पहुरा
३१ बैशाख २०७८, शुक्रबार
गोरी डराई मानव सभ्यताके विकासक सँगसँग हरेक जाति समुदायके भाषा, कला साहित्य, परम्परा, रहनसहन,संस्कृति, सभ्यताके विकास हुइ पुगल । भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति कलक त मनैन जोर्ना बलगर करी हो । नेपालफे एकठो भाषिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, भौगोलिक