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अदालतमे डेखल अन्योलतासे नागरिकके अधिकार कुण्ठित

पहुरा | १ मंसिर २०७८, बुधबार
अदालतमे डेखल अन्योलतासे नागरिकके अधिकार कुण्ठित

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ०१ अगहन ।
नेपाली जनताके विकास, समृद्धि तथा मानव अधिकारमैत्री एवम् जवाफदेही शासनके अपेक्षामे हाल डेखल संस्थागत अराजकतासे गम्भीर आघात पुग्न कहटी इन्सेकसे सर्वोच्च अदालतमे डेखल अन्योलता अन्त्यके माग करले बा ।

इन्सेकके अध्यक्ष डा. इन्दिरा श्रेष्ठसे मंगरके रोज जारी विज्ञप्तीमे सर्वोच्च अदालतके प्रधानन्यायाधीशसे न्यायालयमे बेथिति निम्त्याइल आरोपमे न्यायाधीशहुक्रे आन्दोलनमे लग्ना बहुट गम्भीर विषय रहल उल्लेख करल बा । विज्ञप्तीमे नेपालके संविधानसे न्यायपालिकाके गरिमा, महत्व ओ आचरणके बारेमे स्पष्ट उल्लेख करल स्मरण कराइल बा ।

टमान आठ ठो सरोकार रख्टी इन्सेकसे न्यायिक सम्पादनमे हुइटी रहल ढिलाइसे आम नागरिकके अधिकार कुण्ठित हुइना ओरसे समस्याके समयमे समाधान कैना सरोकारवालाहे आग्रह करले बा । न्यायपालिकासे कैना न्याय सम्पादनके कार्य नियमित रुपमे सञ्चालन नइहुइल ओरसे जनताके समयमे न्याय प्राप्त कैना आधारभूत अधिकार उल्लंघन हुइल अब्बेक सर्वोच्चमे चलल घटनाक्रम देखाइल ओरसे भविष्यमे यैसिन समस्या नइअइना सुनिश्चितताके लाग नीति, कानुन ओ संरचनागत सुधारके कार्यमे ध्यान केन्द्रित कैना इन्सेकसे विज्ञप्ति मार्फत माग करले बा ।

व्यक्ति विशेषहे उचल्ना पछर्ना ओ जिम्मेवारी जटरा कौनो व्यक्तिउप्पर थोपरके निर्णयमे संग्लनहुकनहे उन्मुक्ति डेना काममे देखल सकृयतासे मुलुकके प्रणालीहे असफल बनैना ओर सम्बन्धित सरोकारवालाहुकनके बेलामे ध्यान जैना आवश्यक रहल इन्सेकके अध्यक्ष डा. श्रेष्ठ कहली । जटिल मोडमे पुगल न्यायप्रणालीमे सुधार ओ शक्ति पृथकीकरणके अभ्यास सुनिश्चित कैना न्यायपालिकाके जबाफदेहिताउप्पर प्रश्न कैना उहाँ कहली ।

न्यायपालिकाके स्वतन्त्रताके सैदान्तिक मूल्यविरुद्ध राज्यके और अङ्ग ओ संस्थाके शासन प्रणालीमे सहभागिता खोज्न जैसिन जघन्य खेलमे मुलुकके सर्वोच्च अदालतके न्यायमूर्तिउप्पर प्रश्न उठ्न करके करल न्याय सम्पादनसे अदालतके विश्वसनियताउप्पर संकट पैदा हुइल अध्यक्ष बटैली । जनमतके समेत अवमुल्यन कैना करके कतिपय फैसलामे करल ढिलाइ, सन्देहास्पद गतिविधिके निराकरण कैना संरचनागत सुधार ओ जनशक्तिके पर्याप्तता सुनिश्चित कैना विज्ञप्ती मार्फत उहाँ माग करली ।

‘२०७७ साउन २९ गते सर्वोच्च अदालतके न्यायाधीश हरिकृष्ण कार्कीके संयोजकत्वमे गठित अध्ययन समितिसे बुझाइल प्रतिवेदनमे कतिपय न्यायाधीश ओ कानुन व्यवसायी स्वयम्फे विचौलिया बटै कहल बा,’ उहाँ कहली–‘अदालतमे हुइना यी मेरिक प्रकृतिके गलत अभ्यासके अन्त्यके लाग कठोर पहलकदमी आवश्यक रहल ओरसे अदालतके सुधारके लाग प्राप्त प्रतिवेदनके तत्काल कार्यान्वयन कैना जरुरी बा ।’

‘न्यायलयसे कैना ढिला न्यायसे पीडितके न्याय प्राप्त कैना अधिकारउप्पर गम्भीर कुठाराघात हुइल बा,’ विज्ञप्ती मार्फत कहल बा, –‘महोत्तरीके मनरासिस्वा नगरपालिका–१० के निर्वाचन परिणामसम्बन्धी फैसला, गोङ्गबुस्थित अस्थायी प्रहरी चौकीमे कार्यरत जवान मदननारायण श्रेष्ठ १३ वर्ष ६ महिनापाछे निर्दोष सावित करल फैसला, द्वन्द्वके समयमे काभ्रेके अर्जुन लामाहे तत्कालीन नेकपा (माओवादी) के कार्यकर्तासे अपहरण करके हत्या करल १६ वर्ष नाघल मुद्दा, पूर्वमन्त्री तथा कांग्रेस नेता मोहम्मद अफताब आलम विरुद्धके मुद्दाके पेशी बारबार सरना जैसिन प्रतिनिधिमूलक घटनासे न्यायपालिकासे हुइना करल ढिलासुस्तीहे लेहे सेक्जाई ।’ अध्यक्ष डा. श्रेष्ठ कहली, ‘न्यायलयके साख गिर्ना कहल प्रकारान्तरसे लोकतन्त्र कमजोर हुइना हो । लोकतन्त्रके रक्षार्थ विधिके साशनके अभ्यास कमजोर हुइना क्रियाकलाप तत्काल अन्त्य करके आम नागरिकके न्यायके अधिकार सुनिश्चित करे परल ।’

लोकतन्त्रके रक्षार्थ शक्ति पृथकीकारणके अभ्यास सुदृढ कैना ओर न्यायपालिका, कार्यपालिका ओ व्यवास्थिपकाके गम्भीर ध्यानाकर्षण करैटी लोकतन्त्र, सामाजिक न्याय, मानव अधिकार ओ विधिके शासन स्थापित कैना एकीकृत पहलकदमी कैना जरूरी डेखल उहाँ बटैली ।न्यायाधीशके नियुक्तिसंग सम्बन्धित प्रणालीमे आवश्यक सुधार करके न्यायालयके जवाफदेहिता सुनिश्चत कैना काममे सक्कु न्यायाधीसहे गम्भिरतापूर्वक संलग्न हुइना आग्रह करटी राज्यके प्रणाली ओ विधिलगायत सच्याई पर्ना विषयमे सहभागितामूलक प्रयासके लाग इन्सेकसे माग करले बा ।

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