धर्मबारे थारु समुदाय अन्यौल

पहुरा समाचारदाता
धनगढी,२९ कार्तिक । थारु समुदायहुक्रे १२औं राष्ट्रिय जनगणनामे भाषा, जातमे थारु लिखैना एकमत हुइलेसेफे धर्मके सवालमे विभाजित डेखल बटै । २०६८ सालके जनगणनामे धर्म लिखैना सम्बन्धमे प्रष्ट नइरहल बेला अब्बे हुइटी रहल जनगणनामेफे उहे अवस्था आइल थारु अगुवाहुक्रे बटैले बटै ।
हिन्दु परम्परा अनुसार महिनावारी बर्ना, पापसे मुक्ति पैना महिलासे ऋषि पञ्चमीके ब्रत बैठना, आजीवन बाध्यतावश बिधवा जीवन बिटैना, छोट/भारी जात कहिके भेदभाव कैना संस्कार थारु समुदायमे नइरहल थारु नागरिक समाज कैलालीके संयोजक दिल बहादुर चौधरी बटैलै ।
‘दिनहुँ मन्दिर जैना चलनफे थारु समुदायमे नइहो । ओइने राम, रावण, देव, दानव, पितृ पुर्खा, प्रकृतिके पुजा करठै,’ संयोजक चौधरी कहलै,–‘ डिउहार, डहरचण्डी, पाँचपाण्डव, मुरहामालिक, साप, घोडुवा, बघुवा, हाथीके पुजा करठै । कृषि कर्मकाण्ड (हरढोवा, औली, पेंडियाहे चाडपर्व मानके रमैठै । घरेम पितृपुर्खा, खिखरी, मैया, सौंरा, गुर्बाबा ओ और बघुवा, सपुवाहे कुलदेवता, ग्रामथानमे मरी घोटैली, काली, डहरचण्डी, पाँच पाण्डव लगायतहे ग्रामदेवता मन्ठै । वनुवमे वनसप्ती माताके रुपमे बनुवक पुजा कैठै । यी टमाम कारणसे थारुहुक्रे प्रकृति पुजक हुइट जैसिन लागठ ।’ न्याय, सत्य ओ सही तर्कहे आधार मन्ना हो कलेसे थारु बौद्धलम्बी रहल उहाँ बटैलै ।
थारु समुदायके कार्यक्रम हुइल बेला, सामाजिक संजालमे छलफल हुइलबेला कोई थारु समुदाय प्राकृति पुजक, कोई बौद्ध धर्म, टे कोई हिन्दु धर्म कहिके तर्क डेहल पागिल बा । थारु कल्याणकारिणी सभा, थारु बौद्धिक व्यक्तित्व, सचेत अगुवाहुक्रे, थारु लेखक संघ, भलमन्सा जैसिन सामाजिक संगठन एकमत नइहुइटसम धर्मके बारेमे सदा अलमल रहना थारु नागरिक समाजके संयोजक बटैलै ।
सीताराम अग्रहरी थारू समुदाय बौद्ध रहल जिकिर करले बटैठै । थारूहुक्रे मनैना पर्वमे हिन्दू बाहुल्य देवी, देवता, उत्सव प्रमुख बटै, मने प्रकृति पूजक प्रचलनफे नइमेटल उहाँ बटैलै ।
‘हिन्दू धर्मओर आकर्षित हुइना आघे थारूहुक्रे प्रकृतिपूजक हुइट’, उहाँ कहलै –‘थारूहुकनके शान्त ओ शालीन प्रवृति भर बुद्धिज्मसंग मिलठ । मने शहर बजारसे दुर बैठना सोचसे हुई थारूहुक्रे बुद्धिज्मके सम्पर्कमे ओटरा हाली आई नइसेक्लै ।’
बम बहादुर थारु अघिल्का दुई चो बौद्ध धर्म लिखाइल मने जलमसे मृत्युु समके कौनो कर्मकाण्डके ज्ञान लेहे नइसेकल बटैठै । अब्बे प्रकृतिके बाट अइटी बा प्रकृति ओ बुद्ध धर्मके बीचमे छलफल हुइना जरुरी रहल उहाँ बटैलै ।
बासुदेव थारु पृथ्वीनारायण शाहके शासन कालसे राज्यसे हिन्दुइज्म लादल ओरसे केल थारुहुक्रे हिन्दुके ३३ कोटी देवीदेवता पूजापाठ करलेसेफे थारु समुदाय बौद्ध रहल जिकिर करलै । जनगणनामे थारु समुदायसे अलग पहिचानके लाग धर्ममे “बौद्ध धर्म “ लिखैना उहाँ सुझाव डेठै ।
नेपाल आदिबासी जनजाती महासंघ समन्वय समिति कैलालीके पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण तुलाचन थारु कल्याणकारिणी सभासे बुद्ध धर्म लिख्ना कहिके प्रस्ताव पास करसेकल ओरसे धर्मके विषयमे थारु समुदायहे अलमल नइपर्ना बटैलै ।
शत्रुघन चौधरी स्वभाव ओ कुछ सस्कार हेरेबेर बुद्ध जैसिन, मुल संस्कार प्राकृतिक पुजा, और पुजाआज कर्मकाण्ड हिन्दु धर्म अनुसार कैना थारू समुदायहे धर्मके बारेमे दुविधा या अलमल हुइना स्वभाविक रहल बटैलै । जनगणनाके बेला केल नाही यकर निराकरण कैना व्यापक तथा निरन्तर खोज अनुसन्धान तथा बहस छलफल जरूरी रहल बटैलै ।
