समय गतिवान बा हरपल हर क्षण विटट जाइत बा । समयके साथ साथे हर चीजमे परिवर्तन होइत चली आइत बा । एक दिन दुई दिन करते करते समयके चक्र साथ साथे होली (फगुवा) तिउहार भी हम्मनके घर अंगनामे आगइल बा । थारु समुदायमे तमाम तिउहार आइते बा जइतेबा हर
अपांगता हुइल व्यक्तिके अधिकारसम्बन्धी ऐन, २०७४ अनुसार अपांगता रहल व्यक्ति कहलेसे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक वा इन्द्रियसम्बन्धी दीर्घकालीन अशक्तता, कार्यगत सीमितता वा विद्यमान अवरोधके कारण अन्य व्यक्ति सरह समान आधारमे पूर्ण ओ
माघ लहैलीसुरिक सिकार खैली रे हासखिय होमाघक पिली गुरीगुरी जार । माघ (पर्व) मे थारु समुदाय यि गितसे गुञ्जयमान रहठ । ‘सखिय हो, माघक पिली गुरीगुरी जार’ परम्परासे चल्टि आइल थारु लोक भाका हो । थारुहुक्रे नेपालमे कहियासे बसोबास करलै कना
विषय प्रवेश नेपाल एकठो विविध भाषा संस्कृति रहनसहन हुइलक बहुजाति, बहुसांस्कृतिक, बहुभाषिक मुलुक हो । हाल नेपालम १२५ भाषा एवम् १२९ ठो जातजाति रलक मुलुक हुइलक आहर्से हरेक जातजातिके फरक फरक आफन संस्कृति बाटिन । थारू नेपालके तराई ओ भित्री
श्रीराम चौधरी थारू भूमिपुत्र हुइट । सायद यी बातम दुईमत नैहोकी, थारू मानव सभ्यताक प्रारम्भिक चरणठेसे जमिन, जंगल ओ जलसे डब्नीभिर्या खेल्टी अइल । इह ऐतिहासिक कारणसे थारून्हक हरेक संस्कृति, परम्परा, चालचलन ओ सामाजिक मूल्य मान्यता जल,
कृष्णराज सर्वहारी २०७८ सालको जनगणनाले थारू जाातिको जनसंख्या १८ लाख ७ हजार १२४ देखाएको छ । यो नेपालको कुल जनसंख्या २ करोड ९१ लाख ६४ हजार ५७८ को ६.२ प्रतिशत हो । पछिल्लो २०७८ को जनगणनाले रानाथारू समुदायको जनसंख्या ८२ हजार २९९ देखाएको
धान नेपालके प्रमुख खाद्यान्न बाली रनाके साथे देशके अर्थतन्त्रमे सबसे ढेर योदान करना एक बाली फेन हो । नेपालके कुल खेती योग्य जमिनमध्ये १५ लाख हेक्टरसे ढेर क्षेत्रफलमे खेती हुइना यी बालीके उत्पादकत्व भर अन्य देश तथा महादेशके तुलनामे
नेपाल कृषिजन्य उत्पादनमे आधारित एक कृषिप्रधान मुलुक हो । नेपालके आम–जनताके जीवन निर्वाहके मूल आधारस्रोत कृषिमे आत्मनिर्भर रहल बा । कृषि क्षेत्रहे नेपाली अर्थतन्त्रके मेरुदण्डके रुपमे लेजाइठ । टबमारे कृषिजन्य उद्योगके विकासविना