‘गुह्य’ शब्द संस्कृत भाषाके शब्द हो । यकर अर्थ नेपालीमे गोपिनियता, आन्तरिक या भित्रि भाग कना अर्थ बुझजाइठ । थारु संस्कारमे भाषाके अपभ्रम्स हुके गुह्य शब्दहे गुरिया कना प्रचलन डेखाइठ । (गुह्य) श्रीमद्देवि भागवत महापुराण आधारमे १००८
भूमिका संस्कृति हरेक समुदायके अपन मौलिक पहिचान हो । कौनोफे जातिके जातीय पहिचान कला, संस्कृति ओ भाषासंग जोरल रहठ । थारू समुदायमे फे यैसिन ढेर संस्कृति रहल बाटै । जौन अब्बे प्रायः लोप हुइना अवस्थामे बाटै । समय, काल ओ ऋतु अनुसार
मोर गाउँ छोट बा,ओ यी छोट ठाउँ हो जहाँ टमान फरक जाति ओ धर्म मन्ना मनै बैठ्टै । पहिले मोर गाउँहे ‘तुलसीपुर’ कहिके चिन्हजाए, आब भर मोर गाउँहे ‘थेवै’ कहिजाइठ । यी घोडाघोडी नगरपालिका वठा नम्बर १० पहलमानपुर कैलालीमे अवस्थित बा । यी धनगढी
२०६८ सालको राष्ट्रिय जनगणनाअनुसार नेपालको कूल जनसंख्या २ करोड ६४ लाख ९४ हजार ५०४ छ । जसमध्ये थारूको जनसंख्या १७ लाख ३७ हजार ४७० छ । भाषागतरूपमा थारू भाषीहरुको संख्या १५ लाख २९ हजार ८७५ मात्र छ । नेपालमा थारूहरू चुरे र तराई तथा भित्री
कहठै एक ठो टेलुवा लगैना भारी बाट नाइहो उहीहे बह्रा पौह्राके जवान कैना बहुट मिहिनेत, समय ओ खर्च लागठ जत्र लगाईबेर मिहिनेत नइलागठ । ओस्टे आज एक ठो पत्रिकाके प्रकाशन सुुरु जेफे करे सेकठ मने उहीहे निरन्तरटा डेना भारी बाट हो । थारु
कमैया प्रथा पश्चिम नेपालके दाङ से कञ्चनपुर सम फैलल दास प्रथा जस्ते हो । कमैया विशेष कैके घरके काम ओ खेतीपाती कामके लाग रख जाए । कमैया बैठ वेर मुक्त कमैया थारुनके अवस्था एकदमै नाजुक रहे । घर खर्च, गास वास कपास सबकुछ जमिन्दार ओ मालिकके
‘थारू गुर्वाः परम्परागत उपचार प्रणाली’ नाउँके किताब हालसाले आदिवासी जनजाति उत्थान राष्ट्रिय प्रतिष्ठान प्रकाशन कर्ले बा । कृष्णराज सर्वहारी गुरुवन्के विविध पक्षके अनुसन्धान कैके अनुसन्धानमे