विषय प्रवेश नेपाल एकठो विविध भाषा संस्कृति रहनसहन हुइलक बहुजाति, बहुसांस्कृतिक, बहुभाषिक मुलुक हो । हाल नेपालम १२५ भाषा एवम् १२९ ठो जातजाति रलक मुलुक हुइलक आहर्से हरेक जातजातिके फरक फरक आफन संस्कृति बाटिन । थारू नेपालके तराई ओ भित्री
श्रीराम चौधरी थारू भूमिपुत्र हुइट । सायद यी बातम दुईमत नैहोकी, थारू मानव सभ्यताक प्रारम्भिक चरणठेसे जमिन, जंगल ओ जलसे डब्नीभिर्या खेल्टी अइल । इह ऐतिहासिक कारणसे थारून्हक हरेक संस्कृति, परम्परा, चालचलन ओ सामाजिक मूल्य मान्यता जल,
कृष्णराज सर्वहारी २०७८ सालको जनगणनाले थारू जाातिको जनसंख्या १८ लाख ७ हजार १२४ देखाएको छ । यो नेपालको कुल जनसंख्या २ करोड ९१ लाख ६४ हजार ५७८ को ६.२ प्रतिशत हो । पछिल्लो २०७८ को जनगणनाले रानाथारू समुदायको जनसंख्या ८२ हजार २९९ देखाएको
धान नेपालके प्रमुख खाद्यान्न बाली रनाके साथे देशके अर्थतन्त्रमे सबसे ढेर योदान करना एक बाली फेन हो । नेपालके कुल खेती योग्य जमिनमध्ये १५ लाख हेक्टरसे ढेर क्षेत्रफलमे खेती हुइना यी बालीके उत्पादकत्व भर अन्य देश तथा महादेशके तुलनामे
नेपाल कृषिजन्य उत्पादनमे आधारित एक कृषिप्रधान मुलुक हो । नेपालके आम–जनताके जीवन निर्वाहके मूल आधारस्रोत कृषिमे आत्मनिर्भर रहल बा । कृषि क्षेत्रहे नेपाली अर्थतन्त्रके मेरुदण्डके रुपमे लेजाइठ । टबमारे कृषिजन्य उद्योगके विकासविना
कुनै पनि शत्रु कीरा (कीटनाशक), रोग (ढुसी नासक, ब्याक्टेरीया नासक), झारपात (झारपात नासक, हर्बिसाइड) तथा अन्य जीव जस्ले हाम्रो खाद्यान्न, बोटबिरुवाहरुको वृद्धि विकास तथा उत्पादन, भण्डारण समय र गुणस्तरमा ह्रास ल्याउँदछन् र तिनीहरुको असर
पहुरा समाचारदाताहसुलिया, १६ जेठ । पूर्वसांसद रेशम चौधरी संघ ओ प्रदेश सरकार नागरिक उन्मुक्ति पार्टीके हाठमे रहल बटैले बाटै । मंगरके हसुलियामे हुइल कार्यक्रमहे सम्बोधन कैटी उहाँ संघ ओ प्रदेश सरकारहे गिरैना, हिलैना, बनैना नागरिक
विषय प्रवेश नेपाल एकठो विविध भाषा संस्कृति रहनसहन हुइलक बहुजाति, बहुसांस्कृतिक, बहुभाषिक मुलुक हो । हाल नेपालम १२५ भाषा एवम् १२९ ठो जातजाति रलक मुलुक हुइलक आहर्से हरेक जातजातिके फरक फरक आफन संस्कृति बाटिन् । थारू नेपालके तराई ओ
सुरुवात विश्वमे सबसे ज्यादा बुझ्ना भाषा कलक चित्र हो । चित्र हेरके नैपर्हल मनैयाँ फेन कहे सेकि ओ बुझे सेकि कि इ-इ चिज हो कहिके । हरेक मनैंनमे कुछ ना कुछ कला, सीप ओ ज्ञान डेके पठैले रठैं भगवान । हमार समाजमे फेन कुछ असिन कला रहल मनैं फेन