सर्वोच्चसे प्रतिनिधिसभा पुनःस्थापना, देउवाहे प्रधानमन्त्री बनैना परमादेश

काठमाठौं, २८ असार । सरकारके सिफारिसमे प्रतिनिधिसभा विघटन करना राष्ट्रपतिके निर्णयहे सर्वोच्च अदालत बदर करडेले बा । पाँच सदस्यीय संवैधानिक इजलाससे सोम्मार दिनके अइसिन आदेश जारी करल हो । सर्वोच्चके यी आदेशसँगे प्रतिनिधिसभा पुनःस्थापित हुइल बा ।
प्रधानन्यायाधीश चोलेन्द्रशम्शेर जबरासहित न्यायाधीशहुक्रे दीपककुमार कार्की, मीरा खड्का, ईश्वरप्रसाद खतिवडा ओ आनन्दमोहन भट्टराईके इजलास निवेदकके मागबमोजिम काँग्रेस सभापति शेरबहादुर देउवाहे प्रधानमन्त्री बनैना परमादेशसमेत जारी करले बा ।
‘एकमतसे निर्णय हुइल बा । मागबमोजिम आदेश जारी करले बटि,’ आदेश सुनैटि प्रधान न्यायाधीश चोलेन्द्रशमशेर जबरा कलैं । अदालत उ मुद्दामे सोम्मार संक्षिप्त आदेश जारी करल हो ।
विघटनबारे मन्त्रिपरिषद्से करल सिफारिस, निर्णयका सूचना ओ विज्ञप्तिसमेत उत्प्रेषणके आदेशसे बदर हुइना अदालत जनैले बा । ‘परिणामतः प्रतिनिधिसभा पुनःस्थापना अधिवेशन ७ दिनभित्तर अर्थात् २०७८ साउन ३ गते अँट्वारके अपराह्न ५ बजेभित्तर प्रारम्भ हुइना मेरिक तत्काल व्यवस्था मिलैना कहिके परमादेश जारी हुइना ठहरठ,’ आदेशमे कहल बा, ‘ओली ७६ के उपधारा ५ बमोजिम प्रधानमन्त्रीमे करल दाबी संविधानसम्मत नैडेखाइल ।’
फैसलाके पूर्णपाठ तयार हुइल न्यायाधीश ईश्वर खतिवडा बटैलैं । ‘पूर्ण पाठ डेना हम्रे एक हप्ताके लाग समय लेले रहि । फैसला लिखेख्क लाग प्रधानन्यायाधीश महिन जिम्मा डेले बटैं ,’ उहाँ कलैं ।
प्रतिनिधिसभा पुनःस्थापनाके माग ढरके काँग्रेस सभापति शेरबहादुर देउवासँगे १४६ सांसदलगायतसे सर्वोच्च अदालतमे रिट दर्ता करल रहे । उहाँहुक्रे देउवाहे प्रधानमन्त्री बनैना माग ढरके संयुक्त हस्ताक्षरसहित अदालत गैल रहैं । उ मुद्दाउप्पर सुनुवाइके सब प्रक्रिया ओराइल अदालतसे एक साता समय तोकके हेरटि हेरटमे ढरले रहे ।
