थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत २७ भादौ २६४८, बिफे ]
[ वि.सं २७ भाद्र २०८१, बिहीबार ]
[ 12 Sep 2024, Thursday ]

विचार

थारू समुदायमा बर्का अटवारी

थारू समुदायमा बर्का अटवारी

(छविलाल कोपिलाअटवारी, थारू समुदायको महान् चाड माघ पछिको दोस्रो अटवारी, थारू समुदायको महान् चाड माघ पछिको दोस्रो ठूलो पर्वको रूपमा मानिन्छ । यो पर्वमा खास गरेर पुरुषहरू निराहार व्रत बसेर मनाउँछन् । यद्यपि स्वेच्छाले केही महिलाहरू
ज्योर्तिमय अस्टिम्की पर्व ओ थारु

ज्योर्तिमय अस्टिम्की पर्व ओ थारु

हरेक जातजातिके सभ्यताके विकास सँगसँग भाषा, कला, संस्कृति, मूल्यमान्यताके विकास हुइटि गैल ओ कालान्तरम मैगर संस्कृति बन पुगल । थारु जाति कला संस्कृतिम बहुट धनी ओ सम्पन्न जातिके रुपम चिहिन्जाइठ । थारु समुदायम मनाजिना विविध चाडपर्वमध्ये
काठमाडौं, पुरस्कार ओ दुर्घटना

काठमाडौं, पुरस्कार ओ दुर्घटना

पृष्ठभूमि डा.तारानाथ शर्मा घनघस्याको उकालो कना नियात्रा संस्मरणम कलबाट–‘जीवन एकठो निटुङ्ग्यैना यात्रा रलक ।’ यात्रा निरन्तर चल्ती रहठ । हर मनैनके मेरमेरके चाहना, रुचि, सोच विचार भिन्न रहठ । मोर जिन्गिक यात्रा फेन भिन्न बा । यात्राके
बटचिफ्ला

बटचिफ्ला

शीर्षक हेर्टी कि बटचिफ्ला शव्दके अर्थ त अनुमान कै स्याकल हुइबी । यकर शाब्दिक अर्थ बट्वोइना सिपार, बहुत रसगर बात बट्वोइना कला विशेष, जसिक फेन आफन ओहर मोखलेना बातक सिपार, वास्तविक बातम बढाचढाख व्यख्या कर्ना आदि अर्थ लागट । खासम बटचिफ्ला
नीति तथा कार्यक्रम बनाईबेर स्थानीय ओ प्रदेश सरकार समन्वय आवश्यक

नीति तथा कार्यक्रम बनाईबेर स्थानीय ओ प्रदेश सरकार समन्वय आवश्यक

पहुरा समाचारदाताधनगढी, ७ बैशाख । नीति तथा कार्यक्रम बनाईबेर स्थानीय ओ प्रदेश सरकारके समन्वय आवश्यक रहल सरोकारवाला निकायहुक्रे बटैले बटै । डिसिएके आर्थिक सहयोगमे दलित महिला अधिकार मञ्चके आयोजना तथा आन्तरिक मामिला तथा कानून मन्त्रालयके
थारु समुदायमे होली (फगुवा) पर्व

थारु समुदायमे होली (फगुवा) पर्व

समय गतिवान बा हरपल हर क्षण विटट जाइत बा । समयके साथ साथे हर चीजमे परिवर्तन होइत चली आइत बा । एक दिन दुई दिन करते करते समयके चक्र साथ साथे होली (फगुवा) तिउहार भी हम्मनके घर अंगनामे आगइल बा । थारु समुदायमे तमाम तिउहार आइते बा जइतेबा हर
नेपालमे मनोसामाजिक अपांगतामे चुनौती ओ व्यवस्थापन

नेपालमे मनोसामाजिक अपांगतामे चुनौती ओ व्यवस्थापन

अपांगता हुइल व्यक्तिके अधिकारसम्बन्धी ऐन, २०७४ अनुसार अपांगता रहल व्यक्ति कहलेसे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक वा इन्द्रियसम्बन्धी दीर्घकालीन अशक्तता, कार्यगत सीमितता वा विद्यमान अवरोधके कारण अन्य व्यक्ति सरह समान आधारमे पूर्ण ओ
कहाँसे अइली गोचाली कहाँ जाइक लग ?

कहाँसे अइली गोचाली कहाँ जाइक लग ?

जब घरमे केक्रो मौट हुइठ टब छोटछोट ल्का पुछठैं कि बाबा हमार बुडी या बुडु मुके कहाँ चलगैल कैहके ? टब घरके बुजुर्ग मनै कहठैं कि टोर बुडु या बुडी मुके उप्पर चलगैनै टोंरैंमे । यी बात सुन्के ल्का अचम्म मन्टी चिपचाप होजैठैं । का यी बात, हम्रे
माघ मनइना कि माघी !

माघ मनइना कि माघी !

माघ लहैलीसुरिक सिकार खैली रे हासखिय होमाघक पिली गुरीगुरी जार । माघ (पर्व) मे थारु समुदाय यि गितसे गुञ्जयमान रहठ । ‘सखिय हो, माघक पिली गुरीगुरी जार’ परम्परासे चल्टि आइल थारु लोक भाका हो । थारुहुक्रे नेपालमे कहियासे बसोबास करलै कना
माघ टिहुवारः एक चर्चा

माघ टिहुवारः एक चर्चा

विषय प्रवेश नेपाल एकठो विविध भाषा संस्कृति रहनसहन हुइलक बहुजाति, बहुसांस्कृतिक, बहुभाषिक मुलुक हो । हाल नेपालम १२५ भाषा एवम् १२९ ठो जातजाति रलक मुलुक हुइलक आहर्से हरेक जातजातिके फरक फरक आफन संस्कृति बाटिन । थारू नेपालके तराई ओ भित्री