थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ 01 May 2025, Thursday ]
‘ थारु समुदायसे अष्टिम्की निम्जल ’

अग्रासनसे भाइचाराके सम्बन्ध प्रगाढ

पहुरा | ५ भाद्र २०७९, आईतवार
अग्रासनसे भाइचाराके सम्बन्ध प्रगाढ

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ५ भदौ ।
थारु महिलाहुक्रे सामूहिक रुपमे शुक ओ शनिच्चरके अष्टिम्की मनैले बटैं ।

प्राचीन परम्परा अनुसार कन्हैयाके जीवनीचित्रमे पहिल दिन पूजा अर्चना ओ दुसर सकारे अपन पायक पर्ना लदयम अष्टिम्की अस्रैटी थारु समुदाय टमान ठाउँमे सामूहिक रुपमे अष्टिम्की मनागिल हो ।

शुकके रोज महिलाहुक्रे मौलिक पोशाकमे सजल डिया, अगरबत्ती, जल, सेन्दुर, केरा, खिरा, लरंगी, अम्रुट, चाउरलगायतके सामग्रीके प्रयोग करके कन्हैयाके जीवनीसंग जोडल पाण्डव, बासुदेव, राधा, गोपिनी, कंश, सूर्य, जोन्हया, सपुवा, मच्छी, गेंगटा, गोहुवा, कुकरा, बन्दरा, गैया, मजोर, डाँफे, मजोर, पानी, लाउँ, बोट विरुवा, मकै, धान, घुनेसर फूलके पूजा करल हुुइट ।

थारू समुदायसे परम्परागत रूपमे मनैना अष्टिम्कीके मौलिकता हेरैटी गैल बेला सामूहिक रुपमे मनैना प्राचीन परम्पराके पुनर्जागरण हुइल थारु कल्याणकारिणी सभाके केन्द्र्रीय सदस्य प्रभातकुमार चौधरी बटैलै ।

आधुनिकताके छाँही बढटी गैल थारू युवा पिंढी पौराणिक कला सिखे नैसेकल कारण थारु समुदायसे अपन घरके बहरीमे रहल उत्तरपट्टिके भित्तामे अस्टिम्किके पौराणिक चित्र कला लोप हुइना अवस्थामे पुगल उहाँ बटैलै ।

कतिपय ठाउँमे चित्र बनाई नाइजाके बजारमे मिल्ना फोटुमे पूजा कैना कैना चलन बह्रटी गैल मे आब ढेर ठाउँमे चित्र बनाके सामूहिक बनैना सुरु करल ओरसे परम्परा लोप हुइना संस्कृति बच्ना केन्द्रीय चौधरी विश्वास व्यक्त करलै ।

थारु समुदायमे भाइचाराके भावना हेरैटी गैल ओरसे थारु बासोबास रहल गाउँक सामुदायिक भवनमे पौराणिक चित्र बनाके सामुहिक अष्टिम्की टिक्ना कार्यक्रमके आयोजना करल थारु कल्याणकरिणी सभा कैलालीके कार्यवाहक सभापति माधव चौधरी बटैलै ।

ओस्टेक, धनगढी उपमहानगपालिका–५ मे जाईके देउथानमे सामूहिक अष्टिम्की करल टिक्ना कार्यक्रमके आयोजना करल भल्मन्सा कुलवीर चौधरी बटैलै ।

सामुहिक रुपमे अष्टिम्की मनाई बेर सामाजिक सम्बन्धमे विकास हुइनाके साथे सामाजिक मेलमिलाप आउर प्रगाढ हुइना थारु महिला सभाके जिल्ला अध्यक्ष दुर्गा कुश्मी बटैली ।

अष्टिम्कीके ब्रत रहुइयाहुकनके साँझके काँढल फलफूल ओ सकारेक काँढल भात, टिना अपन चेलीहुकनके अग्रासनके रुपमे डेटी यी सालके अष्टिम्कीहे विदा कैगिल बा ।

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