थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत ०१ अगहन २६४९, अत्वार ]
[ वि.सं ३० कार्तिक २०८२, आईतवार ]
[ 16 Nov 2025, Sunday ]

साहित्य

सोनपरी

सोनपरी

मनैनक जिवन एकठो संघर्ष हो कठै । हुइना फे हो ।केउ संघर्ष कर चाहट, केउ नई सेकक दुनियाँ छोर चाहट।अपन घाँटीम लसरी बाहनके मुअक लाग संघर्ष करे परट कलेसे ।बाचक लाग कसिक नी परी ।मुना जिना संसारके रिट हो, यिहिन केउ नाट बदले सेकी बदलक फे नई चाही।जब
सोरठ

सोरठ

एक देशमें कक्षराज नामको एक राजा रहय । बो राजा और बोके राजनगरी बहुत खुसहाल रहय । राजाके बहुत साल हुइगय रहय पर बोके लर्का नाभय रहय । एक दिन राजा अपन गुरूके बुलायके बिचरबायी । राजा कहि, मिर तमान साल हुइगय हय बिहाके, पर बालक नाभय हय ।
ठन्डा बरफ

ठन्डा बरफ

चैट मैन्हाँ सक्कु खेट्वा खालि हुइल रह । टभुनफे म्वार मन जुन्हुँक रहर लेक भरिभराउ रह । सल गाउँक मनै डिनभर मस्रि डाँइट ओ सन्झ्या क पोटाकेक वाह्रा डुङ–डुङ खाँइट । और सालक जस्ट हम्र बटैया खेट्वा नि पाक नि लगाइल रलहि । घर फे टौलान
आइल होरि

आइल होरि

खुसियाके होरि हो बौछारलाल पियर गुलाबि चारुओररंगले सबओर रंगिन जोर । पिचकारि भर भर अबिर रंगखेलब होरि होक चारु भाइ डंग ।हर मुहँम् बा आब अइसिन हालआझ पहारमे टो तराइमे काल्ह । होरिके बहानाम संघरिया सब आइरिस राग हटाके डुस्मनहे चलि
सुईनले बोल हमर

सुईनले बोल हमर

हुरी बतास आईगमे पोषलसच बोलैके सहाँस राखैचीधर्तिके शेर सपुत रहलअन्यायके बिरुद्ध हमला बोलैचीभरल अदालतमे दोषी ठहराईतलाल कलम बिकल देखनीन्यायके कण्ठ निमोठने रहलदेशके शासके मति देखनी ।।। बस्ती–बस्ती टोल–टोलमेयाब गितमे धुन भरबस्वरमे
पँचुवा थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलन सुर्खेतमे

पँचुवा थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलन सुर्खेतमे

सागर कुस्मीध्नगढी, ५ चैत । पँचुवा थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलन २०७७ सुर्खेतमे हुइ जैटी बा । थारू भाषा, साहित्य, कला संस्कृति संरक्षण कैना उद्देश्यसे इहे चैत २१ ओ २२ गते थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलन आयोजना कैगैल हो । थारू लेखक
‘अद्भूत इन्द्रेनी’ के लोकार्पण

‘अद्भूत इन्द्रेनी’ के लोकार्पण

पहुरा समाचारदाताधनगढी, ३ चैत्र । सिद्धार्थ शिशु सदन स्कुल धनगढीमे कक्षा ९ मे अध्ययनरत बाल कवि बिभुति अधिकारीसे लिखित छन्दोबद्ध खण्डकाव्य ‘अद्भूत इन्द्रेनी’ के लोकार्पण हुइल बा । कैलाली जनपुस्तकालयसे धनगढीमे आयोजित समारोहमे
थारु समाज चिटैना मोका– गयर्वा बुडु

थारु समाज चिटैना मोका– गयर्वा बुडु

पुसके पहिल साता, ठुल्क कुहिरा ओ जार ओस्टे रहे । कृष्ण सर्वहारी कलिङ कटी मोबाईलके घन्टी बोलेबर मै चिया पियटहुँ । कृष्ण सर्वहारी कोहलपुर आइल रहिट । कहाँ बाटी अप्नेहे भेटे आुइटु ? सर्वहारी कोहलपुर रहिट । यु आर हर्टली वेलकम सर्वहारी
चत्तुर कौवा ओ छल्लु गिदार

चत्तुर कौवा ओ छल्लु गिदार

कौनो समयमा बरा बन्वम एकथो चित्रा और एकथो कौवा मित्वा मिलाकन बैठत् । चित्रा रुख्वक तरओर कौवा जुन्हक रुख्वक डँरियम बैठ । चित्रा बडा सोझ दिलक रह । ऊ कौवा ज्या कलसे फेन करुइया तयार रह । ऊ बन्वम घाँसपात खाकन आपन मनका बैठ्लक ओरसे खौब ठूल्ह
‘करोट’ नाटक हेर्लक अनुभव

‘करोट’ नाटक हेर्लक अनुभव

एका बिहाने मोबाइलके घण्टी बोजल । ‘मर्निङ सर’ आज शनिच्चरके प्लानिङ कुछ बा की ?’ चुडामणि जी के स्वर मोर कान भिटर पैठल । सिरक भिटरेसे कोल्टे फरटी मै कनु, “मर्निङ’ नाटक हेरे जैबी ? सर्वनाम थिएटरमे ?’ “कौन नाटक मञ्चन हुइटी रहल बा टे ?’ उहोरसे