थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
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[ 09 Nov 2025, Sunday ]

कोरोनापाछे लयमे लौटटी गाभरभ्याली होमस्टे

पहुरा | २२ फाल्गुन २०८०, मंगलवार
कोरोनापाछे लयमे लौटटी गाभरभ्याली होमस्टे

जमुना न्युरे
धनगढी, २२ फागुन ।
बाँकेके बैजनाथ गाउँपालिका–१ स्थित गाभरभ्याली होमस्टे वार्षिक २ करोडके कारोबार कैना सफल हुइटी कोरोनापाछे फेरसे लयमे लौटे लागल बा ।

तराई भु–परिधी कार्यक्रम (ताल)से स्थानीयहुक्रे सहभागिता विना सरक्षण करे नइसेक्ठै कहटी स्थानीयहे सरक्षण नानेक लाग आयआर्जन ओ जिविकोपार्जनमे जोरेक लाग बाँके राष्ट्रिय निकुञ्जके मध्यवर्ती क्षेत्रमे रहल गाभरभ्याली थारु गाउँके विस २०७० सालमे ५ ठो घरमे होमस्टे संचालन करल रहे ।

स्थापना कालमे तराई भु –परिधी ताल कार्यक्रमसे होमस्टे संचालनके लाग टमान मेरके तालिम, नेतृत्व विकस तथा जिविकोपार्जनके सीप विकास लगायतके क्षेत्रमे आर्थिक तथा प्राविधिक सहयोग डेहल रहे । होमस्टे संतनलन हुइलपाछे बाहय तथा आन्तरिक पर्यटनहुकनके लाग सुविधा सम्पन्न बासके लाग वातावरण मैत्री बैठना घर निर्माण, रमाइक लाग आकर्षक कलात्मक तथा सास्कृतिक घर बनैले बटै । जहाँ एक चो गाभर भ्यालि होमस्टे पुग्न जे कोई लग्गेसे थारु सस्कृतिहे बुझे पैना आन्तरिक पर्यटक बिष्णमति चौधरी बटैली ।

गाभार भ्याली होमस्टेमे ेआन्तरिक पर्यटकहे स्वागत करटी । फोटु जमुना न्युरे

स्थापनाके एक दशक पार करसेकल होमस्टेसे अब्बे होमस्टेके ढेर कार्यक्रम करले बा । होमस्टे संचालन ५ घरसे सुरु करलमे अब्बे ३७ ठो घरमे होमस्टे संचालन करल बा । यहाँ आजकालह अइना पाहुनाके लाग रैथाने खाना तथा थारु कला सस्कृति, परम्परागत रुपमे चलल ढेकी चकिया, तेल पेरना कोल्ह, लडिया, मच्छरी मर्ना हेल्का, राउटे समुदायसे निर्माण कैना कोसी, ठेकी, काठसे निर्मित महाकालके मूर्ति, मुगु जिल्लामे प्रचलित जाल लौरी, खजुरी (थाकल)से तयार पारल मजोर, अँट्वा लगायतके परम्परागत वस्तु लग्गेसे अइना पहुनाहुक्रे हेर्न ओ रमैना करल बटै ।

गार्भर भ्यालिमे अइना बाहय तथा आन्तरिक पर्यटनसे बाके राष्ट्रिय निकुञ्जमे जंगल सफारी करटी लग्गेसे जंगली जनावर, चराचुरुङगी अवलोकन करे पैना होमस्टे संचालक समितिके अध्यक्ष कृष्णबहादुर चौधरी जानकारी डेलै ।
होमस्टे गाभरभ्यालीमे आन्तरिक पर्यटन रुपमे पुगल दुर्गा सापकोटासे थारू समुदायमे प्रचलित घोङगीके टिना, गेंगटा, मुसुवा, सिध्रा मच्छरीक चटनी, आलुके अचार, कचालु, ढिक्री, अनदी चामलके रोटी लगायत, हिमाली भेग अन्तरगत मुगेली समुदायमे लोकप्रिय मन्ना कोदोके रोटी, फापरके ढिडो, सिस्नोके सागलगायतके परिकार मौलिक खानाके परिकार खाएई पाके अपने बहुट खुसी रहल बटैली । थारु समुदाय केल नइहुके अन्य समुदायके खानाके परिकारसे गाभर भ्याली पर्यटनके रोजाइमे परल बा ।

कोरोना कहरसे होमस्टेहेफे प्रत्यक्ष रुपमे असर परल रहे । आन्तरिक तथा बाहय पर्यटक आई नइसेकल रहिट, देशमे हुइल आर्थिक मन्दीके कारण पहुनाबिहिन हुई पुगल होमस्टे आजकाल्ह पहुनासे भरिभराउ हुई लागल संचालन समितिके सचिव कर्ण रोकाया जानकारी डेलै । होमस्टे संचालन करेबेर सुरुवातके दिन सम्झटी सचिव रोकाया कहलै हम्रे स्थापना करेबेर एक घरमे दुई जाने पाहुनाहे सेवा डेहे सेकी कलेसे अब्बे एक घरसे १५ से २० जाने पहुनाहे एक्के घरमे सेवा करे सेक्ना सक्कु सरचना निर्माण करले बटी ।

आन्तरिक पर्यटकहे जङ्गल सफारी करैटी होमस्टे सन्चालक समितिके अध्यक्ष कृष्ण चौधरी

गाभर भ्याली होमस्टेमे वार्षिक २० हजारसे ढेर आन्तरिक तथा बाहय पर्यटक अइना करल बटै । होमस्टे अइना पर्यटकके लाग रैथाने खाना, पर्यटकके चहाना अनुसारके खाना होमस्टे अपनही उत्पादन कैना करठै । बजारसे नोन ओ चिनी केल किन्ना करल सचिव रोकाया जानकारी डेलै । अपनेहुक्रे होमस्टे अइना पर्यटकके रोजाइ अनुसारके टिना तथा मच्छी शिकार घरमे उत्पादन करेबेर घरमे रोजगारी ओ आम्दानी मुख्य स्रोत हुइल बा ।

होमस्टेसे वार्षिक २ करोडके कारोबार कैना सफल हुइल बा । आर्थिक रुपमे सफल ओ सबल बन्टी जाईबेर यिहीसे मध्यवर्ती क्षेत्रमे हुइना वन्यजन्तु ओ मानवविचके द्वन्द्व न्यूनीकरण करटी प्लास्टिकसे वातावरणसंगे मानवीय स्वास्थ्यमे असर पर्ना हुइल ओरसे प्लास्टिक पूर्ण रूपमे बन्देज करल उहाँक कहाई बा । ‘गाभर भ्याली होमस्टेसे रैथाने खानाके संरक्षण केल नाही वातावरण संरक्षणमेफे एक कदम आघे बा ।

होमस्टे अइना पर्यटकहुक्रे थारु समुदायमे प्रचलित सख्या, झुम्रा, छोक्रा, पैँया, लठठी, मयूर नाँच हर्ने सङै थारु पहिरन, सास्कृतिक संगे रमैना करल अध्यक्ष चौधरी बटैलै ।

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