्रैना जरुरी रहल बटैलै ।

प्रदेशसभा सदस्य रक्षा महरा अपने सामान्य किसानके छाई रहल ओरसे किसानहुकनके पीडा, समस्या बुझल बटैली । सुदूरपश्चिम प्रदेशमे अब्बे २८ प्रतिशत रहल गरिबीहे कम करटी लैजैना अपन भूमिका रहना उहाँ प्रतिबद्धता जनैली ।

खाद्य अधिकार संजालके सुदूरपश्चिम प्रदेश संयोजक बलबहादुर रोकाय प्रदेश सरकारहे ऐन २०७५ कार्यान्वयनबारे बार–बार ज्ञापनपत्र बुझाइल, डेलीगेसनमे गैल मने पाँच बरससम कुछ सुनुवाई नइहुइल बटैलै । उहाँ कहलै, ज्ञापनपत्र बुझाइल बेला माग पुरा कैना प्रतिवद्धता जनाजाए, माग पुरा नइहुइलपाछे फेरसे जाईबेर उहे बाट दोहराइल बटैलै ।

चुनावके बेला राजनीतिक दलके उम्मेदवारहुक्रे बादी समुदायमे, थारु, आदिवासी जनजाति समुदायमे जाके भोट मग्ना मने प्रदेशमे सहभागी हुइलपाछे सबकुछ विस्रैना परिपाटी रहल उहाँ बटैलै । उहाँ कुछ पालिका किसान परिचयपत्र वितरण सुरु करल बटैलै ।

राष्ट्रिय खाद्य अधिकार संजालके केन्द्रीय सदस्य तथा गैरसरकारी महासंघ सुदूरपश्चिम प्रदेश अध्यक्ष देवीप्रसाद खनाल सुदूरपश्चिम प्रदेश खाद्य उत्पादनके दृष्टिसे आघे रहल मने वितरण प्रणाली ठिक नइरहल बटैलै । प्रदेश सरकारसे प्रदेश खाद्य परिषद गठन करल मने ऐनके कार्यान्वयन फितलो रहल उहाँ बटैलै । सरकार छोट किसान ओ भूमिहिनके सवालहे सम्बोधन करे नइसेकल उहाँ बटैलै ।

फियान नेपालके अध्यक्ष गोकर्ण रुपाखेती संघ, प्रदेश ओ स्थानीय सरकारहे गरिबीके पीडा महशुस नइहुइटसम खाद्य अधिकार सुनिश्चितता नइकैना बटैलै ।

कार्यक्रममे फियान नेपालके केस युनिट कोडिनेटर अधिवक्ता तिलक अधिकारी खाद्य अधिकार ऐन २०७५ ओ यकर कार्यान्वयनके अवस्थाबारे जानकारी डेटी सुदूरपश्चिम प्रदेशमे २८ प्रतिशत गरिबी रहल बटैलै ।

नेपालमे गम्भीर भोकमरी १३.६ प्रतिशत (३९ लाख), माध्यम भोकमरी ३७.८ प्रतिशत (एक तिहाई एक करोड) ओ पाँच मे एक पविवार न्युनटम पोषण आहार खरिद कैना असक्षम रहल उहाँ जनैलै । कुपोषणके अवस्था ३२ प्रतिशत बालबालिका रहल बटै ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशमे २८ प्रतिशत, कर्णालीमे ३६ ओ मधेशमे २९ प्रतिशत गरिबी रहल उहाँ जनैलै । खाद्य जोखिममे एचआइभी संक्रमित, मुक्तकमैया, मुक्तहलिया, बादी, राउटे, राजी कुमाल, निकुञ्ज प्रभावित, विकासे योजना प्रभावित ओ विपद प्रभावित÷विस्थापित रहल बटै ।

कार्यक्रममे सहजीकरण फियान नेपालके सुदूरपश्चिम प्रदेश संयोजक अधिवक्ता मुकुन्द राना ओ स्वागत मन्तव्य प्रवन्धक विनोद पाण्डे करले रहिट । शनिच्चर ओ अँटवार संचालन हुइना कार्यक्रममे १२ जिल्लाके खाद्य अधिकार संजालके सदस्यहुकन सहभागिता रहल बा ।

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