थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १३ बैशाख २६४९, शनिच्चर ]
[ वि.सं १३ बैशाख २०८२, शनिबार ]
[ 26 Apr 2025, Saturday ]

साहित्य

टिरिया टुँ आपन हे कमजोर ठन्ठो का ?

टिरिया टुँ आपन हे कमजोर ठन्ठो का ?

टिरिया टुँ आपन हे कमजोर ठन्ठो का ?टिरिया टुँ अत्रा छोट लुग्रा घालके कहाँ जाइटो ?टिरिया टुँ घरक किल काम कराेँटिरिया इ नइ करोँ, उ नइ करोँ,चारुओरिक अइसिन हल्ला सुनके,टिरिया टुँ आपन हे डुब्बर ठन्ठो का ? टिरिया टुँ एक लवण्डी, छाइ, व डाइ फे हुइटोफेन
युवा पुस्टनहे गजल प्रशिक्षण हुइल

युवा पुस्टनहे गजल प्रशिक्षण हुइल

पहुरा समाचारदाताकंचनपुर, १६ कुवाँर । डसियाके सुभ अवसरमे थारु समुदायके युवनहे गजल प्रशिक्षण कार्यक्रम हुइल बा । ओजरार मिडिया प्रालीसे संचालित कैलारी अनलाइन ओ हरचाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिकाके खास व्यवस्थापनमे कंचनपुरके शुक्लाफाँटा
अन्टिम चो

अन्टिम चो

ठकल नाई हुँ मैठकम नाई कबुजरूरट नाई हो अबपुछ्न फे नाई पुछमसरकार!रेशम हे छोर्बो कब?साट साल पुगटानिर्डोष छावाबेबस बाबाडुखी डाईक आँसलर्का पालेक लगहाँठ मुह जोरे पर्नापस्नासे ढेरआँसु बहैटीप्राण प्याराक आसमेजवानीम मुर्झुरैटीलचार सिन्डुरके
बरा खुसी लागि

बरा खुसी लागि

छैली टुँ महिन दिलसे प्यार करबो टे बरा खुसी लागि ।मैयँक जाल चारुओर आब डरबो टे बरा खुसी लागि । मै टे टोहाँरे आशा भरोसामे रमैटी अपन ज्यान डेबु ।मोर खाली दिलमे अपन मैयाँ भरबो टे बरा खुसी लागि । बर्दिया, नेपाल
हिर्डा भिट्टरके सिट्टर प्यार

हिर्डा भिट्टरके सिट्टर प्यार

प्यारी बहुट ढेर डिनके टुहिन चिठ्ठी लिख्ना प्रयास कर्ले बटुँ । प्यारी मोर आँट नैंरहे टुहिन चिठ्ठी लिख्ना । का करुँ ? टुहिन फेन पटा बा प्यारी काकरे कि टँु औरेक डेहेल चुरिया घल्ना, औरेक डेहेल लाल चुनरी ओहर्ना प्रमानिट होगिलो । प्यारी
मोर साचल खुसी

मोर साचल खुसी

मै साचल खुसि, दुसरके लाग रहल बातोहर मिठ मुस्कान उ मोर सम्झना हुइल बा मही तोहर साथ पैना आस टे रहेसमयसंगे साईनो परिवर्तन कराडेहलडुर डुर हुइलेसेफे यी मन झस्कैटी रहठअतितके उ पल घाउ हस बल्झटी रहठ जिन्गीक यात्रा यी सारा शरिर घायल पारकेतुहिनहे
‘टुटल झोंपरी’ भिट्टर कमैयनके पिरा

‘टुटल झोंपरी’ भिट्टर कमैयनके पिरा

२०७० सालके अगहन महिनम् कञ्चनपुरके अशोक चौधरीक् ‘मनके आवाज’ गजल संग्रहके लाग भूमिका लिखके एक अँठ्वार फेन हुइल नैरहे । ओहे बेला धनगढी कैलालीक् भैया रामचरण चौधरी ‘अजराइल’ अपन गजल संग्रहके लाग भूमिका अपन गजलके पाण्डुलिपि हाँठेम्
चुनाव

चुनाव

चुनाव लग्गे अइटि रहे । एसइइ उत्तीर्ण कैके भविष्यके सुन्दर कल्पना बोकके मै सहरओर पह्रे गिल रहुँ । अध्ययनके क्रममे सहरओरके बसाइ फेन लम्मे होसेकल रहे । चुनावके कारण स्नातक दोसर वर्षके परीक्षा स्थगित हुइलपाछे गाउँओर लग्नु । पाँच वर्षमे
ऊ बठिनिया

ऊ बठिनिया

भित्तपात्रोम लालसे लिखल डेख्बो घर जिना लागट ।गाडीम का बैठ्बो 100 के स्पीड फे 40 लागट ।। सस्सा नई करुइया एकठो ट मै फे हुइटु ।जन्नीहे लग्ग का बलैबो, लजैटी एकचुटी डुर भागट ।। जन्नी अस्टक लजाइट लजाइट एक लर्का पा डारल ।ओहे मारे आजकाल डइजाहा
ट्रि–हाउस

ट्रि–हाउस

ट्रि–हाउसअर्थात रूख्वक्–घर !चिरैंचुरंगन् रुख्वक् डँरिया–डँरियामे ठाँठ बनैठैंरूख्वक् डोन्डरम् ठाँठ बनैठैंओ, जिठैं अपन जिनगीमने अझकल,मनै फेन रूख्वामे ठाँठ बनाइ भिंरल बटैंलकिन, मनैनके ठाँठहे ठाँठ नैकहिजाइठमनैनके ठाँठहे टेट्रि–हाउस