थारु समुदाय अष्टिम्की मनैलै

आज फरहार कैके चेलीबेटिनहे अग्रासन डेना
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १५ भदौ । थारु समुदायके चेलीबेटीहुक्रे घरक् भित्तामे कृष्ण चरित्रके टमान आकृतिहे हस्तकलासे सजाके अष्टिम्की टिक्ले बटै ।
थारु समुदायके चेलीबेटीहुक्रे सोम्मारके रोज अष्टिम्की पर्व हर्षोल्लासपूर्वक मनाइट हुुइट । कलेसे हिन्दू धर्मवलम्वीहुक्रे टमान मठ मन्दिरमे पूजाआजा करके भगवान श्रीकृष्णके जन्मोत्सव मनैले बटै ।
पृथक मौलिक चालचलन तथा संस्कृति बोकल आदिवासी थारु समुदायके ब्रतालु चेलीबेटीहुक्रे भदौ १३ गते रातके दर खाके सोम्मारके दिनभर ब्रत रहिके साँझके अष्टिम्की टिक्ले बटै ।
थारु कल्याण कारिणी सभाके केन्द्रीय सदस्य प्रभातकुमार चौधरी सोम्मारके दिनभर ब्रत रहल ब्रतालु महिला तथा लउण्डीहुक्रे साँझ्याके घरके भित्तामे कृष्ण चरित्र अंकित हाठसे बनाइल टमान मेरिक पौराणिक चित्रमे टिक्न अर्थात पूजा करल बटैलै । टिक्न काम ओराइलपाछे लैगिल फलफूल आपसमे बाँटके खैना प्रचलन रहल बा ।
उहाँके अनुसार अष्टिम्कीके उत्पत्ति ‘अष्टमीटिका’से हुुइल हो । भगवान श्रीकृष्णहे थारु भाषामे ‘कान्हा’ कहिजाइठ । अष्टिम्कीके अर्थ भदौ महिनाके अष्टमी तिथिमे श्रीकृष्ण ‘कान्हा’ जन्मलओरसे उहाँहे टीका लगैना हो । ‘कान्हा’के जन्मदिनहे थारु महिलाहुक्रे विशेष रुपमे मनैना हुइलओरसे यी दिनहे थारु समुदाममे अष्टिम्की कहिके मनैना प्रलचन रहटी आइल बा ।
अष्टिम्कीमे ‘कान्हा’ के जीवनीहे भित्तामे चित्रके माध्यमसे उटारके चित्रण करजाइठ । असिके चित्रमे धुमधामसे टीका, फलफूल, जल अर्पण तथा दीप प्रज्वलन करके पूजा करजाइठ ।
कसिक मनाजाइठ अष्टिम्की ?
ब्रतालु महिलाहुक्रे अष्टिमकीके पहिल दिन बिहन्नी गाउँक् भलमन्सा वा बडघरके घरके बहरी अर्थात बैठक कोठाके उत्तरपाँजरके भागमे लिपपोट करके चुनसे रंगाके श्रीकृष्ण भगवानके चित्रहे विशेष रुपमे सजैठै । श्रीकृष्णके दाहिन पाँजर सूर्य ओ बाँउ पाँजर जोन्हियाके चित्र बनैठै । कलेसे डोसर लाइनमे सात भैया कौरवहुकनके चित्र बनाजाइठ । टेसर भागमे डुलाहादुलही, डुलहीहे पठाई जाईबेरिक अवस्थाके ‘डोली’, दुलाहाहे पठाई जाईबेरिक अवस्थाके ‘डोला’, मच्छी, गंगटा, बाघुवा, हाठिया, मंनजोर, साँप, बिच्छी, गैयालगायत टमान चिरै ओ जनावरके चित्र कोर्न प्रचलन रहटी आइल बा ।
असिक श्रीकृष्ण भगवानके जीवनमे आधारित चित्र सजाके सेकलपाछे गाउँघरिक महिलाहुक्रे लेहंगा, बिलाउज, चोलियालगायत पहिरनमे सजके लाइनबद्ध होके अष्टिम्की टिक्न प्रचलन रहटी आइल हो । डोसर दिन विहान अर्थात आज मंगरके रोज ब्रतालु महिलाहुक्रे आघेक दिन जस्टे टिक्ही । ओकरपाछे आघेक दिन ओ पाछेक दिन टिक्न क्रममे लैगिल टमान पूजा सामग्री लग्गेक् लडियामे अस्राई जैना ओ लहाके घर फर्कन प्रचलन रहल थारु नानगरिक समाज कैलालीके संयोजक दिलबहादुुर चौधरी बटैठै ।
ओहोर, घरमे ब्रतालु महिलाहुुकनके लाग परिवारजनहुक्रे खरिया, फुलौरी, सिद्रा, आचारलगायत टमान परिकार बनाके तयार पर्ठै । जौन परिकारहे ब्रतालु महिलाहुक्रे ‘फरहार’ कर्ठै । टमान परिकारहे खैनासे पहिले टेपरी तथा डोनामे छुट्याके राख्नहे थारु समुदायमे फरहार कहिजाइठ ।
फरहार पश्चात किल ब्रतालु महिलाहुक्रे खाना खैठै । असिके फरहारके क्रममे डोना टेपरीमे छुट्याके राखल परिकारहे आपन विवाहित चेलीबेटीहुुकन अग्रासन (कोसेली) के रुपमे डेहे जैना प्रचलन समेत रहल बा । चेलीबेटीहुकन अग्रासन डेहे जैना प्रचलनसे समाजमे भाईचाराके भावना जागृत करटी आइल थारु बृद्धिजीवीहुुकनके कहाई बा । अस्टेके, धनगढी उपमहानगरपालिका–५, जाँइ गाउँकमे भलमन्सा कुलविर चौधरीके अगुवाइमे सामूहिक रुपमे अष्टिम्की मनागिल बा ।
