‘सुदूरपश्चिम प्रदेश परम्परागत खाद्य प्रदार्थमे धनी बा’

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २४ चैत । परम्परागत खाद्य प्रदार्थमे सुदूरपश्चिम प्रदेश धनी रहल वरिष्ठ खाद्य प्राविधिज्ञ हिक्मत थापा बटैले बाटै ।
शुकके रोज वरिष्ठ खाद्य प्राविधिज्ञ नवराज दाहालसे लिखित ‘नेपालको परम्परागत खानेकुरा र पेय पदार्थ’ नामक पुस्तक विमोचन कार्यक्रममे उहाँ सुदूरपश्चिम प्रदेश परम्परागत खाद्य प्रदार्थमे धनी रहल बटाइल हुइट ।
खाद्य प्रदार्थमे सुदूरपश्चिम धनी रलेसे फेन उहाँ ओकर आवश्यक मात्रामे प्रसोधन तथा अध्ययन अनुसन्धान हुइ नैसेकल औँल्याइल रहिट ।
‘सुदूरपश्चिम प्रदेशमे तराई क्षेत्रसे लेके पहाडी क्षेत्रमे उत्पादन तथा उपभोग हुइना खाद्य बस्तु ढेर रहल बा । यहाँसमकी आदिवासी जनजाति थारु समुदायके फेन अपने परम्परागत मौलिक खैनाचीज रहल बा’, वरिष्ठ खाद्य प्राविधिज्ञ थापा कहलै–‘मने ओकर आवश्यकता अनुसार प्रसोधन तथा अध्ययन अनुसन्धान हुइन नैसेकल हो ।’
उहाँ यहाँके लावा लावा बस्तु प्रशोधन ओ बजारीकरण कैना फेन सम्बन्धित सक्कु निकायहे आग्रह करल रहिट ।
‘यहाँ पहिलेके तुलनामे ढेर खाद्य उद्योग, पेय प्रदार्थ डेरी, राइस फ्लोर उद्योग खुलल् बावै यम्ने मै बहुट खुशी बाटु’, उहाँ कहलै–‘अट्रेसे किल नैहो कृषि उत्पादनहे जोड डेके मिलसम पुगैना सरकारसे विशेष ध्यान डेना आवश्यक रहल बा ।’
ओहे बिच वरिष्ठ खाद्य प्राविधिज्ञ दाहालसे लिखित ‘नेपालको परम्परागत खानेकुरा र पेय पदार्थ’ पुस्तकसे खाद्य प्राविधिकहुक्रनके अध्ययन अनुसन्धान तथा खाद्य बस्तुके बारेम जानकारी लेना टेवा पुग्ना बटाइल रहिट ।
कार्यक्रममे वरिष्ठ खाद्य प्राविधिज्ञ दाहाल आपन पुस्तक बारे जानकारी करैटी पुस्तकसे यहाँके परम्परागत खाद्य प्रदार्थके जानकारी लेना तथा नयाँ खाद्य प्राविधिकहुक्रनके लाग रिफ्रेन्सके लाग सहयोग पुग्ना बटाइल रहिट ।
कार्यक्रममे पश्चिम टुडेके प्रधान सम्पादक दीर्घराज उपाध्याय यहाँके परम्परागत खाद्य प्रदार्थ कोदो, थारु समुदायके ढिक्रीके बारेम फेन अध्ययन अनुसन्धान कैना आवश्यक रहल औँल्याइल रहिट ।
सुदूरपश्चिम खाद्य वैज्ञानिक तथा प्राविधिक समूह कैलालीके सहसंयोजक श्रीकृष्ण महतोके अध्यक्षतामे हुइल रहे । कार्यक्रममे समूहके सदस्य हरिषसिंह बोहरा समूहके बारेम जानकारी डेहल रहिट ।
कार्यक्रममे कैलाली उद्योग वाणिज्य संघके उपाध्यक्ष मनोज अग्रवाल, होटल व्यवसायी संघके अध्यक्ष कलम बम, नेपाल पत्रकार महासंघ कैलाली शाखा अध्यक्ष हिमाल जोशी लगायत पहुना रहल रहिट ।
