थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत २३ बैशाख २६४८, अत्वार ]
[ वि.सं २३ बैशाख २०८१, आईतवार ]
[ 05 May 2024, Sunday ]

विचार

भुँईचेप्ठा ओ निब्बर डुब्बर मनैन्क बट्कोहि

भुँईचेप्ठा ओ निब्बर डुब्बर मनैन्क बट्कोहि

बट्कोहि लिखबेर म्वार खिस्सम पाठ खेलुइया निब्बर डुब्बर भुँईचेप्ठा मनैन समझ्क ढयार आँस चुहैनु । ओइनक दुख बट्ठा सह नै सेक्क डिया बुटाक रुइल बाटु । आज फे म्वार बट्कोहिम पाठ खेलुइयन झलझल्यह्यठ डेखहस लागट । ढ्यार जहन मै न्याय डिहाइ खोज्ल
साहित्यके ‘डेसाहुर’मे शेखर

साहित्यके ‘डेसाहुर’मे शेखर

शेखर भाइक ‘गयर्वा बुडु’ पहिल खिस्सा संग्रह पह्रके लागल रहे, भाइक मरमसाला ओरा गैल हुइहिन । आब हुँकार लेखन अट्रे हुइहिन । काजेकि पहिल खिस्सा संग्रह निकारके उ बिर्कुल सम्पर्कबिहिन हो गैल रहिट । मने सोचलसे ठिक उल्टा हुइल । थारु
नाटक करोटक साक्षिपात्र

नाटक करोटक साक्षिपात्र

डुइ बरस आग माघ ठे डुइठो जार खाइल नाटक “करोट” । निमाङ थारु ओ खस नेपाली भाषम मञ्चन हुइल नाटक करोट २०७५ साल पुस ६ गतेसे २१ गतेसम् सर्वनाम थिएटर, काठमाडौँ ओ माघ १६ गतेसे २२ गतेसम् घोराही ओ तुलसीपुरम प्रदर्शन हुइल । काठमाडौँ केन्द्रित
जय गुर्बाबाः अभिवादन अभ्यास

जय गुर्बाबाः अभिवादन अभ्यास

पृष्ठभूमि ६० के दशक पाछे चर्चाके रुपमे अइटी रहल शब्द हो, जय गुर्बाबा । हरेक यूवा वर्गमे खास करके यूवा साहित्यकार तथा लेखक वर्गमे यी शब्द एकदम मुखारित हुइल बा । किहिनहे अभिवादन करे परलमे जय गुर्बाबा कना करजाइठ । ६० के दशक से आघे थारू
भोजहा लगन ओ सामाजिक मान्यता

भोजहा लगन ओ सामाजिक मान्यता

फागुन आइठ टो भोज सम्झबो । भोज कहटी कि लगनके बाट उठे लागठ । कोइ कहे लागठ, असौं लगन नाइ हो । कोइ कहे लागठ, लगन बा मने बरा कम डिन बा । फागुनके लग्गे बस अस्टे अस्टे बाट उठा करठ । पहिलेक चलन फरक रहे । फागुन अइटी कि थारु बस्ती चैनार । न लगन न सगन ।
ब्रिटिस सरकारहे रञ्जित चौधरी कैसिक पराजित करलैं ?

ब्रिटिस सरकारहे रञ्जित चौधरी कैसिक पराजित करलैं ?

अधिकांश पर्सागढीके बारे जन्ले हुइबी । मने नेपालके भूभाग ब्रिटिस सरकारसे कब्जा करना क्रममे नेपाली अंग्रेजहे पराजय करना टमान गढीमध्येके एक हो पर्सागढी । यिहिनहे और विस्तृतरुपमे कलेसे वि.सं. १८७१ मे नेपाल सरकार ओ भारतके तत्कालीन
जंग्रारके जाँगर ओ टिठमिठ सम्झना

जंग्रारके जाँगर ओ टिठमिठ सम्झना

बर्दिया, जोतपुरके जंग्रार मनै सोम जोगेठ्वा, जे भूलबस अपन नाउँक पाछे डेमनरौरा लिख मर्नै, हुँकहिनसे सँगे सुर्खेतमे एक बरस संगसंगे बिटैना समय जुरल । एक बरसमे महसुस हुइल कि मनै उ फुरेसे जंग्रारे बाटैं । जंग्रार हुइलेक ओरसे हुई हुँकार
थारू पत्रकार ओ भासिक पत्रकारिताके अभ्यास

थारू पत्रकार ओ भासिक पत्रकारिताके अभ्यास

ओंरवा लेहेबेर नेपाल भर थारु पत्रकार कठेक बटाँ ? महि लागठ, यकर ‘लेटेस्ट’ यकिन तथ्यांक थारु पत्रकार संघ नेपालके ठेन नै हुइस । थारु पत्रकारन्के यकिन संख्या ओ कौन थारु पत्रकार खास कैके अपन थारु मातृभासम पत्रकारिता करटि बटा ? थारु पत्रकार
रेडियो पत्रकारितक गोरपासु

रेडियो पत्रकारितक गोरपासु

आजसे १७ वर्ष पहिल रेडियो कार्यक्रमक लाग प्रश्न पुछबेर महि थाहा नि रह कि यि कार्यक्रम रेडियो प्याकेजि· हो कैक । मनै पहर्क जन्ठ कि ट पर्क कठ । रेडियो पत्रकारिता ना मै पह्रल रनहु ना मै बनैना ठाउँ डेख्ल रनहुँ । उ समयम रेडियो नेपाल काठमाडौं
लोकसेवाके पढाइमे खै थारु युवा ?

लोकसेवाके पढाइमे खै थारु युवा ?

राणाकालिन समयमे नेपालमे चाकडि ओ जि हजुरिके आढारमे कर्मचारि भर्ना कैना चलन रहे । यि प्रठाहे ओरवाके योग्यटाके आढारमे कर्मचारि छनौट कैना उड्डेस्यसे लोकसेवा आयोगके स्ठापना हुइलह । लोकसेवा आयोगके स्ठापनाके विकासक्रम सरकारके