(छविलाल कोपिलाअटवारी, थारू समुदायको महान् चाड माघ पछिको दोस्रो अटवारी, थारू समुदायको महान् चाड माघ पछिको दोस्रो ठूलो पर्वको रूपमा मानिन्छ । यो पर्वमा खास गरेर पुरुषहरू निराहार व्रत बसेर मनाउँछन् । यद्यपि स्वेच्छाले केही महिलाहरू
हरेक जातजातिके सभ्यताके विकास सँगसँग भाषा, कला, संस्कृति, मूल्यमान्यताके विकास हुइटि गैल ओ कालान्तरम मैगर संस्कृति बन पुगल । थारु जाति कला संस्कृतिम बहुट धनी ओ सम्पन्न जातिके रुपम चिहिन्जाइठ । थारु समुदायम मनाजिना विविध चाडपर्वमध्ये
पृष्ठभूमि डा.तारानाथ शर्मा घनघस्याको उकालो कना नियात्रा संस्मरणम कलबाट–‘जीवन एकठो निटुङ्ग्यैना यात्रा रलक ।’ यात्रा निरन्तर चल्ती रहठ । हर मनैनके मेरमेरके चाहना, रुचि, सोच विचार भिन्न रहठ । मोर जिन्गिक यात्रा फेन भिन्न बा । यात्राके
शीर्षक हेर्टी कि बटचिफ्ला शव्दके अर्थ त अनुमान कै स्याकल हुइबी । यकर शाब्दिक अर्थ बट्वोइना सिपार, बहुत रसगर बात बट्वोइना कला विशेष, जसिक फेन आफन ओहर मोखलेना बातक सिपार, वास्तविक बातम बढाचढाख व्यख्या कर्ना आदि अर्थ लागट । खासम बटचिफ्ला
पहुरा समाचारदाताधनगढी, ७ बैशाख । नीति तथा कार्यक्रम बनाईबेर स्थानीय ओ प्रदेश सरकारके समन्वय आवश्यक रहल सरोकारवाला निकायहुक्रे बटैले बटै । डिसिएके आर्थिक सहयोगमे दलित महिला अधिकार मञ्चके आयोजना तथा आन्तरिक मामिला तथा कानून मन्त्रालयके
समय गतिवान बा हरपल हर क्षण विटट जाइत बा । समयके साथ साथे हर चीजमे परिवर्तन होइत चली आइत बा । एक दिन दुई दिन करते करते समयके चक्र साथ साथे होली (फगुवा) तिउहार भी हम्मनके घर अंगनामे आगइल बा । थारु समुदायमे तमाम तिउहार आइते बा जइतेबा हर
अपांगता हुइल व्यक्तिके अधिकारसम्बन्धी ऐन, २०७४ अनुसार अपांगता रहल व्यक्ति कहलेसे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक वा इन्द्रियसम्बन्धी दीर्घकालीन अशक्तता, कार्यगत सीमितता वा विद्यमान अवरोधके कारण अन्य व्यक्ति सरह समान आधारमे पूर्ण ओ
माघ लहैलीसुरिक सिकार खैली रे हासखिय होमाघक पिली गुरीगुरी जार । माघ (पर्व) मे थारु समुदाय यि गितसे गुञ्जयमान रहठ । ‘सखिय हो, माघक पिली गुरीगुरी जार’ परम्परासे चल्टि आइल थारु लोक भाका हो । थारुहुक्रे नेपालमे कहियासे बसोबास करलै कना
विषय प्रवेश नेपाल एकठो विविध भाषा संस्कृति रहनसहन हुइलक बहुजाति, बहुसांस्कृतिक, बहुभाषिक मुलुक हो । हाल नेपालम १२५ भाषा एवम् १२९ ठो जातजाति रलक मुलुक हुइलक आहर्से हरेक जातजातिके फरक फरक आफन संस्कृति बाटिन । थारू नेपालके तराई ओ भित्री