२०१५ मार्च ८, अन्तर्राष्ट्रिय नारी दिवसमे दाङसे सहभागिता हुइ पाटनके कृष्ण मन्दिर परिसरमे बिहन्ने आपुग्नु । नेपालके टमान जिल्लासे टमान जाति, धर्म, संस्कृति किल नैहुके कलाके टमान विधाके हम्रे सहत्तरी जाने व्यक्तिहुक्रे एक ठाउँमे
विषय प्रवेशः चाडपर्व (टरटिहुवार) मनैन्हे चौकस ओ चम्पन बनाइठ । हरेक जाति समुदायके अपन मौलिक तौरतरिकासे मन्ना टमान चाडपर्व रहठ । थारू एक अलग पहिचान डेना मेरिक अपन भाषा संस्कृति एवम् सामाजिक रीतिरिवाज रहल जात हो । थारू जात अन्य जातहुकन
केही दिनअघि लक्ष्मण थारुसँग काठमाडाैंमा संक्षिप्त भेटमा टीकापुर घटनाकाे सम्झना भयाे । जिस्काजिस्कीमा उनले प्वाक्क भने, ‘तपाईंसँग भेटेकाे भाेलिपल्ट म समातिएँ ।’ थारु नेता लक्ष्मणले तीन वर्ष कैद भुक्तानी गरिसकेका छन्, यही टीकापुर
संस्कृति हरेक समुदायके आपन मौलिक पहिचान हो । कौनो फेन जातिके जातीय पहिचान कला, संस्स्कृति ओ भाषासे जोडल रहठ् । थारु समुदायमे फेन अस्टे ढिउर संस्कृति रहल बावै । जौन अब्बे प्रायः लोप हुइना अवस्थामे बावै । कुछ रुपमे हुइलेसे फेन उ संस्कृति
थारू लेखक संघ नेपालके आयोजनामे पाँचौँ संस्करणसम थारू मानक भाषा बहस प्रमुख स्थान ओगटले बा । यिहे सम्मलेनसे थारू मानक भाषाके जन्म डेहल कलेसे किहुहे आपत्ति नैहुइ । यकर प्रमुख श्रेय वरिष्ठ साहित्यकार तथा भाषा विद् डा. कृष्णराज सर्वहारी,
थारु कल्याणकारीणी सभा क्षेत्रीय कार्यालय दाङ देउखरके पहले बहुट लम्मा समयकबाड हालसाले थारु एडभान्सड डिक्सनरी अर्थात थारु वृहत शब्दकोष निकरलबा । जम्मा ५५७ पेज रलक यी शब्दकोषमे थारु शब्दके नेपाली ओ अंग्रेजीमे अर्थ लिखलबा । अस्टके
यी साल मनैन गन्नम (जनगणना) लगभग ५० हजार मनैन लगैल बा । ओम्नहसे, गणक सुपरभाइजर ८ हजार ओ गणक ३९ हजारसे फे ढ्यार मनैन घरघर जाक डाटा विटोर्ना जुम्माडेलबा । और जनगणनासे यी सालके गणनम पुछ्ना प्रश्न डान्चे फरक डेखाइट । मुख्य प्रश्न, सामुदायिक