थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १७ सावन २६४९, शुक्कर ]
[ वि.सं १६ श्रावण २०८२, शुक्रबार ]
[ 01 Aug 2025, Friday ]

विचार

पर्वतके महारानीक् एक झलक

पर्वतके महारानीक् एक झलक

नेपालके सबसे बरवार पुरस्कार हो, मदन पुरस्कार । विक्रम् संवत् २०७६ सालके मदन पुरस्कार घोषणामे चन्द्रप्रकाश बानियाँके उपन्यास ‘महारानी’ घोषणा हुइटिकिल यी पोस्टा पह्रना उत्सुक हुइल रहुँ । कारन विशेषसे बजारमे अइटिकिल यी पोस्टासे
थारु लोक सँस्कृतिके मननीय पक्ष

थारु लोक सँस्कृतिके मननीय पक्ष

थारु लोकसँस्कृति यी पङ्क्तिकारहे अत्रा मोहनी काहे लगाइठ कि यी वाहेक और कुछ चिजके ख्याल नैआइठ ! हरपल यी सम्मोहित करटिरहठ । यी पङ्क्तिकारके घरके पुस्तकालयमे थारु कल्याण कारिणी केन्द्रीय सभाके प्रकाशन बा “थारु संस्कृति” ०६२ बैशाख
किनारीकृत समुदायमे जनगणनाके अवसर तथा चुनौती

किनारीकृत समुदायमे जनगणनाके अवसर तथा चुनौती

हरेक १० वर्षमे हुइना जनगणना यी वर्ष २०७८ मे फेन ‘मेरो गणना, मेरो सहभागिता’ नाराके साथ यिह भदौ ३० से असोज १८ गतेसम तथ्यांक संकलन हुइटि बा । राष्ट्रिय जनगणनाके लाग केन्द्रीय तथ्यांक विभागसे पूर्वतयारीके साथ लगलेसे फेन कोरोनाके महामारीके
थारु गिटके विस्लेसन जरुरि

थारु गिटके विस्लेसन जरुरि

बिसय प्रवेसः थारु गिटके प्रकासिट पोस्टाके इटिहास बिल्टैना हो कलेसे थारू कल्याणकारिणी सभा जिल्ला समिति दाङ २०२४ सालओर ‘सखिया गिट’के प्रकासन कैके लोकसाहित्यहे लावा डगर डेखाइल । ओस्टक पुरुबओर २०२५ सालमे प्रो. प्रफुल्ल कुमार सिंह
अट्वारीमे दिदीसे माला ओ टीका

अट्वारीमे दिदीसे माला ओ टीका

थारु समुदायके पवित्र पर्व अट्वारीके बेला मै मोर बर्की दिदी शान्ति चौधरीसँग यिबेरके अट्वारीमे डौना ओ लौङ्गारा फूलक माला ओ चाउरके पीठक टीका लगा डेना अनुरोध करले रहेँ । अट्वारीके व्रतमे दिदीबहिनियन लाग निकारल अग्रासन (कोशेली–फलफूल,
सामाजिक रुपान्तरणम गोचाली परिवारक योगदान ओ आगामी कार्यभार

सामाजिक रुपान्तरणम गोचाली परिवारक योगदान ओ आगामी कार्यभार

मानव सभ्यताक इतिहास वक्ररेखा पार कैक बनठ । हरेक युगमा उन्नत संस्कार ओ संस्कृति बनकलाग उ ब्यालक मानव समुदाय विद्रोह कर्ठ, सचेत ओ युगद्रष्टाहुक्र अगुवाइ कैक समाज रुपान्तरण कर्ठ । वर्गीय समाजम वर्र्गीय चेतनाले ओतप्रोत हुइल क्रान्तिकारीहुक्र
थारू लेखक संघः आब यकर डगर

थारू लेखक संघः आब यकर डगर

थारू जात नेपालके जनजाति अन्तर्गत परठ । यी जाति जबफेन राज्य सत्तासे अपहेलित तथा अपेक्षित जात हो । तथापि ईतिहासके टमान कालखण्डमे हुइल राजनीतिक आन्दोलन ओ यिहिनसे नानल परिवर्तनसंगे यी समसदाय अपन भाषा, संस्कृति, कला, साहित्य, गीत, संगीत
जन्यावन जुट्यलाम जैना काजे कर्रा ?

जन्यावन जुट्यलाम जैना काजे कर्रा ?

साहित्यके परिभाषा ढेर नै जन्लसेफे साहित्य ह ढेर मैयाँ कर्नामढ्ये मै फे एक हुइटु । टुटल फुटल शब्द जोर भर्खर सिक्टी बाटु । जोरबिटोरक कभुकाल गजल, कबिता लिख जाइट् । हरेक साल हुइना थारु साहित्यक् पाँचवा म्याला असौक साल सुर्खेतम हुइना
मोर अष्टिम्की कला यात्राः अनुभव ओ अनुभूति

मोर अष्टिम्की कला यात्राः अनुभव ओ अनुभूति

२०१५ मार्च ८, अन्तर्राष्ट्रिय नारी दिवसमे दाङसे सहभागिता हुइ पाटनके कृष्ण मन्दिर परिसरमे बिहन्ने आपुग्नु । नेपालके टमान जिल्लासे टमान जाति, धर्म, संस्कृति किल नैहुके कलाके टमान विधाके हम्रे सहत्तरी जाने व्यक्तिहुक्रे एक ठाउँमे
अष्टिम्की पर्व ओ अष्टिम्की चित्रकलाके महत्व

अष्टिम्की पर्व ओ अष्टिम्की चित्रकलाके महत्व

विषय प्रवेशः चाडपर्व (टरटिहुवार) मनैन्हे चौकस ओ चम्पन बनाइठ । हरेक जाति समुदायके अपन मौलिक तौरतरिकासे मन्ना टमान चाडपर्व रहठ । थारू एक अलग पहिचान डेना मेरिक अपन भाषा संस्कृति एवम् सामाजिक रीतिरिवाज रहल जात हो । थारू जात अन्य जातहुकन